Geet Govind
Author:
JaidevPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Religion-spirituality0 Reviews
Price: ₹ 320
₹
400
Available
‘गीतगोविंद’ संस्कृत कवि जयदेव द्वारा रचित एक अनुपम काव्य ग्रंथ है, जिसमें राधा-कृष्ण की केलि-कथाओं तथा उनकी अभिसार-लीलाओं के अत्यंत रसमय चित्रण के साथ ही प्रेम के सभी भारतीय रूपों का बड़ी तन्मयता और कुशलता के साथ वर्णन किया गया है। समग्र संस्कृत साहित्य में इस कोटि की मधुर रचना दूसरी कोई नहीं।
यह आध्यात्मिक श्रृंगार का अत्यंत मनोरम काव्य ग्रंथ है, जिसमें शब्द और अर्थ का मनोमुग्धकारी सामंजस्य है।
कृष्ण भक्ति साहित्य में ‘गीतगोविंद’ को धर्मग्रंथ का स्थान प्राप्त है। श्रीवल्लभ संप्रदाय में भी ‘गीतगोविंद’ को श्रीमद्भगवत पुराण के समान प्रतिष्ठा प्राप्त है। यह ग्रंथ देश-विदेश के अनेक मूर्द्धन्य एवं लब्धप्रतिष्ठ विद्वान् समीक्षकों द्वारा मुक्त कंठ से प्रशंसित है।
प्रस्तुत है, धर्म और दर्शन के क्षेत्र में सुप्रतिष्ठित इस ग्रंथ-रत्न का सुमधुर हिंदी अनुवाद।
ISBN: 9789390101429
Pages: 152
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: डॉ. अरुण कुमार जायसवाल—एक प्रेरक व्यक्तित्व, जिन्होंने अपनी जीवन-साधना से अपने क्षण-प्रति-क्षण के जीवन में यह प्रमाणित किया है कि जीवन का अर्थ ‘मर्म एवं दर्शन-साधनों’ में नहीं, साधना में है। डॉ. जायसवाल की जीवन साधना उन्हीं की भाँति बहुआयामी है। वैदिक संस्कृति, ज्योतिष विज्ञान, भारतीय दर्शन—इन्हीं में से कुछ है। श्रीमद्भगवद्गीता के वे न केवल तत्त्वदर्शी विज्ञाता हैं बल्कि इसमें वर्णित साधना विधियों के वे लोकोत्तर व रहस्यदर्शी साधक हैं। उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता की रचना को प्रकट करनेवाले महर्षि कृष्णद्वैपायन, जिन्हें वेदव्यास के नाम से भी जाना जाता है और इसका दिव्य गायन करनेवाले विश्वात्मा भगवान् कृष्ण, दोनों को ही तत्त्वत: आत्मसात् करने में सफलता पाई है। डॉ. अरुण ने अपने इस ग्रंथ में स्वयं के हृदय की अनुभूतियों को अक्षरों में पिरोया है। जैसे भगवान् सूर्य के सारथी अरुण सूर्यदेव के प्रकाश से संसार का परिचय कराते हैं, कुछ इसी तरह से डॉ. अरुण ने भी भगवद्गीता के ज्ञानसूर्य का अपनी जीवन-चेतना एवं जीवन-साधना से इस ग्रंथ के माध्यम से परिचय दिया है। उनके इस ग्रंथ में पूर्ववर्ती आचार्यों एवं मनीषियों के परंपरागत दर्शन-ज्ञान के साथ ज्योतिष विज्ञान के मर्म का भी समन्वय व प्राकट्य है। डॉ. अरुण कुमार जायसवाल की जीवनयात्रा व्यक्ति से व्यक्तित्व बनने-गढऩे व विनिर्मित होने की साधना यात्रा है। व्यक्ति के रूप में अपने परिवार-नगर व प्रांत में जनमे एवं जीवन साधना के लिए समर्पित होकर असंख्यों के लिए प्रेरक बने। उनका नाम, उनका परिचय ही इस ग्रंथ का भी परिचय है। निष्काम कर्म- अनासक्त जीवन-साधनाशील जीवनयात्रा, जो नित सोपानों एवं आयामों की ओर निरंतर गतिशील है। उसका यथार्थ परिचय तो बस उनसे मिलनेवालों एवं प्रेरित होनेवालों की अनुभूतियों में पहचाना जा सकता है। उनसे परिचित होने का सुगम साधन भी यही है। सत्य और यथार्थ यही है कि ग्रंथकार का परिचय किन्हीं शब्दों में नहीं समा सकता है। वह तो उनके निरंतर विराट् होते हुए व्यक्तित्व में है, जो गीता गायक की निरंतर चेतना में अनवरत घुलता-मिलता हुआ उन्हीं में एकाकार होता जा रहा है।
Ramcharitmanas Ke Rachnashilp Ka Vishleshan
- Author Name:
Yogendra Pratap Singh
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Description:
