Adab Mein Baaeen Pasli : Afro-Asiayi Laghu Upanyas : Vol. 3

Adab Mein Baaeen Pasli : Afro-Asiayi Laghu Upanyas : Vol. 3

Authors(s):

Nasera Sharma

Language:

Hindi

Pages:

303

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

606 mins

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Book Description

उर्दू भाषा का जन्म हिन्दुस्तान में हुआ। मातृभाषा जो भी हो मगर लिखनेवाले उर्दू में लिखते रहे। इसलिए जहाँ उर्दू का विस्तार बढ़ा, वहीं पर उसके पढ़नेवालों की दिमाग़ी फ़ि‍ज़ा भी रौशन और खुली बनी। भाषा पर किसी धर्म और विचारधारा की हुकूमत नहीं हो सकती है, जो ऐसा सोचते हैं वे अपना ही नहीं, अपनी भाषा के विकास का भारी नुक़सान करते हैं।</p> <p>अपनी ऐतिहासिक धरोहर को वक्‍़ती सियासी मुनाफ़े का मोहरा बनाकर उनका व्यक्तिगत लाभ हो सकता है, मगर बड़े पैमाने पर हम उर्दू साहित्य का ख़ज़ाना खो बैठेंगे और साथ ही <strong>हिन्‍दी</strong> भाषा साहित्य का भी नुक़सान करेंगे। अनेक लेखकों की <strong>हिन्‍दी</strong> भाषा लिपि में लिखी कहानियों में उर्दू शब्द नगीने की तरह जड़े नज़र आते हैं, जो भाषा को नया सौंदर्य देते हैं। उनको हटाकर वहाँ <strong>हिन्‍दी</strong> भाषा के ख़ालिस शब्द लगाने की मुहिम चलाएँगे तो उस गद्य का क्या बनेगा?</p> <p>हमारे बुज़ुर्गों ने औरतों के इतने शानदार चरित्र गढ़े हैं, जो आज भी ज़िन्दा महसूस होते हैं, जिनमें ज़िन्दगी अपने सारे परिवेश के साथ धड़कती है और हर रंग में हमारे सामने अहसास का पिटारा खोलती है और इस विचार को पूर्णरूप से रद्द कर देती है कि औरत के बारे में सिर्फ़ औरत ही ईमानदारी से लिख सकती है। यह सौ फीसदी सच है मगर कला इस तथ्य से आगे निकल कर हमें यह बताती है कि कफ़न की दुनिया औरत-मर्द क़लमकारों के इस फ़र्क़ को न मानती है न स्वीकार करती है। सबूत इन कहानियों के रूप में सामने है। इन कहानियों में पूरी एक सदी का समय क़ैद है, जो हमारे बदलते ख़यालात, समाज, माहौल और इंसान को हमारे सामने एक सनद की शक्ल में पेश करते हैं। यह अलग बात है कि कुछ किरदार हमें बिलकुल नए और वर्तमान में साँस लेते लगेंगे।

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