Kuchh Alpa Viraam
Author:
Sachchidanand JoshiPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 160
₹
200
Available
‘कुछ अल्प विराम’ को साहित्य की किसी एक विधा के खाँचे में डालकर नहीं देखा जा सकता, क्योंकि यह विधाओं की परिधि को तोड़कर जिंदगी की सच्चाई से सीधा संबंध जोड़ती है। इसमें जीवन के उन सभी छोटे-बड़े प्रसंगों को इकट्ठा करने की कोशिश की है, जो गुदगुदाते हैं, हँसाते हैं, रुलाते हैं, कभी हल्की सी चपत लगाते हैं और कभी चिकोटी काट लेते हैं। सबकुछ उतना ही जितना जरूरी है, हमें हमारी असमय नींद या तंद्रा से जगाने के लिए काफी है। कभी लघुकथा के माध्यम से, तो कभी किस्से के माध्यम से और कभी-कभी संस्मरण के माध्यम से। जरूरी नहीं कि जिंदगी का हर सबक, हर समय किसी भारी भरकम शास्त्रीय किताब से ही सीखा जाए। जिंदगी के छोटे से प्रसंग भी कई बार बड़ा सबक सिखा जाते हैं। ऐसे ही प्रसंगों को जो हमारे जीवन में अल्प विराम की तरह हैं, बेहद सरल भाषा और सहज शैली में सँजोकर प्रस्तुत करने की कोशिश है, ‘कुछ अल्प विराम’।
ISBN: 9789352667406
Pages: 144
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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इला जो अपने स्त्री वजूद को अर्थ देने और समाज के लिए कुछ कर गुज़रने का हौसला लेकर ख़ाकी वर्दी पहनती है, वहाँ जाकर देखती है कि वह चालाक, कुटिल लेकिन डरपोक मर्दों की दुनिया से निकलकर कुछ ऐसे मर्दों की दुनिया में आ गई है जो और भी ज़्यादा क्रूर, हिंसालोलुप और स्त्रीभक्षक हैं। ऐसे मर्द जिनके पास वर्दी और बेल्ट की ताक़त भी है, अपनी अधपढ़ मर्दाना कुंठाओं को अंजाम देने की निरंकुश निर्लज्जता भी और सरकारी तंत्र की अबूझता से भयभीत समाज की नज़रों से दूर, थाने की अँधेरी कोठरियों में मिलनेवाले रोज़-रोज़ के मौक़े भी। अपनी बेलाग और बेचैन कहन में यह उपन्यास हमें बताता है कि मनुष्यता के ख़िलाफ़ सबसे बीभत्स दृश्य कहीं दूर युद्धों के मोर्चों और परमाणु हमलों में नहीं, यहीं हमारे घरों से कुछ ही दूर, सड़क के उस पार हमारे थानों में अंजाम दिए जाते हैं। और यहाँ उन दृश्यों की साक्षी है बीसवीं सदी में पैदा हुई वह भारतीय स्त्री जिसने अपने समाज के दयनीय पिछड़ेपन के बावजूद मनुष्यता के उच्चतर सपने देखने की सोची है।
मर्दाना सत्ता की एक भीषण संरचना यानी भारतीय पुलिस के सामने उस स्त्री के सपनों को रखकर यह उपन्यास एक तरह से उसकी ताक़त को भी आजमाता है और कितनी भी पीड़ाजन्य सही, एक उजली सुबह की तरफ़ इशारा करता है।
Sampurna Upanyas : Mannu Bhandari
- Author Name:
Mannu Bhandari
- Book Type:

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मूलतः कहानीकार और भारतीय स्त्री की जटिल मनोभूमि का उत्खनन करनेवाली अनेक कहानियों की रचयिता मन्नू जी ने उपन्यास कम ही लिखे हैं। जिन दो उपन्यासों, ‘आपका बंटी’ और ‘महाभोज’, के लिए उन्हें विशेष तौर पर जाना जाता है, वे हिन्दी उपन्यास के इतिहास में क्लासिक का दर्जा रखते हैं। उनकी उपन्यास-कला ने अपने उसी सहज रास्ते अपना आकार लिया जिससे उनकी रचनात्मकता के अन्य रूप कहानियों में उतरे थे। इसलिए ‘आपका बंटी’ और ‘महाभोज’ को भी किसी शिल्पगत चमत्कार के लिए नहीं, अपनी विषयवस्तु के प्रामाणिक प्रस्तुतीकरण और अबाध पठनीयता के लिए जाना जाता है।
‘एक इंच मुस्कान’ भी जो रचनाक्रम के लिहाज़ से मन्नू जी का पहला उपन्यास है और अपनी संरचना में प्रयोगधर्मी भी, इस विशेषता से रहित नहीं है। सर्वविदित है कि यह उपन्यास मन्नू भंडारी और राजेन्द्र यादव की संयुक्त रचना है, जिसकी रचना-प्रक्रिया के विषय में मन्नू जी ने प्रस्तुत पुस्तक की भूमिका में विस्तार से जानकारी दी है। इन तीन उपन्यासों के साथ इस संकलन में मन्नू जी के अन्तिम उपन्यास ‘स्वामी’ को भी रखा गया है। मूलतः शरत की इसी नाम की कहानी पर आधारित यह उपन्यास अपने चरित्रों की संरचना और तेवर में मूल से इतना दूर आ जाता है कि वह लेखिका की अपनी ही स्वतंत्र रचना हो जाता है। मन्नू जी के चारों उपन्यासों की यह प्रस्तुति उनके पाठकों के साथ-साथ हिन्दी साहित्य के अध्येताओं और शोधार्थियों के लिए भी उपादेय होगी।
Kyon Phanse
- Author Name:
Yashpal
- Book Type:

