Interpretations Of The Shrimad Bhagwat Gita
Author:
Mamta MehrotraPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
EnglishCategory:
Other0 Reviews
Price: ₹ 240
₹
300
Available
We all come to this earth with a purpose. Our existence itself is for going through new experiences, making inferences out of them, learning, and moving on. In fact, at every step, we are seekers of knowledge. We have to learn and move on to the next Gigha plane.
This goes on in our world's journey of self-completion. The day we realise our purpose for existence on this earth, that very day we become enlightened, or the learned one. The irony is that unlike our yesteryear education, where Gurukul Parampara existed and every learning was associated with a blessing from Guru, education in today's parlance has become commercial and money-oriented. From Guru to Shishya, everyone is seeking education to make money out of it. Lost are the traditions, the value system, and the orientation in education. It is time that educationists and academicians give it a serious thought, and reorient and revamp our education system.
ISBN: 9788196159085
Pages: 152
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Hindi Varnamala ke Akshar "हिंदी वर्णमाला के अक्षर" Color Book
- Author Name:
Niharika
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Baans Ki Udarata Ka Rahasya By Sudha Murty | Hindi Edition Of How The Bamboo Got Its Bounty
- Author Name:
Sudha Murty
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Body Language
- Author Name:
Mk Mazumdar
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Yun Hi Nahin Ban Jata Koi Elon Musk "यूँ ही नहीं बन जाता कोई Elon Musk" Book In Hindi
- Author Name:
Parag Mahajan
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Upanivesh Mein Stree
- Author Name:
Prabha Khetan
- Book Type:

- Description: यह किताब जीवन के दो पक्षों के बारे में है। एक स्त्री का और दूसरा उपनिवेश का। न इस उपनिवेश को समझना आसान है और न स्त्री को। अगर यह उपनिवेश वही होता जिससे बीसवीं सदी के मध्य में कई देशों और सभ्यताओं ने मुक्ति पाई थी तो शायद हम इसे राजनीतिक और आर्थिक परतंत्रता की संरचना करार दे सकते थे। अगर यह उपनिवेश वही होता जिससे लड़ने के लिए राष्ट्रवादी क्रान्तियाँ की गई थीं और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था की अवधारणा पेश की गई थी तो शायद हम इसके ख़िलाफ़ उपनिवेशवाद विरोधी प्रत्यय की रचना आसानी से कर सकते थे। यह नवउपनिवेश के नाम से परिभाषित हो चुकी अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय पूँजी की अप्रत्यक्ष हुकूमत भी नहीं है। यह तो अन्तराष्ट्रीय वित्तीय पूँजी, पितृसत्ता, इतरलिंगी यौन चुनाव और पुरुष-वर्चस्व की ज्ञानमीमांसा का उपनिवेश है जिसकी सीमाएँ मनोजगत से व्यवहार-जगत तक और राजसत्ता से परिवार तक फैली हैं। दूसरे पक्ष में होते हुए भी स्त्री पाले के दूसरी तरफ़ नहीं है। वह उपनिवेश के बीच में खड़ी है। उपनिवेश के ख़िलाफ़ संघर्ष उसका आत्म-संघर्ष भी है और यही स्थिति स्त्री को समझने की मुश्किलों के कारण बनी हुई है। स्त्री मुक्ति-कामना से छटपटा रही है लेकिन उपनिवेश के वर्चस्व से उसका मनोजगत आज भी आक्रान्त है। गुज़रे ज़मानों के उपनिवेशवाद विरोधी संघर्षों की तरह औरत की दुनिया के सिपहसालार उपनिवेश के साथ हाथ-भर का वह अन्तराल स्थापित नहीं कर पाए हैं जो इस लड़ाई में कामयाबी की पहली शर्त है। ‘उपनिवेश में स्त्री : मुक्ति-कामना की दस वार्ताएँ’ इस अन्तराल की स्थापना की दिशा में एक प्रयास है। ये वार्ताएँ कारख़ाने और दफ़्तर में काम करती हुई स्त्री, लिखती-रचती हुई स्त्री, प्रेम के द्वन्द्व में उलझी हुई स्त्री, मानवीय गरिमा की खोज में जुटी हुई स्त्री, बौद्धिक बनती हुई स्त्री और भाषा व विमर्श के संजाल में फँसी हुई स्त्री से सम्बन्धित हैं।
Jharkhand : Ek Bechain Rajya Ka Sukh "झारखंड एक बेचैन राज्य का सुख" Book In Hindi
- Author Name:
Shyam Kishore Choubey
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Jansampark Ke Vividh Ayam
- Author Name:
Bhalchandra Joshi
- Book Type:

