Ramanand Sagar Ke Jeevan Ki Akath Kahani

Ramanand Sagar Ke Jeevan Ki Akath Kahani

Authors(s):

Prem Sagar

Language:

Hindi

Pages:

348

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

696 mins

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Book Description

25 जनवरी, 1987 को ‘रामायण’ के पहले एपिसोड के प्रसारण के साथ ही भारतीय टेलीविजन हमेशा-हमेशा के लिए बदल गया। कुछ ही सप्ताह में पूरा देश इस सीरीज के आकर्षण में बँध गया। ‘रामायण’ के प्रसारण के दौरान सड़कें सूनी हो जाती थीं। सीरियल के समय पर न तो शादियाँ रखी जाती थीं, न राजनीतिक रैलियाँ। आज, तीन दशक बाद भी ऐसा कुछ नहीं जो उसका मुकाबला कर सके। इस अद्भुत घटना के सूत्रधार और बॉम्बे के सफल फिल्म निर्माता रामानंद सागर टेलीविजन की बेहिसाब क्षमता को पहचानने वाले कुछ प्रारंभिक लोगों में शामिल थे। पहली बार उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा राज कपूर की ‘बरसात’ (1949) के लेखक के रूप में मनवाया था। सन् 1961 से 1970 के दौरान सागर ने लगातार छह सिल्वर जुबली हिट्स लिखीं, प्रोड्यूस और डायरेक्ट कीं—‘घूँघट’, ‘जिंदगी’, ‘आरजू’, ‘आँखें’, ‘गीत’ और ‘ललकार’। ‘रामानंद सागर के जीवन की अकथ कहानी’, उनके पुत्र, प्रेम सागर की लिखी पुस्तक है, जो एक पुरस्कृत सिनेमेटोग्राफर हैं। यह पुस्तक एक दूरदर्शी के जीवन पर गहराई से नजर डालती है। इसमें 1917 में कश्मीर में सागर के जन्म और फिर 1947 में जब पाकिस्तानी कबाइलियों ने राज्य पर हमला किया तो किसी प्रकार वहाँ से बचकर निकलने से लेकर उनके बॉम्बे आने और उनके गौरवशाली कॅरियर का वर्णन है, जिसके सिर पर कामयाबी के ताज के रूप में ‘रामायण’ धारावाहिक की ऐतिहासिक सफलता सजी है।

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