Aandhi

Aandhi

Authors(s):

Gulzar

Language:

Hindi

Pages:

102

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

204 mins

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Book Description

साहित्य में मंज़रनामा एक मुकम्मिल फ़ॉर्म है। यह एक ऐसी विधा है जिसे पाठक बिना किसी रुकावट के रचना का मूल आस्वाद लेते हुए पढ़ सके। लेकिन मंज़रनामा का अन्‍दाज़े-बयान अमूमन मूल रचना से अलग हो जाता है या यूँ कहें कि वह मूल रचना का इन्टरप्रेटेशन हो जाता है।</p> <p>मंज़रनामा पेश करने का एक उद्देश्य तो यह है कि पाठक इस फ़ॉर्म से रूबरू हो सकें और दूसरा यह कि टी.वी. और सिनेमा में दिलचस्पी रखनेवाले लोग यह देख-जान सकें कि किसी कृति को किस तरह मंज़रनामे की शक्ल दी जाती है। टी.वी. की आमद से मंज़रनामों की ज़रूरत में बहुत इज़ाफ़ा हो गया है।</p> <p>कथाकार, शायर, गीतकार, पटकथाकार गुलज़ार ने लीक से हटकर शरतचन्द्र की-सी संवेदनात्मक मार्मिकता, सहानुभूति और करुणा से ओत-प्रोत कई उम्दा फ़िल्मों का निर्देशन किया, जिनमें ‘मेरे अपने’, ‘अचानक’, ‘परिचय’, ‘आँधी’, ‘मौसम’, ‘ख़ुशबू’, ‘मीरा’, ‘किनारा’, ‘नमकीन’, ‘लेकिन’, ‘लिबास’, और ‘माचिस’ जैसी फ़िल्में शामिल हैं।</p> <p>अपने समय की बेहद चर्चित फ़िल्म ‘आँधी’ का यह मंज़रनामा वरिष्ठ साहित्यकार कमलेश्वर के उपन्यास ‘काली आँधी’ से कुछ अलग भी है और नहीं भी। फ़िल्म में किरदारों के एटिट्यूड उपन्यास से अलग हैं। इसमें राजनीति के छल-छद्मों से भरी कथावस्तु के बीच दो दिलों के प्रेम की अन्‍तःसलिल धारा भी बह रही है जो पाठकों की संवेदना को छू लेती है।</p> <p>यह पुस्तक पूरी फ़िल्म की एक तरह से औपन्यासिक प्रस्तुति है जो पाठकों की अपेक्षाओं पर खरा उतरेगी।

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