-
Description:
प्रस्तुत पुस्तक में जनसम्पर्क की परिचयात्मक अवधारणा एवं विकास के साथ-साथ सैद्धान्तिक पक्ष पर भी प्रकाश डाला गया है। जनसम्पर्क की सबसे महत्त्वपूर्ण कड़ी जनसम्पर्क के ‘जन’ होते हैं। पुस्तक में जनसम्पर्क जनों को विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट किया गया है। विभिन्न क्षेत्रों में जनसम्पर्क की संगठनात्मक संरचना पर भी प्रकाश डाला गया है। जनसम्पर्क के उपकरणों के प्रभावी उपयोग को भी पुस्तक में समाहित किया गया है। जनसम्पर्क के महत्त्वपूर्ण उपकरण विज्ञापन को भी पृथक् अध्यायों में स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है। विदेशों में हो रही जनसम्पर्क गतिविधियों को भी रेखांकित किया गया है। पारस्परिक विधाओं के साथ-साथ सोशल मीडिया जैसे आधुनिक माध्यमों को जनसम्पर्क हेतु उपयोग करने के विभिन्न तरीक़ों का भी इस पुस्तक में समावेश किया गया है, इसके साथ-साथ कुछ प्रमुख केस स्टडी एवं जनसम्पर्क में प्रयुक्त होनेवाली शब्दावलियों के माध्यम से भी जनसम्पर्क गतिविधियों को समझने का प्रयास है।
जनसम्पर्क के क्षेत्र में रुचि रखनेवाले पाठकों के लिए एक उत्कृष्ट पुस्तक हिन्दी भाषा में उपलब्ध हो रही है। मैं पूर्ण विश्वास से कह सकता हूँ कि यह पुस्तक सुधी पाठकों को जनसम्पर्क का सम्पूर्ण परिचय देने के साथ-साथ जनसम्पर्क के कौशलों को सिखाने में सहायक सिद्ध होगी।
—प्राक्कथन से
Swarsamrat Deenanath Mangeshkar
- Author Name:
Vandana Ravindra Ghangurde
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Samaj Chintan
- Author Name:
Avinash Rai Khanna
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Amritkaal Mein Swarnim Yatra Par Bharat
- Author Name:
Suresh Rungta
- Book Type:

- Description: "विगत दशक में भारत के विकास का जो मॉडल उभरकर सामने आया, उसमें एक विचार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इर्दगिर्द घूमता है, जो आशा और उम्मीदों से भरपूर, आर्थिक आकांक्षाओं के संदर्भ में प्रगतिशील है, जो लोगों के जीवन स्तर में लगातार सुधार के लिए प्रयासरत रहने की बात करता है। दूसरा विचार राहुल गांधी का है, जिसमें नाउम्मीदी है, आर्थिक प्रगति में ठहराव है तथा देश की अधिकांश जनता के जीवन को दुरूह बनाने वाला है। कर्मठ नेतृत्व हर उस देश को एक ऐसा मौका उपलब्ध करवाता है, जब वह अपनी विकास यात्रा को कई गुणा आगे बढ़ा सकता है। एक तरह से यह उस देश का स्वर्णिम युग (अमृतकाल) होता है। भारत के इतिहास में यह एक ऐसे दौर के रूप में याद किया जाएगा, जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश एक बड़ी छलाँग लगाने जा रहा है। पटना से प्रकाशित होने वाले दैनिक अखबारों तथा कुछ मासिक पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए आलेखों का संकलन इस पुस्तक में है। समयसमय पर लिखे गए ये आलेख तत्कालीन घटनाओं, संदर्भों एवं मुद्दों पर आम नागरिकों को सच्चाई से परिचित कराते हैं। कई आलेखों में नीतिगत प्राथमिकताओं के कुछ ऐसे क्षेत्रों को चिह्नित करने की कोशिश की गई है, जो अर्थव्यवस्था की वर्तमान विकास की दर को बरकरार रखते हुए 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र की श्रेणी में लाने की प्रेरणा का वाहक बन सके।
Naariwadi Nigah Se
- Author Name:
Nivedita Menon
- Book Type:

