
Saphal Prabandhan Gandhi Darshan
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
112
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
224 mins
Book Description
कुशल तथा सफल प्रबन्धक उसे कहा जाता है जो अपने साथ काम करनेवाले लोगों के सामने स्वयं एक नैतिक उदाहरण के रूप में खड़ा हो सके। प्रबन्धन लोगों से काम निकालने की ट्रिक नहीं, उन्हें अपना सर्वश्रेष्ठ देने की प्रेरणा है। यह पुस्तक बताती है कि इस लिहाज़ से गांधी जी से बड़ा कोई प्रबन्धन हमारे पास नहीं है।</p> <p>गांधी ने केवल अपने जीवन-व्यवहार तथा कठोर सिद्धान्त-पालन से लाखों लोगों को प्रभावित किया। न सिर्फ़ प्रभावित बल्कि एक कठिन कार्य में उन्हें स्वयं आगे आकर हिस्सेदार बनने की प्रेरणा भी दी।</p> <p>इस पुस्तक में हमें गांधी-जीवन तथा दर्शन के ऐसे ही बिन्दुओं से परिचित कराया गया है, जो हमेशा एक सक्षम नेतृत्व के लिए आधार-स्तम्भ का काम करते रहेंगे। लेखक का विश्वास है कि उन सूत्रों को अपनाकर हम आज भी अपने व्यक्तिगत तथा व्यावसायिक जीवन को सन्तुलन तथा सार्थकता दे सकते हैं।</p> <p>बापू के जीवन के कुछ दिलचस्प और प्रेरक प्रसंगों के हवाले से यह पुस्तक हमें उन जीवन-मूल्यों का बोध कराती है जिन्हें उन्होंने पुस्तकों से निकालकर सशक्त सामाजिक हथियारों के रूप में बदला।</p> <p>विजय जोशी की यह पुस्तक भी उनके अपने प्रबन्धकीय अनुभवों पर आधारित है। वे मानते हैं कि गांधी इस सदी के सबसे बड़े मैनेजमेंट गुरु थे। साध्य के बजाय साधन की शुचिता पर ज़ोर देकर उन्होंने प्रबन्धन तथा नेतृत्व की परिपाटी को एक नितान्त भारतीय रूप दे दिया था।