Yutopiya
Author:
Vandana RagPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
वन्दना राग अपने समय की ऐसी कथाकार हैं, जिन्हें किसी पूर्वग्रह समाहित ढाँचे में नहीं बाँधा जा सकता है। वे अपनी कथा-रचना की प्रक्रिया के दौरान ही सारे स्थापित ढाँचों का अतिक्रमण कर अपने लिए सर्वाधिक नया स्पेस बनाती चलती हैं। एक बिन्दास, खुले, यायावर समान। यही नयापन उनके विविध आयामी कृतित्व में उद्भासित होता है। उनके यहाँ थीम्स और पात्रों का सीमा-बन्धन नहीं है। वहाँ स्त्री, पुरुष, दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक और वंचित सभी हैं और वे सभी अपने संश्लिष्ट और मनुष्यगत स्वरूपों में हैं। वे अपनी अच्छाइयों और बुराइयों समेत अपने समय से मुठभेड़ करते हैं। उनकी चिन्ताओं में अतीत के शेष प्रश्न और भविष्य के विज़न शामिल हैं। इस तरह वन्दना राग लगातार अपने समय का क्रिटीक रचती हैं। उनकी सर्वाधिक चर्चित कहानी ‘यूटोपिया’ साम्प्रदायिकता जैसे नाज़ुक विषय को एक नए अन्दाज़ में उठाती है। रोमान से हटकर यह कहानी साम्प्रदायिकता बोध और साम्प्रदायिक अस्मिताओं के संघर्ष की उस कठोर स्थापना को रेखांकित करती है, जिसके आगे प्रेम, मनुष्यता अथवा अन्य कोमल भावनाओं के लिए कोई स्थान बचा नहीं रह जाता। यह हमारे समय की सबसे बड़ी त्रासदी है।</p>
<p>इसी प्रकार कहानी ‘कबिरा खड़ा बज़ार में’ और ‘शहादत और अतिक्रमण’ स्त्री की पहचान तथा स्त्री की शारीरिक, मानसिक तथा आत्मिक स्वाधीनता के मार्ग को तलाशनेवाले संघर्षों की कहानियाँ हैं। अपनी कहानियों में वन्दना अनेक बार उन विषयों को भी उठाती हैं, जिन्हें समाज चुप कर देता है। उन चुप, कुंठित, वैचारिक, सामाजिक तथा अवश मानसिक स्थितियों को वे शब्द देती हैं। ‘नमक’, ‘छाया युद्ध’, ‘टोली’ तथा ‘नक़्शा और इबारत’ इस तरह की प्रामाणिक कहानियाँ हैं।</p>
<p>वन्दना का नज़रिया सूक्ष्म अन्तर्दृष्टि वाला है। उनमें हाज़िर-जवाबी और व्यंग्य वाला हास्यबोध है और भावनाओं की अतल गहराई को छूनेवाला कौशल भी। मगर सबसे बड़ी बात यह है कि वे एक धुनी क़िस्सागो हैं। उनकी भाषा चुस्त और सधी हुई है और उसमें विचारों का प्रवाह रवानगी भरा है।</p>
<p>आज के इस हाय-तौबा वाले युग में उनकी कहानियाँ समय की विडम्बनाओं का साहसी प्रतिमान रचती हैं। इसीलिए हमें उन्हें और भी गम्भीरता से देखने की ज़रूरत है।
ISBN: 9789393768964
Pages: 184
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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विख्यात हंगेरियन कथाकार मोरित्स जिग्मोन्द ने भारतीय ग्रामीण जीवन पर केन्द्रित एक वृत्तचित्र पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अपने उपन्यास ‘रोजा शान्दोर अपने घोड़े को कुदाता है’ में लिखा था :
‘‘कल शाम को न्यूज़ सिनेमा में मैंने भारतीय लोगों का जीवन देखा। ऐसा लगा जैसे मैंने वही दृश्य देखा हो। घर में बनाए और सिले ढीले कपड़े पहनी औरतें, अधनंगे युवा और पूरी तरह नंगे बच्चे। ये सब बड़ी संख्या में साथ–साथ, धूप से बचने की कोशिश करते हुए, एक बड़े नारियल के पेड़ की छाया में लेटे थे। गंगा नदी में चलती नावों की छतें वैसी ही हैं जैसी हंगेरियन गाँवों की घोड़ा–गाड़ियों की छतें होती हैं। ये लोग उसी में जीवन बिता देते हैं। इसी तरह लगभग सौ साल पहले हंगेरियन दास रहते थे—नंगे पाँव; जैसे भारतीय अछूत। किसी के पाँव में चमड़े का जूता नहीं है। मुझे आश्चर्य हुआ कि ये लोग हंगेरियन जनता से कितने मिलते–जुलते हैं। इनके आचार–व्यवहार और भाव–भंगिमाएँ ऐसी थीं कि मुझे लगा कि मैं शायद बचपन के अपने भाइयों को देख रहा हूँ। मैंने अपनी माँ को भी पहचान लिया। अन्तर केवल इतना था कि हंगेरी में नाक की नथ कभी लोकप्रिय न थी।’’
भारतीय ग्रामीण जीवन के प्रति मोरित्स जिग्मोन्द की संवेदना दरअसल न केवल उनके साहित्य में व्यक्त हंगेरियन ग्रामीण जीवन का विस्तार है, बल्कि मोरित्स की सार्वभौमिकता की भी द्योतक है। मोरित्स की लगभग सभी कहानियाँ हंगेरियन जीवन पर आधारित हैं, लेकिन उनकी महान प्रतिभा ने बहुत व्यापक पाठक वर्ग का ध्यान आकर्षित किया है। संसार की सभी प्रमुख भाषाओं में अनूदित होकर उनकी रचनाएँ विश्व साहित्य की धरोहर बन चुकी हैं।
हिन्दी में मोरित्स की प्रसिद्ध कहानियों के इक्का–दुक्का अनुवाद मौजूद हैं। लेकिन ये सब अनुवाद अंग्रेज़ी के माध्यम से किए गए हैं। हंगेरियन और अंग्रेज़ी भाषा के बीच जो दूरी है, वैसी हिन्दी और हंगेरियन में नहीं है। इसका एक कारण हंगेरियन समाज और संस्कृति का ग्रामीणोन्मुखी होना है। हंगेरी के ग्रामीण जीवन की भाषा में ऐसे शब्दों की कमी नहीं है जिनके बहुत सटीक पर्याय हिन्दी में हैं। मोरित्स जिग्मोन्द की कहानियाँ पहली बार पुस्तकाकार हिन्दी में प्रकाशित कहानियाँ हैं जो पाठकों को अपनी तो लगेंगी ही, ताउम्र साथ भी रहेंगी।
Peele Kagaj Ki Ujli Ibarat
- Author Name:
Kailash Banwashi
- Book Type:

- Description: Short Stories
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