Aandharmanik
Author:
Mahashweta DeviPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 1196
₹
1495
Available
सन् साठ के दशक के कई बांग्ला प्रकाशन महत्त्वपूर्ण थे। इसी दौर में ‘आंधारमानिक’ उपन्यास लगभग 1967 में प्रकाशित हुआ था। पहली बार कथावस्तु की तर्जनी जनता के इतिहास की तरफ़ उठी थी। इस उपन्यास में उपयोग किया गया ‘आंधारमानिक’ नाम एक ख़ास केन्द्रबिन्दु है और इसे रूपक ही मानना चाहिए। अठारहवीं सदी में बंगाल के समाज में धनी-मानी, ज़मींदार वग़ैरह वर्गों के मूल्यबोध का तो दिवाला ही निकल गया था। एक तरफ़ जातियों की किचिर-पिचिर, संकीर्णता, अनुदारता, दूसरी तरफ़ ऐश-विलास! इधर समाज में प्रचलित अन्धविश्वास, कुत्सित प्रथाएँ। बंगाल के समाज का इतिहास अनगिनत विचित्रताओं से भरा था। जंगल इलाक़ों के लोग, अपने सामन्त स्वामियों के ख़िलाफ़ काफ़ी अर्से पहले ही बागी हो चुके थे। इस कृति में वर्गीय आक्रमण और उससे जुड़ी कई घटनाओं तथा समाज पर पड़नेवाले उसके प्रभावों का प्रामाणिक चित्रण किया गया है। ‘आंधारमानिक’ प्रमुख रूप से लोकवृत्त का इतिहास है–कलकत्ता से जुड़े मध्यवित्त जीवन की शुरुआत से पूर्व–मुहूर्त का इतिहास! यह उपन्यास किसी अर्थ में समकालीन भी है, क्योंकि वर्ण-श्रेणी शासन की औरतों के प्रति तर्जनी ताने रहने जैसी कितनी बातें हमारे समाज के ऊपरी स्तर तले आज भी विद्यमान हैं। आशा है, इस उपन्यास को पढ़ना पाठकों के लिए एक दिलचस्प अनुभव होगा।
ISBN: 9788171199013
Pages: 484
Avg Reading Time: 16 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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इ पोथी कें लोकप्रियता सिर्फ समाजक यथार्थ चित्रण सँ नहि मिलल। एकर भाषा आ शिल्प अप्रतिम अछि। इ उपन्यास मैथिली समाजक मनोवृत्ति आ विसंगति कें बिना लाग-लपेट अभिव्यक्त करैत अछि। हास्यक रस होयतो इ पुस्तक मर्मस्पर्शी अछि। अहि लेल एकरा पढ़बा लेल गैर-मैथिली भाषी सेहो मैथिली सिखलाह। आ जे पढ़बा मे समर्थ नहि छलाह, से वाचन सं एकर रसास्वादन कैलाह। हरिमोहन झा हास्य सम्राट जरूर कहल जायत छैथ, मुदा ओ एहन दक्ष गद्यकार सेहो छलाह, जे मनोरंजक ढंग सँ कथा कहैत पाठक कें यथार्थक भूमि पर विस्मित कऽ दैत छथिन। हुनकर लेखनी विमर्शक एतेक द्वारि खोलैत अछि कि पाठकगण सोचबा लेल विवश होयत छैथ। ‘कन्यादान’ सेहो इ कसौटी कें सार्थक करैत अछि। इ उपन्यास मे अपन बिटियाक विवाहक हेतु माय-बाप कें चिन्ता अछि, विवाह कें सम्भव बनैबाक हेतु सूत्रधारक दाँव-पेच, नव रंग-ढंग मे रंगल पतिक आकांक्षा, अनपढ़ आ गामक संस्कृति मे रमल पत्निक कायान्तरण, आ सबसँ उल्लेखनीय, पुरातन बनाम आधुनिक परम्पराक जंग अछि। हरिमोहन झा कें नजर से केओ बाँचल नहि छैथ, अहि लेल ‘कन्यादान’ अनवरत प्रासंगिक बनल अछि।
इ पोथी मे ‘कन्यादान’ तथा ‘द्विरागमन’ (1943)— जे वस्तुत: एके उपन्यासक दू भाग अछि—एक संग प्रकाशित अछि। पाठक लोकनि हरिमोहन झा कऽ इ करिश्मा कें स्वयं अनुभव करू...
Literary Riaz
- Author Name:
Komal Raichandani
- Book Type:

