Rashtriya Swayamsevak Sangh  Kya Kyon Kaise

Rashtriya Swayamsevak Sangh Kya Kyon Kaise

Authors(s):

Vijay Kumar

Language:

Hindi

Pages:

184

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

368 mins

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Book Description

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का अर्थ है-“अपनी इच्छा से राष्ट्र की सेवा करनेवालों का अनुशासित समूह” | इसीलिए देश की सीमाओं पर या देश के अंदर किसी भी संकट में स्वयंसेवक सबसे पहले और सबसे आगे खड़े मिलते हैं | संघ की सबसे बड़ी विशेषता उसकी कार्यप्रणाली है | संघ की वृद्धि का कारण भी यही है | इसी से वह अन्य संगठन और संस्थाओं से अलग है | बाकी संस्थाएँ धरना-प्रदर्शन, वार्षिकोत्सव, धर्मसभा आदि के माध्यम से काम करती हैं; पर संघ की कार्यप्रणाली का केंद्र दैनिक शाखा और उसमें होनेवाले कार्यक्रम हैं | स्वयंसेवक की पहचान उसके राष्ट्रीय विचार और सद्व्यवहार से होती है, किसी विशिष्ट वेश या बाहरी चिह्न से नहीं ।संघ हिंदू समाज में नहीं, हिंदू समाज का संगठन है ।इसलिए स्वयंसेवक समाज में बाकी सबकी तरह ही रहता है | संघ की कार्यप्रणाली की एक बड़ी विशेषता उसका लचीलापन है। समय, स्थान और माहौल के अनुसार इसमें कई बार परिवर्तन हुए हैं । पहले सैन्य परेड, सैनिक गणवेश और शस्त्र प्रशिक्षण पर जोर रहता था; पर फिर खेल, योगासन और नियुद्ध आदि आ गए | गणवेश भी कई बार बदला है | इस लचीलेपन के कारण प्रतिबंधों के समय भी किसी-न-किसी रूप में संघ का काम चलता रहा।

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