
Thalchar
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
164
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
328 mins
Book Description
'यह एक मारक क्षण है। इस बार अधिक सख़्त और बेधक निगाहों के साथ। मैं इसके सामने हूँ। इसके निशाने पर। यह क्षण एक निर्णायक फ़ैसला चाहता है। यह एक अपराजेय क्षण है। मेरे भीतर से ही निकला हुआ। शक्तिशाली और अबोधता से भरा। यह किसी उलझन में नहीं है। यह मैं हूँ जो इसे उलझन में डालने की कोशिश कर रहा हूँ। लेकिन यह भुलावे में नहीं आ रहा है। 'जैसा मैं हूँ और जो मुझे होना चाहिए' को यह तेज़ धार से काटकर, दो टूक और दो भागों में कर देना चाहता है। यह क्रूर होते हुए भी आकर्षक है और अकाट्य भी। यह ख़ुद एक तर्क है, अपने आपमें एक औचित्य। एक स्वयंसिद्ध काया और विचार। इसका सम्मोहन ज़बर्दस्त है। जानता हूँ यह अवसाद नहीं है। निराशा नहीं है। खिन्नता तो क़तई नहीं। यह एक आदिम आकांक्षा है जो अब अपना आधिपत्य चाहती है। यह हरेक सर्जक में प्रसुप्त रहती है। जब वह जागती है तो पूरा जीवन माँगती है। अपना ही रक्त चाहती है।</p> <p>रचनाकार एक तरह की अस्वस्थता में, बुख़ार में और अपने रक्त में कैंसर की कोशिकाएँ लिए ही, सक्रिय और व्यथित रहने के लिए अभिशप्त है। जैसे वह तेज़ गति से मृत्यु की तरफ़ यात्रा कर रहा है लेकिन उसकी चाल में एक उफान है और शमित न हो सकनेवाला उद्वेग। अपने भीतर टाइम-बम को छिपाए हुए, जिसमें लगी घड़ी की टिक-टिक आवाज़ उसे सुनाई देती है लेकिन नहीं पता कि उसके पास कितना समय है। वह बस इतना जानता है कि उसका अन्त एक विस्फोट में होगा। इससे अधिक सांघातिक और क्या हो सकता है। यह पल मुझे साथ लेकर जीवन की किसी नई यात्रा पर ले जाने की ज़िद पर अड़ गया है। इसका बढ़ा हुआ हाथ मेरे सामने है।</p> <p>—इसी संग्रह से