
Kahne Ko Bahut Kuchh Tha
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
416
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
832 mins
Book Description
प्रभाष जोशी की इस पुस्तक में उनके सम्पूर्ण लेखन से चुनकर प्रतिनिधि लेखों का संग्रह किया गया है<strong>।</strong> वे एक समाजधर्मी पत्रकार थे जिन्होंने अपने समय के बनते इतिहास का दो टूक विश्लेषण किया<strong>।</strong> उसके साथ ही अपने सक्रिय वैचारिक पहल से समकालीन इतिहास को बनाने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई<strong>।</strong> आज के समय में ऐसे पत्रकार और समाज चिन्तक की कमी एक गतिरोध और यथास्थिति का माहौल बना रही है<strong>।</strong> ऐसे में प्रभाष जोशी के ये लेख एक नई पहल के लिए प्रेरित करते हैं<strong>।</strong> पुस्तक में इन अध्यायों के अन्तर्गत लेख रखे गए हैं, उनके शीर्षक हैं : ‘पत्रकारिता है सदाचारिता’, ‘अपनी हिन्दी का हाल’, ‘शिखरों के आसपास’, ‘राजमंच का नेपथ्य’, ‘खेल का सौन्दर्यशास्त्र’ तथा ‘बार-बार लौटकर जाता हूँ नर्मदा’<strong>।</strong> ये शीर्षक ही पुस्तक में संकलित लेखों के कथ्य बयान कर देते हैं<strong>।</strong> एक बार फिर से प्रभाष जोशी को पढ़ना आपको इस मुश्किल समय से नए सिरे से परिचित कराएगा<strong>।</strong> सामाजिक बदलाव की पहल के लिए प्रेरित करेगा<strong>।</strong>