Amir Khusro
Publisher:
Prabhat Prakashan
Language:
Hindi
Pages:
208
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
416 mins
Book Description
अमीर खुसरो फरसी, अरबी, तुर्की, संस्कृत तथा हिंदी के विद्वान् थे। उनका मूल नाम अबुल हसन था। 'खुसरो' उनका उपनाम था, जो आगे चलकर इतना चर्चित हुआ कि लोग उनका असली नाम ही भूल गए |जलालुद्दीन खिलजी ने उनकी कविता से प्रसन्न होकर उन्हें 'अमीर' का खिताब दिया, तब से वे 'अमीर खुसरो' कहे जाने लगे । खुसरो ने दस वर्ष की उम्र में ही काव्य-रचना शुरू कर दी थी। उन्होंने दर्शन, धर्मशास्त्र, इतिहास, युद्धविद्या, व्याकरण, ज्योतिष, संगीत आदि का गहन अध्ययन किया। उनकी पुस्तक 'लैला मजनू' से पता चलता है कि उनकी एक पुत्री तथा तीन पुत्र थे। खुसरो में देशप्रेम कूट-कूटकर भरा था। उन्हें अपनी मातृभूति भारत पर बड़ा गर्व था। उन्होंने एक स्थान पर कहा है-'मैं हिंदुस्तान की तूती हूँ। अगर तुम वास्तव में मुझसे जानना चाहते हो तो हिंदवी में पूछो, मैं तुम्हें अनुपम बातें बता सकूँगा।' खुसरो ने कई लाख शेर लिखे । इनकी कृतियों की संख्या ९९ बताई जाती है, परंतु अभी तक ४५ कृतियों का ही पता चला है। अमीर खुसरो एक बहुत अच्छे गायक और संगीतशास्त्री भी थे। संगीत के वाद्य और गेय दोनों ही क्षेत्रों में इनका योगदान रहा है। कई भाषाओं के प्रकांड विद्वान् और आपसी सद्भाव के प्रतीक अमीर खुसरो के जीवन-प्रसंग और उनके रचनासंसार से परिचित करानेवाली अनुपम पुस्तक।