Bihar Ki Lokkathayen
Publisher:
Prabhat Prakashan
Language:
Hindi
Pages:
168
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
336 mins
Book Description
ज्ञान-विज्ञान और संस्कार संस्कृति के क्षेत्र में सभ्यता के विकास - काल से ही बिहार अग्रणी रहा है। राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि वैश्विक संकट और संक्रमण के दौर में भी बिहार ने दिशा और दृष्टि दी है। साहित्य, संस्कृति, धर्म, अध्यात्म से संपन्न बिहार का वैभव विज्ञान और राजनीति में भी रहा है। विश्व को लोकतंत्र का मार्ग दिखाने वाला बिहार ही शून्य का ज्ञाता और प्रदाता है। अपने प्राचीन और समृद्ध विश्वविद्यालयों के माध्यम से संसार की मनीषा का केंद्र बना बिहार विश्वविभूतियों को अपनी मूल संपदा से सम्मोहित करता रहा है। साक्षात् धरती का अवतरण जगज्जननी सीता में देखते और समझते हैं । बिहार का लोक- अंचल गीत, संगीत, नृत्य, उल्लास और पर्व-त्योहारों से भरा हुआ है । जाड़े में अलाव तापते हुए तो गरमी में बतकही करते हुए लोककथाएँ कहने की परंपरा यहाँ आज भी जीवित है। दादी-नानी की कथा - कहानियाँ आज भी प्रचलन में हैं। ग्रामीण अंचल के आमजन की स्मृतियों में लोक-कथाओं का समृद्ध भंडार है। बिहार की लोककथाएँ पारिवारिकता, सामाजिकता और संस्कृति-सद्भाव से भरी हुई हैं। लोक-परंपरा के आलोक से भरी इस पुस्तक की लोककथाएँ जीवन संजीवनी, मानवीय संवेदना, प्रकृति-प्रियता तथा सांस्कृतिक विरासत को सँभालकर मन को शांत और स्वस्थ बनाएँगी, ऐसा विश्वास है। बिहार की लोककथाएँ कला, कल्पना और अनुभूति का प्रेमिल राग है, जिन्हें पढ़ते हुए पाठक स्पंदित, उद्वेलित और आनंदित होंगे।