
Allamprabhu : Pratibha Ka Shikhar
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
116
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
232 mins
Book Description
अज्ञान रूपी पालने में</p> <p>ज्ञान रूपी शिशु सुलाकर</p> <p>सकल वेदशास्त्र रूपी रस्सी से बाँधकर झूला,</p> <p>झुलाती हुई पालने</p> <p>लोरी गा रही है, भ्रान्ति रूपी माई!</p> <p>जब तक पालना न टूटे, रस्सी न कटे</p> <p>लोरी बन्द न हो</p> <p>तब तक गुहेश्वर लिंग के दर्शन नहीं होंगे॥</p> <p> </p> <p>अल्लम सृजनशीलता के प्रति विश्वास रखते हैं कि ‘नि:शब्द ज्ञान क्या शब्दों की साधना से सम्भव है?’</p> <p> </p> <p>बहती नदी को देह भर पाँव</p> <p>जलती आग को देह भर जिह्वा</p> <p>बहती हवा को देह भर हाथ</p> <p>अतः गुहेश्वर, तेरे शरण का सर्वांग लिंगमय है॥