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वैचारिक निष्ठा के आधार पर समाज और सम्बन्धों का विश्लेषण अक्सर ही यशपाल के उपन्यासों का विषय रहा है। लेखक के रूप में उनकी मान्यता थी कि साहित्य का उद्देश्य केवल मनोरंजन और प्रचलित मूल्यों का पिष्टपोषण नहीं, बल्कि उनके ऊपर प्रश्न उठाना और परिवर्तन को बल प्रदान करना है।
‘क्यों फँसें’ उपन्यास स्त्री-पुरुष सम्बन्धों की जटिल दुनिया का अन्वेषण है। अट्ठाईस वर्षीय युवा पत्रकार और मोती के रति-सम्बन्धों को आधार बनाकर लिखा गया यह वृत्तान्त स्त्री और पुरुष के रिश्तों में एक नई दिशा को खोजने की कोशिश करता है, और हमारे सामने विचार के लिए कई प्रश्न छोड़ जाता है।
Adab Mein Baaeen Pasli : Afro-Asiayi NataK Vol. 4
- Author Name:
Nasera Sharma
- Book Type:

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इस संग्रह में तीन महत्त्वपूर्ण नाटकों के अनुवाद दिए जा रहे हैं। जिनमें नाटककारों के अपने व्यक्तित्व एवं जीवन की गहरी छाप है। उस भाषा देश और समाज की परम्पराएँ तो झलकती हैं, साथ ही उनकी समस्याएँ, कठिनाइयाँ, दु:ख और सुख की भी सूचनाएँ मिलती हैं।
रचनाकारों और पाठकों की अपनी निजी जीवन-दृष्टि, अनुभव, पसन्द-नापसन्द होती हैं मगर इन सब के बावजूद कुछ रचनाएँ इन सारी बातों के दबाव से निकल अपनी उपस्थिति विश्व स्तर के साहित्यकारों और पाठकों व आलोचकों में बना लेती हैं, जहाँ नापसन्दगी के बावजूद उसकी अहमियत से इंकार नहीं किया जा सकता है। मिसाल के तौर पर इन तीनों नाटकों के विषय जिनके तारों से हर काल में नई आवाज़ें निकालने की कोशिशें की गई हैं जो आज भी जारी हैं। इसका कारण वे बुनियादी सवाल हैं, जिनसे लगातार आज का आधुनिक इंसान जूझ रहा है।
अली ओकला ओरसान का नाटक पुराने ऐतिहासिक पर्दे पर नई समस्याओं की ओर इंगित करता है। दूसरा नाटक 'पशु-बाड़ा’, गौहर मुराद का बेहद लोकप्रिय नाटक रहा है। रिफ़अत सरोश का पूरा वजूद शायरी और अदब से प्रभावित रहा है। उनके विषय किसी विशेष वर्ग या वाद तक सीमित नहीं रहे हैं, उनके व्यापक दृष्टिकोण का नमूना उनका नाटक 'प्रवीण राय’ है।
The Parallel Love
- Author Name:
Sid Crish
- Book Type:

- Description: This is the love story of two girls, Aditi and Zara. One is from Pakistan and other is from India. They meet and fall in love with each other in a foreign land, and they make a promise to fight every demon of society for the sake of their love.But destiny has other plans for their love story. When their love is at its peak, a tragedy befalls Aditi, which forces her to return to her home country and ghost herself. After months of no communication, Zara decides to visit India in search of her love. What happens when Zara lands in aditi’s country to seek her love? Will she be able to find her love in the country of billions of people? Will society ever accept their homosexual relationship? Or will they remain as two parallel lines, moving alongside each other But without a destination and never destined to meet?.
Ekta Aur Shakti
- Author Name:
Amrendra Narayan
- Book Type:

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भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एवं स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद देशी रियासतों का भारत में त्वरित विलय कराने, स्वाधीन देश में उपयुक्त प्रशासनिक व्यवस्था बनाने और कई कठिनाइयों से जूझते हुए देश को प्रगति के पथ पर अग्रसर कराने में लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल का योगदान अप्रतिम रहा है। वे लाखों लोगों के लिए अक्षय प्रेरणा-स्रोत हैं।
‘एकता और शक्ति’ सरदार वल्लभभाई पटेल के योगदान पर आधारित एक ऐसा उपन्यास है जिसमें एक सामान्य कृषक परिवार की कथा के माध्यम से सरदार श्री के प्रभावशाली कुशल नेतृत्व एवं तत्कालीन घटनाओं का वर्णन किया गया है। साथ ही, एक सम्पन्न एवं सशक्त भारत के निर्माण हेतु उनके प्रेरक दिशा-निर्देशों पर भी प्रकाश डाला गया है।
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