4 Baal Upanyas
Author:
Prakash ManuPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
General-non-fiction0 Reviews
Price: ₹ 360
₹
450
Unavailable
साहित्य अकादेमी के पहले बाल साहित्य पुरस्कार से सम्मानित प्रकाश मनु बच्चों के सुविख्यात कथाकार हैं। बच्चे और किशोर पाठक उनकी कहानियों और बाल उपन्यासों को खूब रस ले-लेकर पढ़ते, सराहते और जीवन भर अपनी यादों के पिटारे में सहेजकर रखते हैं।
प्रकाश मनु उस्ताद किस्सागो हैं, इसीलिए देश के कोने-कोने में फैले हजारों बच्चे उनके मुरीद हैं, जिन्हें उनकी लिखी कहानी की नई पुस्तकों और उपन्यासों का इंतजार रहता है। मनुजी की कलम का जादू इस कदर बाल पाठकों के मन को बाँध लेता है कि उनके साथ बहते हुए, कब वे देश-दुनिया की नई-नई और रोमांचक जगहों की सैर करके आ गए, उन्हें खुद पता नहीं चलता।
‘चार बाल उपन्यास’ प्रकाश मनुजी के दिलचस्प और भावनापूर्ण बाल उपन्यासों की नई पुस्तक है, जिसे पढ़कर बच्चे रोमांचित हो उठेंगे और खेल-खेल में बहुत कुछ सीखेंगे भी। पुस्तक में मनुजी के चार बड़े ही कौतुकपूर्ण बाल उपन्यास शामिल हैं—‘चिंकू-मिंकू और दो दोस्त गधे’, ‘भोलू पढ़ता नई किताब’, ‘सांताक्लाज का पिटारा’ तथा ‘गोलू भागा घर से’। ये चारों ऐसे उपन्यास हैं, जिनका जादू बाल पाठकों के दिलों पर तारी हो जाएगा, और जब तक वे उन्हें पूरा पढ़ नहीं लेंगे, पुस्तक उनके हाथ से छूटेगी नहीं।
निस्संदेह ‘चार बाल उपन्यास’ एक ऐसा बहुरंगी, मनमोहक उपहार है, जिसे बच्चे हमेशा सँजोकर रखेंगे और बार-बार पढ़ना चाहेंगे।
ISBN: 9789388131025
Pages: 176
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: ಕಥೆಗಾರ, ಬರಹಗಾರ ವಸುಧೇಂದ್ರ ಅವರು ಬರೆದ ‘ನಮ್ಮಮ್ಮ ಅಂದ್ರೆ ನಂಗಿಷ್ಟ’ ಕೃತಿ 2006ರಲ್ಲಿ ಮೊದಲ ಮುದ್ರಣಗೊಂಡು 2019ರಲ್ಲಿ ಹತ್ತೊಂಬತ್ತನೇ ಆವೃತ್ತಿ ಕಂಡಿದೆ. ಸರಳ ಪ್ರಬಂಧ ಸಂಕಲನಗಳಲ್ಲಿ ಲೇಖಕರು ತಾಯಿಯ ಮೊದಲ ಕೂಗಿನಿಂದ ನಡೆದ ಹೃದಯಸ್ಪರ್ಶಿ ಘಟನೆಗಳನ್ನು ವಿವರಿಸಿದ್ದಾರೆ. ಹುಟ್ಟಿದ ಕ್ಷಣದಿಂದ ಮಗು ತಾಯಿಯನ್ನು ಅಳಿಸುವಷ್ಟು ದೊಡ್ಡದಾದ ಸಮಯಕ್ಕೆ. ಪ್ಯಾಂಟಿನಲ್ಲಿ 'ಗಲೀಜು' ಮಾಡಿ ಎಲ್ಲರಿಗೂ ಅಸ್ಪೃಶ್ಯಳಾಗುವಂತೆ ಮಾಡುವ ತಾಯಿ, ಬಂಗಾರದಂತಹ ಸ್ಟೀಲ್ ಪಾತ್ರೆಗಳನ್ನು ಪ್ರೀತಿಸುವ ತಾಯಿ, ಭಿಕ್ಷುಕ ಮಗನ ಮುಂದೆ ಕುಳಿತು "ನೀನು ನಂಗೆ ಬೈದುಬಿಟ್ಟಿ" ಎಂದು ಮುಗ್ಧವಾಗಿ ಅಳುವ ತಾಯಿ. ಬೆಂಗಳೂರಿನ ಅಜ್ಞಾತ ಬೀದಿಯಲ್ಲಿ ಕಳೆದುಹೋಗುತ್ತಾಳೆ, ಶೌಚಕ್ಕೆ ಹೋದಷ್ಟೇ ಸಲೀಸಾಗಿ ಇಹಲೋಕ ತ್ಯಜಿಸುವ ತಾಯಿ, ತನಗೆ ಗೊತ್ತಿರದ ಉತ್ಕಟ ಪ್ರೀತಿ ಹೊಂದಿರುವ ತಾಯಿ. ಓದುಗನ ಭಾವುಕ ಜಗತ್ತಿಗೆ ನವಿರಾಗಿ ತಿಳಿಸುವ ಲೇಖಕರ ಈ ಕೃತಿ ಹಲವು ಬಗೆಯ ತಾಯಂದಿರ ಮನಸುಗಳನ್ನು ತಿಳಿಸುತ್ತದೆ. ಈ ಕೃತಿಗೆ ಕರ್ನಾಟಕ ಸಾಹಿತ್ಯ ಅಕಾಡೆಮಿ ಪ್ರಶಸ್ತಿ ಲಭಿಸಿದೆ
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