Shaurya-Parakram ki Kahaniyan

Shaurya-Parakram ki Kahaniyan

Language:

Hindi

Pages:

128

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

256 mins

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Book Description

"एक महीने के पश्चात महाराणा फिर आगे बढ़े, 16 मार्च, 1527 को खानवा के मैदान में फिर बाबर से दो-दो हाथ हुए। बाबर का मनोबल गिरा हुआ था। बाबर की सेना तो स्वयं को हारा हुआ ही मान रही थी। समरकंद से वहाँ के ज्योतिषी की भविष्यवाणी आई थी कि बाबर को पराजय मिलेगी, वह शत्रु-सेना के द्वारा पकड़ा भी जा सकता है, क्योंकि उस समय मंगल ग्रह प्रबल था, जो बाबर के अनुकूल नहीं था। युद्ध जोरों पर था। दोनों ओर की सेना मारो, मारो, मारो-काटो चिल्ला रही थी। ‘अल्लाहू अकबर’ तथा ‘हर-हर महादेव’ के उद्घोष सुनाई पड़ रहे थे। महाराणा अपनी विजय गाथा दोहराने को तत्पर थे। उनकी एक आँख तो युवावस्था में ही चली गई थी। अनेक युद्ध लड़े, जिनमें एक हाथ और एक टाँग भी जाती रही। फिर भी महाराणा सांगा एक साहसी श्रेष्ठ वीर की भाँति युद्ध से कदम पीछे हटाने की कभी नहीं सोचते थे। उन्होंने लगभग बीसियों युद्ध लड़े और विजय प्राप्त की। खानवा का युद्ध शायद महाराणा का अंतिम युद्ध था। —इसी पुस्तक से भारतीय इतिहास साहस, शौर्य, पराक्रम और निडरता की गौरवगाथाओं से भरा पड़ा है। राष्ट्राभिमानी वीर सपूतों ने मातृभूमि और अपने परिवार-समाज की रक्षा हेतु अदम्य युद्धकौशल और पराक्रम का परिचय देकर शत्रु सेनाओं के दाँत खट्टे कर दिए और अपने ध्वज का मान रखा। इस पुस्तक में ऐसे ही बलशाली, पराक्रमी, निर्भीक सेनानायकों की कहानियाँ हैं, जो हमारे गौरव को जगाएँगी और देश के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित भी करेंगी। "

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