Bahodi
Publisher:
Prabhat Prakashan
Language:
Hindi
Pages:
208
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
416 mins
Book Description
यह उपन्यास मुंबई की झुग्णी-बस्ती में रहनेवाले दरिद्र लड़के “बाहोड़ी' के बारे में है, जिसका बाप दारू की लत के चलते उसे चंद रुपयों की खातिर शफीक भाई को बेच देता है । शफीक भाई उसे अपने बेटे अरमान के साथ विद्यालय में पढ़ने भी भेजता है, साथ ही अपने बार-रेस्त्राँ में झाड़ू-पोंछा और बड़ा होने पर अपने सारे गैरकानूनी काले काम भी करवाता है। आगे चलकर जहाँ एक ओर परिस्थितिवश गुलाम बाहोड़ी बुराई के रास्ते पर चलते हुए भी आई.बी. में चयनित होकर, फिर रॉ का हिस्सा बनकर अच्छाई की राह चुनता है, वहीं दूसरी ओर अरमान, जिसे शफीक भाई एक अच्छा इनसान बनाना चाहता था, किंतु वह कब बुराई की राह पकड़कर आतंकवादियों के साथ मिल जाता है, इसका उसे जरा भी भान नहीं रहता | साथ में बाहोड़ी-असमाँ व अरमान की रोमांचित कर देनेवाली प्रेम कहानी भी है | उपन्यास गंभीर व मार्मिक होने के साथ ही हास्य से भी भरपूर है, जो बीच-बीच\ में आपको भीतर-ही-भीतर गुदगुदाता भी है, कभी प्रेमवश तो कभी बुराई पर व्यंग्यवश | बाहोड़ी की कहानी जनमानस को जीवन में सकारात्मक सोच के साथ सही चुनाव करने, अपनी परिस्थितियों के अनुरूप ढलने और अपने बिगड़े हुए हालातों से संघर्ष करने को प्रेरित करती है | अंततः उपन्यास बुराई पर अच्छाई की जीत, धार्मिक सहिष्णुता व 'राष्ट्र प्रथम” की भावना का पुरजोर संदेश देता है