- Description: This book is an attempt to tenderly delineate the emotions weaved in the form of short narratives, poetry, a letter, a sketch, a review, a dairy entry, a prayer, a play, and a conversation all weaved into one! As each letter passes, there is something new to look at, connect, hear and taste a bit of almost every literary genre! We have a qualm teacher and an emotionally aware student, an allegory of an object RIN and semi-living flower, a childhood reminisce, bio-sketch, a socially awkward theatre artist and an emotionally agile driver, a sweet conversation, letters and their replies, poetry, quotes from General and extraordinary people/things around and a review. Everything is interconnected, and things gradually develop and blossom when it's Z!
Aadividrohi
- Author Name:
Howard Fast
- Book Type:

-
Description:
ईसा पूर्व 73 के आसपास रोम में हुए ग़ुलाम-विद्रोह की यह महागाथा ‘आदिविद्रोही’ स्वतंत्रता, प्रेम, उम्मीद और जिजीविषा की अपूर्व कथा है। इस विद्रोह का नेतृत्व ग़ुलामों के परिवार में ही जन्मे स्पार्टकस ने किया था। यह वह दौर था जब ग़ुलामी की प्रथा अपने शिखर पर थी और मनुष्यता का विशाल हिस्सा मुट्ठीभर उच्च वर्ग की सेवा और मनोरंजन का साधन भी था। तत्कालीन रोम के सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक जीवन में ग़ुलामी की यह प्रथा कैसे काम करती थी, इसका अनुमान तो इस ऐतिहासिक उपन्यास से होता ही है; ग़ुलामों का अपना जीवन कैसा था; ग़ुलाम पुरुषों और स्त्रियों को पराधीनता की मानसिक यंत्रणा के अलावा शारीरिक तौर पर भी क्या कुछ झेलना पड़ता था, यह भी इससे समझा जा सकता है।
लेकिन उपन्यास का केन्द्रीय पात्र स्पार्टकस ही है जिसे कापुआ के अमीर लानिस्ता लेन्टुलस बाटियाटस ने ग्लैडिएटर के रूप में तैयार किया और जिसने आगे जाकर अपनी और अपने साथी ग़ुलामों की आज़ादी के लिए एक ऐतिहासिक विद्रोह को अंजाम दिया। स्वाधीनता, समानता और मुक्त विवेक के पैरोकार हावर्ड फ़ास्ट ने अपनी कृतियों में हमेशा ही साधारण जन की अन्तर्निहित शक्ति को पहचानते हुए ऐसी कथाओं की रचना की जो मानवता के भविष्य को लेकर उम्मीद पैदा करती है।
1951 में लिखे गए इस उपन्यास के विषय में यह जानना भी रोचक होगा कि तत्कालीन राजनीतिक परिस्थितियों के चलते उस समय अमेरिका के किसी प्रकाशक ने इसे छापने का साहस नहीं दिखाया था, लेखक ने इसे अपने परिचितों और पाठकों की सहायता से स्वयं प्रकाशित किया था। बाद में यह फ़िल्मों और टीवी धारावाहिकों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बना।
Our Dharma Between Us
- Author Name:
Pratik Sharma
- Book Type:

- Description: Every love story has two endings, either the lovers meet or they don’t. The journey between the commencement and conclusion is different for everyone, and that’s your original story.Joy deep Singh, a Sikh in his twenty-six, starts working as teacher and does voluntary service with his dad. A day comes when he comes across Pratik, a friend from his school. They meet after 4 years in the school.Being parted for a long time, they start discussing their old days. However, the name of Meenakshi drags joy deep into some thick and thin memories of his life.Being in a live-in relationship for five years, and separating later, joy illustrates his heart-rending story to Pratik. How much does a thread of a Hindu and a turban of a Sikh matters in a marriage if love is the biggest dharma?.
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