Narak Safai

Narak Safai

Authors(s):

2733,2734

Language:

Hindi

Pages:

167

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

334 mins

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Book Description

कितने आश्चर्य की बात है कि समाज का जो तबका समाज की सफाई रखने का काम करता है, मानव बस्तियों को रहने लायक बनाता है, गंदगी और बीमारियों से दूर रखता है, समाज ने उसी वर्ग को अपने से अलग कर दिया! इससे बड़ी विडंबना और कोई हो ही नहीं सकती कि समाज के लिए सबसे उपयोगी वर्ग को ही अछूत करार दिया गया और घृणा का पात्र बना दिया गया। इस वर्ग को अस्पृश्यता का अभिशाप तो झेलना ही पड़ा, कदम-कदम पर समाज के अत्याचारों का भी सामना करना पड़ा ।<br>दुर्भाग्य से आज भी सिर पर मैला ढोने की कुप्रथा बनी हुई है जबकि आजादी के दिनों से ही समाज के एक बड़े तबके को इससे मुक्त कराने की कोशिश<br>होती रही है। गाँधी जी ने आजादी के आंदोलन में भंगी-मुक्ति का सपना देखा था। अनेक स्तरों पर काम होने के बावजूद भंगियों की ​स्थित में सुधार नहीं हो पाया है। महाराष्ट्र में इस प्रथा को नरक सफाई कहा जाता है, जिसमें भंगियों की कई पीढ़ियाँ लगी हुई हैं। भंगी अब किसी एक धर्म तक सीमित नहीं रहे। उनमें सिख, हिंदू, मुसलमान सभी हैं। वे अस्पृश्यों में भी अस्पृश्य हैं। लगभग हर धर्म में उनकी स्थिति एक जैसी ही है। घृणा, तिरस्कार और अपमान का दर्द ही उनके भाग्य में लिखा है।<br>अस्पृश्यों में भी जो अस्पृश्य हों, उनके जीवन में भला किसी की क्या दिलचस्पी हो सकती है? लेकिन लेखक-द्वय अरुण ठाकुर और महम्मद खडस ने बड़ी ही ईमानदारी से नरक सफाई के काम में लगे लोगों के जीवन का मार्मिक अध्ययन प्रस्तुत किया है। ‘नरक-सफाई’ महाराष्ट्र के वरिष्ठ बुद्धिजीवी और अनुसंधाता डॉ. य. दि. फड़के के कुशल मार्गदर्शन में ‘समता आंदोलन’ के कार्यकर्ता अरुण ठाकुर तथा महम्मद खडस द्वारा कड़ी मेहनत से जुटाए गए साक्ष्यों पर आधारित महत्त्वपूर्ण दस्तावेजी पुस्तक है।<br>आजादी के बाद भंगियों की जीवन-स्थितियों का बारीकी से अध्ययन करने वाली हिन्दी में पहली पुस्तक—‘नरक- सफाई’ !

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