Uttar Pradesh Ki Lokkathayen
Publisher:
Prabhat Prakashan
Language:
Hindi
Pages:
160
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
320 mins
Book Description
भारत की सांस्कृतिक परंपराओं की विरासत यहाँ के सभी प्रदेशों की आंचलिक लोककथाओं में सुरक्षित हैं। ये कथाएँ परंपराओं के मूर्त, अमूर्त अवशेष के रूप में संस्कृति की शिक्षा देती रही हैं। ये धार्मिक समन्वय और अखंड भारत के स्वरूप का अध्ययन भी प्रस्तुत करती हैं। इस पुस्तक में हिंदी की पोषक उत्तर प्रदेश की जनपदीय लोकभाषाओं की कथाएँ हैं। उत्तर प्रदेश की मुख्य लोकभाषाएँ या हिंदी की बोलियाँ हैं— अवधी, आदिवासी, कौरवी, ब्रज, बुंदेली, भोजपुरी आदि। वही कथाएँ प्रायः सभी लोकभाषाओं में पाठ भेद के साथ मिलती हैं। उत्तर प्रदेश की सभी बोलियों, उपभाषाओं का लोककथा साहित्य रोचक, प्रेरक और समृद्ध है। यह दावा नहीं किया जा सकता कि कौन सी कथा किस बोली-क्षेत्र की है। सब में एक ही मूल भाव, लोकमंगल उपस्थित है। कथा के अंत में कहा जाता है कि ‘सबके अच्छे दिन बहुरे...’अर्थात् किसी के साथ बुरा न हो। संकलन में जो लोककथाएँ हैं, उनमें धार्मिक-पौराणिक कथाएँ, हास्य कथाएँ, नीति संबंधी कथाएँ, प्रकृति से जुड़ी कथाएँ तो हैं ही, व्रत-पर्व, त्योहारों से जुड़ी ऐसी कथाएँ भी हैं, जिनमें देवी-देवताओं के कथानक, उनकी महिमा और कृपा, व्रत के फल, विधि-विधान तथा व्रत-पर्वों के महत्त्व का वर्णन है। उत्तर प्रदेश की लोक संस्कृति, परंपराओं और मान्यताओं का दिग्दर्शन करवाती पठनीय लोककथाओं का संकलन।