Rajendra Rao Ki Lokpriya Kahaniyan
Publisher:
Prabhat Prakashan
Language:
Hindi
Pages:
191
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
382 mins
Book Description
"देवों और असुरों की एक ऐसी कहानी, जिसमें ध्रुव-लोक नाम के मिथकीय देश में भगवान् शिव का त्रिशूल रखा है, जिसे सदियों से कोई भी धारण नहीं कर सका है। भविष्यवाणी, शपथ, वरदान और अभिशाप के साथ न्याय, कर्तव्य और प्रेम के बीच एक साहसिक युद्ध की परिस्थितियाँ बन चुकी हैं। शक्तिशाली त्रिशूल को किसने धारण किया? अवश्यंभावी युद्ध में भगवान् विष्णु किसका पक्ष लेंगे? क्या एक सदाचारी अपनी शपथ का पालन करने के लिए अधर्म करेगा? क्या एक निम्नवर्गीय छात्र के साथ अन्याय होगा? क्या एक राजा अपने पुत्र-प्रेम में बँध जाएगा? धर्म का पालन कौन करता है और कौन डगमगा जाता है? एक युद्ध-कथा इस विषय पर कि मनुष्य होने का अर्थ क्या होता है! प्रस्तुत पुस्तक आपको इस महागाथा के मूल तक ले जाती है। देवों और असुरों की सेनाएँ अपनी शक्तियों का प्रदर्शन करने के लिए आमने-सामने खड़ी हैं। सभी के प्रारब्ध आपस में टकराने वाले हैं और एक भीषण संग्राम छिड़ने वाला है।