Jack London Ki Lokpriya Kahaniyan
Publisher:
Prabhat Prakashan
Language:
Hindi
Pages:
176
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
352 mins
Book Description
एक बार फिर उसने चारों ओर दृष्टि घुमाकर देखा, यह बहुत हर्षदायक नजारा नहीं था। चारों ओर एक धुँधली आकाशरेखा था। सारे पहाड़ नीचे थे। कहीं पर भी कोई पेड़, झाड़ी या घास नहीं दिख रही थी। यहाँ तो केवल विशाल और भयंकर अकेलापन था, जिससे उसके अंदर एक भय की लहर सी दौड़ गई थी। वह दुधिया पानी में थोड़ा झुक गया, जैसे कि वह विशाल जलधारा उसके ऊपर ही चढ़ी आ रही थी और उसको निर्दयता से कुचले दे रही थी, उसकी सुषुप्ति से। वह बहुत जोर-जोर से हिलने लगा, जैसे उसको दौरा आ गया हो और उसकी बंदूक हाथ से छूटकर गिर पड़ी। वह अपने भय से लड़ा, अपने को सीधा किया तथा पानी में अपनी बंदूक खोजने लगा और फिर उसे पुनः वापस पा लिया। उसने अपने बैकपैक को बाएँ कंधे की ओर कर लिया, जिससे उसके घायल टखने को कुछ आराम मिल सके। फिर वह धीरे-धीरे दर्द से सिकुड़ते हुए आगे तट की ओर बढ़ने लगा। —इसी पुस्तक से जैक लंडन ने बहुत सारे साहसिक अभियान किए, जिससे नदी, पहाड़, जंगल और जंगल के जीवों ने उनकी कहानियों में प्रमुखता से स्थान बना लिया। उनकी ये कहानियाँ साहस और रोमांच से भरपूर हैं, जो पाठकों को रोमांचित कर देती हैं।