Anmol Prasang
Publisher:
Prabhat Prakashan
Language:
Hindi
Pages:
188
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
376 mins
Book Description
प्रख्यात कन्नड साहित्यकार श्रीमती सुधा मूर्ति का नाम साहित्याकाश में जाज्वल्यमान् नक्षत्र की भांति आलोकित है। उन्होंने अपने व्यक्तित्व को मात्र गृहस्थी के साँचे में नहीं ढलने दिया। वह अपनी नसों में शिक्षक के खून के साथ जनमी थीं, परंतु वह शिक्षकों की भीड़ में सिर्फ एक और चेहरा बनकर ही नहीं रहीं। वह जनजातीय वनों, गरीबी से पीड़ित गाँवों और बीमारियों से तबाह समुदायों में गईं। उनका कार्य उनका मिशन है। यह पुसाक उनके कार्य तथा उसके प्रति उनकी प्रवृत्ति-दोनों का जीवंत वर्णन करती है। उन्होंने इस पुस्तक में अपने व्यक्तिगत अनुभवों, अपनी यात्राओं तथा असामान्य व्यक्तित्वोंवाले सामान्य व्यक्तियों के साथ अपनी मुलाकातों का वर्णन किया है। उन्होंने कई राज्यों की विस्तृत यात्रा की और हजार से अधिक गाँवों में गईं। वहाँ उन्होंने तमाम ऐसे व्यावहारिक ज्ञान और अनुभव बटोरे, जो मनुष्य जीवन को सुखद, सार्थक बनाने में महती भूमिका अदा करते हैं। प्रस्तुत पुस्तक में वर्णित सभी प्रसंग लेखिका के जीवन के भोगे हुए अनुभवों पर आधारित हैं। हमें पूर्ण विश्वास है, यह पुस्तक पाठकों को सुखी, सफल एवं सार्थक जीवन जीने हेतु प्रेरणा प्रदान करेगी तथा उनके व्यक्तित्व को निखारने एवं सँवारने में सहायक सिद्ध होगी।