Nai Kahani Aur Amarkant
Author:
Nirmal SinghalPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Language-linguistics0 Reviews
Price: ₹ 716
₹
895
Available
प्रेमचंद की कहानी-परंपरा के वाहक के रूप में ख्यात अमरकांत नई कहानी के भी प्रमुख रचनाकार हैं। उनकी कहानियों के निम्न मध्यवर्गीय और मध्यवर्गीय पात्र ‘क़फ़न’ के घीसू-माधव के वंशज प्रतीत होते हैं। साथ ही स्वातंत्र्योत्तर भारत के मोहभंग और निराशा को भी उन्होंने अपनी कहानियों में समेटा है। बल्कि कहना चाहिए कि धीरे-धीरे यही तत्व उनकी कहानियों में केंद्रीय होते चले गए हैं। साथ ही आया व्यंग्य और एक तीखा कटाक्ष जो स्वतंत्रता-बाद के सफेद-पोश भारतीय समाज की निर्ममतापूर्वक पोल खोलता है। इसी व्यंग्य के सहारे उन्होंने हमारे भीतर स्थायी भाव की तरह जड़ जमाते संत्रास, ऊब, घुटन, अकेलेपन और भीतरी-बाहरी हिंसा को भी बड़ी कुशलता के साथ रेखांकित किया है।</p>
<p>प्रस्तुत पुस्तक में अमरकांत के लगभग संपूर्ण कथा-जगत पर एक गहन दृष्टि के साथ-साथ नई कहानी-आंदोलन में उनकी अवस्थिति को तलाशने की भी कोशिश की गई है। इस प्रयास में एक तरफ जहाँ अमरकांत की रचनात्मकता के विभिन्न पहलुओं और उनकी कहानियों में आए पात्रों और अनेक शिल्प व कथ्यगत तत्वों का खुलासा हुआ है, वहीं नई कहानी आंदोलन के विशिष्ट पक्षों और अन्य समकालीन रचनाकारों के योगदान पर भी व्यापक प्रकाश पड़ा है।
ISBN: 9788171194643
Pages: 243
Avg Reading Time: 8 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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गम्भीरता से पाठक को आतंकित नहीं करते। वे अपना मन्तव्य सहज भाव से व्यक्त करते हैं, लेकिन
बहुत ‘कन्विंसिंग’ ढंग से। बकौल उनके, ‘‘ये अपने समय तथा साहित्य के प्रति प्रतिक्रियाएँ हैं।’’
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