Hindutva Evam Rashtriya Punarutthan
Author:
Subramaniam SwamyPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Religion-spirituality0 Reviews
Price: ₹ 400
₹
500
Unavailable
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ISBN: 9789390101863
Pages: 256
Avg Reading Time: 9 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Description:
लीला के विवेचन के बिना हिन्दी भक्ति-कविता की समीक्षा सम्भव नहीं है। लीला भक्तिरस का प्राण है। हिन्दी के आलोचकों ने लगभग आठ दशकों से हिन्दी वैष्णव भक्तिकाव्य की समीक्षा शुरू की है, किन्तु उनका ध्यान इस प्राणवान तत्त्व की ओर नहीं जा सका है। प्रायः अंग्रेज़ी साहित्य से सम्बन्ध सिद्धान्तों तथा प्रकृत लोक मान्यताओं के प्रकाश में भक्ति-कविता की अब तक जो समीक्षाएँ हुई हैं, उनसे इस विशाल साहित्य की मूल प्रकृति स्पष्ट नहीं हो सकी है। इसका मुख्य कारण यह है कि भक्तिकाव्य के अध्यात्म एवं लोक का द्वन्द्व केवल लीला एवं मात्र लीला के माध्यम से ही विवेचित होना सम्भव है। उसके मन्तव्य, अर्थ-रचना एवं भावद्वन्द्व को इस लीलाधर के अभाव में देखा जाना इस भारतीय कविता के साथ अन्याय है। भक्तिरस इसी लीलाधर्मिता की निष्पत्ति है। आचार्य पं. रामचन्द्र शुक्ल जैसे भक्ति-कविता के प्रख्यात समीक्षक भी भक्तिकाव्य की इस मूल अवधारणा से अपनी दृष्टि बचाकर दूसरी ओर जाते दिखाई पड़ते हैं।
प्रस्तुत कृति का मूल मन्तव्य लीला तथा भक्तिरस के इसी सारवान तत्त्व की सैद्धान्तिकता की स्थापना करना है ताकि इसके प्रकाश में हिन्दी भक्तिकाव्य की पुनर्व्याख्या करके उसके साहित्य की ही नहीं, भारतीय संस्कृति और अस्मिता के साथ न्याय किया जा सके।
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