Saphal Prabandhan Gandhi Darshan
Author:
Vijay JoshiPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Management0 Reviews
Price: ₹ 76
₹
95
Available
कुशल तथा सफल प्रबन्धक उसे कहा जाता है जो अपने साथ काम करनेवाले लोगों के सामने स्वयं एक नैतिक उदाहरण के रूप में खड़ा हो सके। प्रबन्धन लोगों से काम निकालने की ट्रिक नहीं, उन्हें अपना सर्वश्रेष्ठ देने की प्रेरणा है। यह पुस्तक बताती है कि इस लिहाज़ से गांधी जी से बड़ा कोई प्रबन्धन हमारे पास नहीं है।</p>
<p>गांधी ने केवल अपने जीवन-व्यवहार तथा कठोर सिद्धान्त-पालन से लाखों लोगों को प्रभावित किया। न सिर्फ़ प्रभावित बल्कि एक कठिन कार्य में उन्हें स्वयं आगे आकर हिस्सेदार बनने की प्रेरणा भी दी।</p>
<p>इस पुस्तक में हमें गांधी-जीवन तथा दर्शन के ऐसे ही बिन्दुओं से परिचित कराया गया है, जो हमेशा एक सक्षम नेतृत्व के लिए आधार-स्तम्भ का काम करते रहेंगे। लेखक का विश्वास है कि उन सूत्रों को अपनाकर हम आज भी अपने व्यक्तिगत तथा व्यावसायिक जीवन को सन्तुलन तथा सार्थकता दे सकते हैं।</p>
<p>बापू के जीवन के कुछ दिलचस्प और प्रेरक प्रसंगों के हवाले से यह पुस्तक हमें उन जीवन-मूल्यों का बोध कराती है जिन्हें उन्होंने पुस्तकों से निकालकर सशक्त सामाजिक हथियारों के रूप में बदला।</p>
<p>विजय जोशी की यह पुस्तक भी उनके अपने प्रबन्धकीय अनुभवों पर आधारित है। वे मानते हैं कि गांधी इस सदी के सबसे बड़े मैनेजमेंट गुरु थे। साध्य के बजाय साधन की शुचिता पर ज़ोर देकर उन्होंने प्रबन्धन तथा नेतृत्व की परिपाटी को एक नितान्त भारतीय रूप दे दिया था।
ISBN: 9788126725335
Pages: 112
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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ऐसी सकारात्मक सच्चाइयों से प्रेरित इस पुस्तक ‘लोकल से ग्लोबल : इंडियन कॉरपोरेट्स’ में उदारीकरण के दूसरे दशक (2001-2010) में भारतीय उद्योग जगत की ֹ‘लोकल से ग्लोबल’ बनने की सफल कोशिश दोहराई गई है। यह पुस्तक उन पचास भारतीयों की यशोगाथा है, जिन्होंने साबित किया है कि भारतीय ठान लें तो कुछ भी कर सकते हैं, वह भी दूसरों से बेहतर।
Management Funda : Vyavaharik Evam Aadhyatmik Sootra
- Author Name:
N. Raghuraman
- Book Type:

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Description:
प्रबन्धन के इस युग में सफलता प्राप्त करने के कुछ पारम्परिक तरीक़े हैं तो कुछ करते-करते सीख जानेवाले मौलिक सूत्र भी। लेकिन यह तय है कि योग्य और श्रेष्ठ प्रबन्धन के द्वार पर दस्तक देने के लिए सफलता मजबूर होती है। आधुनिक समझ और साहित्य में प्रबन्धन के जितने सूत्र सिमटे हैं, उतने ही संकेत हमारे प्राचीन आध्यात्मिक ग्रन्थों में भी वर्णित हैं। हमारे प्राचीन ग्रन्थ इस मामले में उदाहरण हैं कि उनमें सुख-शान्ति और विजय प्राप्त करने का वर्णन प्रबन्धकीय रीति-नीति से किया गया है।
इस पुस्तक में हमारा पहला प्रयास यह है कि सांसारिक प्रगति और आध्यात्मिक रुझान के विरोधाभास को मिटाया जाए। जीवन के हर क्षेत्र में प्रबन्धन से प्राप्त की जा रही सफलता के लिए जो समझ होती है, उसके व्यावहारिक दृष्टि के इक्यावन उदाहरण इस पुस्तक में हैं। ठीक इन उदाहरणों के सामने वाले पृष्ठ पर व्यावहारिक दृष्टिकोण से मिलते हुए आध्यात्मिक सोच के प्रसंग दिए गए हैं।
Manav Sansadhan Prabandhan Ke Anubhoot Aayam
- Author Name:
Ram Janam Singh
- Book Type:

- Description: H R Management
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