Wah Aadami Naya Garam Coat Pahinkar Chala  Gaya Vichar Ki Tarah

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Language:

Hindi

Pages:

152

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

304 mins

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Book Description

विनोद कुमार शुक्ल की कविता, उस पूरे काव्यानुभव को एक विकल्प देती है जिसके हम अभ्यस्त हैं। हम जैसे सिर्फ़ एक क़दम उठाकर एक ऐसी दुनिया में आ जाते हैं जो बहुत बड़ी है, जहाँ चाहें तो उड़ा भी जा सकता है। यह कविता आपको बदल देती है। आपके पढ़ने और आपके जीने, दोनों की आदत को।</p> <p>वह पहले आपको एक अलग भाषा देती है, फिर देखने का, महसूस करने का एक अलग तरीक़ा। एक सामर्थ्य जो हमें अपने आसपास मौजूद तमाम चीज़ों के प्रति नए सिरे से जीवित कर देती है। विनोद कुमार शुक्ल न आपको विचार देते हैं, न सन्देश, बस दुनिया में होने का एक हल्का, सरल और मानवीय ढंग देते हैं, एक विज़न, जहाँ वह सब ख़ुद चला आता है, जिसे मनुष्यों, पेड़ों, हवाओं, आसमानों, आदिवासियों, समुद्रों, नदियों, मिट्टियों, पत्तियों, चिड़ियाओं, लड़कियों, बादलों और मज़दूरों की इस दुनिया में होना चाहिए।</p> <p>‘वह आदमी नया गरम कोट पहिनकर चला गया विचार की तरह’ विनोद कुमार शुक्ल का दूसरा कविता संकलन है जो 1981 में प्रकाशित हुआ था। काफ़ी समय से यह अनुपलब्ध था।

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