
Marubhoomi
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
112
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
224 mins
Book Description
कहते हैं, अगर व्यक्ति का उद्देश्य सिर्फ़ अपनी धन-लालसा को पूर्ण करना ही रह जाए तो फिर कोई सम्बन्ध, कोई मूल्य उसके लिए कोई मायने नहीं रखता।</p> <p>बांग्ला उपन्यासकार शंकर के इस उपन्यास में भी ऐसी ही एक लिप्सा-कथा को बताया गया है। सोमनाथ जिसके दो भाई सेवा-क्षेत्र में सफलतापूर्वक अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे, अपने लिए व्यवसाय का मार्ग चुनता है, और देखते-देखते वही उसका सब कुछ हो जाता है। मातृ-तुल्य कमला भाभी भी उसे उसकी व्यस्तताओं से नहीं निकाल पातीं। विवाह का उनका आग्रह भी वह कभी ठीक नहीं सुनता।</p> <p>दूसरी तरफ़ सोमनाथ का मित्र है सुकुमार जो लगातार की बेकारी से मनो-चिकित्सालय में पहुँच जाता है। कणा सुकुमार की बहन है जो सोम पर विश्वास करती है, लेकिन सोम उसके भरोसे को अपनी व्यावसायिक सफलता के लिए बेच देता है। अपने घर की आर्थिक स्थिति से व्याकुल उस लड़की की पवित्रता किसी बड़े बिजनेस-ठेके की रिश्वत बन जाती है।</p> <p>अपने सबसे नज़दीकी मित्र की बहन को सफलता की सीढ़ी बनाकर उसने बहुत कुछ हासिल किया। लेकिन फिर आख़िरकार उसी को अपनी पत्नी के रूप में भाभी कमला के सामने लाना पड़ा। यह उपन्यास लालच और लिप्सा की सौ जीभों वाली भूख और मनुष्य के अन्तस में बसे अनुताप की संघर्ष-कथा है, जो बताती है कि उम्मीद की एक आख़िरी किरण मनुष्य के भीतर हमेशा बची रहती है, वह चाहे कितना भी क्यों न गिर जाए। एक मार्मिक और विचारोत्तेजक उपन्यास।