
Mujhe Kuchh Kahana Hai….
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
264
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
528 mins
Book Description
बहुत कम लोग जानते हैं कि फ़िल्मकार-कहानीकार ख़्वाजा अहमद अब्बास की क़लम की दुनिया कितनी बड़ी थी। सत्तर साल की अपनी ज़िन्दगी में उन्होंने 70 ही किताबें भी लिखीं और असंख्य अख़बारों और रिसालों में आलेख भी। हर बुधवार को 'ब्लिट्ज' में उनका स्तम्भ, अंग्रेज़ी में 'द लास्ट पेज' और उर्दू में 'आज़ाद क़लम' शीर्षक से, छपता था। और आपको जानकर हैरानी होगी कि इसे उन्होंने चालीस साल लगातार लिखा, जिसमें दोनों ज़बानों के विषय भी अक्सर अलग होते थे। कहते हैं कि ये दुनिया में अपने ढंग का एक रिकॉर्ड है।</p> <p>आपके हाथों में जो है वह उनकी कहानियों का संकलन है। इस संकलन की सभी 17 कहानियों को उनकी नातिन और उनके साहित्य की अध्येता ज़ोया ज़ैदी ने संगृहीत किया है। इनमें कुछ कहानियाँ पहली बार हिन्दी में आ रही हैं। डॉ. ज़ैदी का कहना है कि अब्बास साहब ऐसे व्यक्ति थे जिनके ''जीवन का लक्ष्य होता है, एक उद्देश्य जिसके लिए वे जीते हैं। एक मक़सद मनुष्य के समाज में बदलाव लाने का, उसकी सोई हुई आत्मा को जगाने का।''</p> <p>यही काम उन्होंने अपनी कहानियों, फ़िल्मों और अपने स्तम्भों में आजीवन किया। आमजन से हमदर्दी, मानवीयता में अटूट विश्वास, स्त्री की पीड़ा की गहरी पारखी समझ और भ्रष्ट नौकरशाही से एक तीखी कलाकार-सुलभ जुगुप्सा, वे तत्त्व हैं जो इन कहानियों में देखने को मिलते हैं। डॉ. ज़ैदी के शब्दों में, ये कहानियाँ अब्बास साहब की आत्मा का दर्पण हैं। इन कहानियों में आपको वो अब्बास मिलेंगे जो इनसान को एक विकसित और अच्छे व्यक्ति के रूप में देखना चाहते थे।</p> <p>इस किताब का एक ख़ास आकर्षण ख़्वाजा अहमद अब्बास का एक साक्षात्कार है जिसे किसी और ने नहीं, कृश्न चन्दर ने लिया था।