Pardesi
Author:
Neelam MishraPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Academics-and-references0 Reviews
Price: ₹ 240
₹
300
Available
रामधन ने रामसुख का हाथ पकड़कर कहा, 'भय्या रेलिया देख सकित हा का?'
रामसुख ने कहा, 'अरे काहे नाही, चला स्टेशन पर चली', कहकर तीनों प्लेटफार्म पर पहुँच गए। वहाँ एक रेलगाड़ी खड़ी थी। रामदीन अचानक कूदकर रेलगाड़ी पर चढ़ गए। उनके पीछे उत्सुकतावश रामधन, फिर रामसुख भी एकजुट रहने के मकसद से रेलगाड़ी पर चढ़ गए। रामसुख के चढ़ते ही ट्रेन एकाएक चल पड़ी। तीनों भाई एकदम हक्का-बक्का होकर एक सीट पर बैठ गए। रामसुख को समझ ही नहीं आया कि वे क्या करें? पर रामदीन और रामधन तो खुशी से चहक रहे थे। उन लोगों ने रेलगाड़ी पहले देखी भी न थी। रामसुख भाइयों के साथ खिड़की से बाहर देखकर चलती गाड़ी की गति अनुभव करने लगे। थकान से भरा शरीर, पर रेल की मीठी झुलान ने तीनों को सुला दिया। अचानक एक कड़क आवाज से रामसुख की आँख खुली तो सामने एक रोबदार अंग्रेज खड़ा था। वह टिकट जाँच का अधिकारी था। अंग्रेज ने कहा, 'ओ लड़के! टिकट दिखाओ।' रामसुख ने सिर हिलाकर कहा, 'टिकट नहीं है साहब।'
—इसी पुस्तक से
गाँव-देहात के भोले-भाले सरल निवासियों के अबोध, निश्छल और सहज भावभूमि का दिग्दर्शन करवाता पठनीय एवं मार्मिक उपन्यास, जो पाठकों की संवेदना को झंकृत कर देगा।
ISBN: 9789355214386
Pages: 216
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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