- Description: इस किताब की बुनियादी दलील नारीवाद को पितृसत्ता पर अन्तिम विजय का जयघोष सिद्ध नहीं करती। इसके बजाय वह समाज के एक क्रमिक लेकिन निर्णायक रूपान्तरण पर ज़ोर देती है ताकि प्रदत्त अस्मिता के पुरातन चिह्नों की प्रासंगिकता हमेशा के लिए ख़त्म हो जाए। नारीवादी निगाह से देखने का आशय है मुख्यधारा तथा नारीवाद, दोनों की पेचीदगियों को लक्षित करना। यहाँ जैविक शरीर की निर्मिति, जाति-आधारित राजनीति द्वारा मुख्यधारा के नारीवाद की आलोचना, समान नागरिक संहिता, यौनिकता और यौनेच्छा, घरेलू श्रम के नारीवादीकरण तथा पितृसत्ता की छाया में पुरुषत्व के निर्माण जैसे मुद्दों की पड़ताल की गई है। एक तरह से यह किताब भारत की नारीवादी राजनीति में लम्बे समय से चली आ रही इस समझ को दोबारा केन्द्र में लाने का जतन करती है कि नारीवाद का सरोकार केवल ‘महिलाओं’ से नहीं है। इसके उलट, यह किताब बताती है कि नारीवादी राजनीति में कई प्रकार की सत्ता-संरचनाएँ सक्रिय हैं जो इस राजनीति का मुहावरा एक दूसरे से अलग-अलग बिन्दुओं पर अन्तःक्रिया करते हुए गढ़ती हैं।
Krantikari Kavi Nirala
- Author Name:
Bachchan Singh
- Book Type:

- Description: ‘क्रान्तिकारी कवि निराला’ हिन्दी के महाप्राण कवि निराला के काव्यगत विकास-क्रम को उनके वैयक्तिक संघर्ष के सन्दर्भ में देखते हुए उनके जीवन, तत्कालीन परिस्थितियों और उनकी कविता की विशिष्टताओं का विवेचन करती है। गौरतलब है कि यह पुस्तक उस समय लिखी गई थी, जब हिन्दी आलोचना में निराला के कृतित्व को लेकर कोई सुसंयोजित काम नहीं हुआ था। गिराला और उनके समय के साथ-साथ यह पुस्तक छायावाद तथा उससे पहले की काव्य-प्रवृत्तियों पर भी टिप्पणी करती चलती है, विशेषतया छायावाद पर। डॉ. बच्चन सिंह कहते हैं कि छायावादी काव्य-सर्जना का सम्बन्ध कवि की निजी प्रेरणा से रहा और यह पारम्परिक कवि-प्रतिभा से भिन्न चीज थी। छायावादी या रोमैंटिक कवि के लिए उसके रचनात्मक क्षणों का महत्त्व सर्वोपरि होता है। इसीलिए निराला की कविता को समझने के लिए भी उनके व्यक्ति को जानना जरूरी है। इसी से हम यह जान पाते हैं कि प्रगतिवादी नहीं होते हुए भी उनकी कविता इतनी प्रगतिपरक कैसे है, और प्रयोगवादी न होते हुए भी कविताओं में इतने रूपात्मक प्रयोग वे कैसे कर सके। निराला के परिचय से लेकर यह पुस्तक उनकी कविता के निर्णायक पड़ावों से होती हुई उनकी रचना-प्रक्रिया के विश्लेषण तक जाती है। संलग्न परिशिष्ट में संकलित ‘राम की शक्तिपूजा’ और निराला की अंतिम कविता की समीक्षा इसे और संग्रहणीय बना देती है। निराला और उनकी कविता को जानने-समझने के लिए इस पुस्तक का विशेष महत्व है।
Suno Bachcho, Jallianwala Bagh Ki Kahani
- Author Name:
Rishi Raj
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
ACHARYA VINOBA BHAVE
- Author Name:
Sumit Kumar
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Jeevan ko Safal Nahin, Sarthak Banayen
- Author Name:
Rajesh Maheshwari
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Behind Closed Doors, Can I Love you More? - Shilpa Narang Chatwani
- Author Name:
Shilpa Narang Chatwani
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Sanskritik Prateek Kosh "सांस्कृतिक प्रतीक कोश" Book in Hindi
- Author Name:
Shobh Nath Pathak
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Chune Hue Vidyalaya Geet
- Author Name:
Acharya Mayaram 'Patang'
- Book Type:

- Description: गीतों का बहुत बड़ा महत्त्व है। कहानी की अपेक्षा गीत किसी विषय को संप्रेषित करने से अधिक सफल हैं। विद्यालयों यें विभिन्न अवसरों यथा—महापुरुषों की जयंतियों, राष्ट्रीय पर्वों और अन्य उत्सवों पर गीत गाने की परंपरा है। ये गीत छात्रों-अध्यापकों को उस अवसर विशेष के भावों में सराबोर होने की क्षमता रखते हैं। प्रसिद्ध कवियों के ये चुनी हुए विद्यालय गीत सभी पाठकों के जीवन में संस्कार, उल्लास और आनंद का संचार करेंगे, हमारा विश्वास है।
BACHCHON KI MEETHI-MEETHI KAVITAYEN
- Author Name:
SHYAM CHANDRA
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Kannad Ki Lokpriya Kahaniyan
- Author Name:
B.L. Lalitamba
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...