रामकथा से सम्बद्ध विविध युग सापेक्ष कृतियाँ मानव-मूल्यों एवं साहित्यिक मानकों के बदलावों के फलस्वरूप निरन्तर बदलती रही हैं। परम्परा की प्रमुख रामकथा से सम्बद्ध कृतियों यथा वाल्मीकि रामायण, अध्यात्म रामायण एवं ‘रामचरितमानस’ आदि को केन्द्र में रखकर देखा जाए तो रामकाव्य के कथाशिल्प एवं रचनाविधान में परिवर्तन सामाजिक मूल्यों के बदलाव के कारण आए हैं और उनमें इस दृष्टि से शाश्वतता की तलाश का कोई अर्थ नहीं हैं।
‘रामचरितमानस के रचनाशिल्प का विश्लेषण’ शीर्षक कृति इसी युग सापेक्ष्य परिवर्तन की मौलिकता से सम्बद्ध है और यह मौलिकता परम्परा से नहीं कवि की सर्जन सामर्थ्य से सम्बद्ध है। गोस्वामी तुलसीदास की अजेय कृति ‘श्रीरामचरितमानस’ की रचना-सामर्थ्य की मौलिकता का विश्लेषण परम्परा से मुक्त होकर करना—इस कृति का मंतव्य है—जिससे एक कालजयी मौलिक रचनाधर्मिकता से सम्बद्ध कवि को भविष्य में परम्परावादी कहकर उसकी प्रतिभा पर प्रश्नचिन्ह न लगाया जा सके।
Mahayogiraj Gorakhnath
- Author Name:
Brajendra Kumar Singhal
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- Description: ‘महायोगिराज गोरखनाथ’ नाथपन्थ की अनन्य विभूति गुरु गोरखनाथ का शोधपूर्ण, विस्तृत और अद्यतन जीवन चरित्र है। भारत की अनेक विभूतियों की तरह, गोरखनाथ के भी कृतित्व और कीर्ति से जनसामान्य जितना परिचित है, उतना उनके व्यक्तिगत जीवन से नहीं। गोरखनाथ ने भी, अगर उनके द्वारा ‘काफिर-बोध’ में दिए गए कुछ संकेतों को छोड़ दें तो अपने व्यक्तिगत जीवन का उल्लेख लगभग नहीं किया है। वस्तुतः दादूपन्थ के सन्त चैनजी की लिखी 'गोरख जनमलीला' ही एकमात्र सबसे पुराना लिखित स्रोत है जिसमें गोरखनाथ की जीवनकथा दी गई है। नाथ-सिद्धों की परम्परा में गोरखनाथ के बारे में जो कुछ श्रुतियाँ पहले से मौजूद थीं, उन्हों को चैनजी ने अपनी कृति में छन्दोबद्ध कर दिया है। स्वाभाविक ही गोरखनाथ सम्बन्धी चर्चाओं का मुख्य आधार ‘गोरख जनमलीला’ रही है। लेकिन ब्रजेन्द्रकुमार सिंहल ने अपने इस ग्रन्थ में गोरख जनमलीला का अनुवाद प्रस्तुत करने के साथ-साथ उसमें वर्णित प्रमेय को विभिन्न ऐतिहासिक पुरातात्त्विक और अन्यान्य साक्ष्यों के साथ रखकर तथ्यगत प्रामाणिकता स्थापित करने का स्तुत्य कार्य किया है। इस प्रकार यह पुस्तक गुरु गोरखनाथ के व्यक्तित्व और कृतित्व से सांगोपांग रूप से परिचित कराती है। साथ ही नाथ-परम्परा, उसके विपुल साहित्य तथा उसकी सुदीर्घ शिष्य-परम्परा और उस परम्परा के अवदान का यथोचित उल्लेख करते हुए एक समग्र परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत करती है।
Motivating Thoughts of Swami Vivekananda
- Author Name:
Swami Vivekanand
- Book Type:

- Description: Swami Vivekananda was an Indian Hindu monk, a chief disciple of the 19th-century Indian mystic Ramakrishna. He was a key figure in the introduction of the Indian philosophies of Vedanta and Yoga to the Western world and is credited with raising interfaith awareness. Swamiji has been an awe-inspiring persona for many people and this book continues the legacy of his ideas and philosophies. This book is a one-of-a-kind condensed version of Swamiji’s life and principles, For every reader; this compilation would mean an enriching and learning experience. May his quotes inspire you to believe in yourself so that you may live your dream
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