Mopala Kand Arthat Mujhe Usse Kya
Publisher:
Prabhat Prakashan
Language:
Hindi
Pages:
176
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
352 mins
Book Description
शास्त्रीजी का घर देखते ही मौलवी ने कहा, “यही है, यही वह काफिर है | पकड़ो, मारो मत, पकड़ो ।” मोपला बंदूक चलाते हुए शास्त्रीजी के घर पर चढ़ाई करने आए । बंदूकों की आवाजें सुनते ही आसपास के घरों में लोग छिपने लगे, जो निःशस्त्र होने के कारण घायल हो गए थे। हरिहर शास्त्री ने भी दरवाजे बंद कर अंदर से पूछा, “मौलवी, आपको क्या चाहिए? हम निरपराध ब्राह्मणों के घरों पर आप हमला क्यों कर रहे हैं? मोपला लोग अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह कर उठे थे, वे नाहक हमपर क्यों शस्त्र उठा रहे हैं?” मौलवी ने कहा, “तुम अगर अपने पास का सारा धन हमें दे दो, और घर के सभी लोगों के साथ मुसलमान बनो तो हम तुम्हें अपना समझेंगे | इतना ही नहीं, अपितु तुम्हारी उस सुंदर बेटी से मैं शादी करके तुम्हें इस खिलाफत राज्य में सम्मानित अधिकारी बनाऊँगा | -इसी पुस्तक से स्वातंत्रयवीर सावरकर की यह पुस्तक मोपलाओं द्वारा किए गए हिंदुओं के उस नृशंस एवं जघन्य नरसंहार का सजीव चित्रण है, जो हर हिंदू के मन और आत्मा को झकझोरकर रख देगी | अगर अभी भी हिंदू समाज नहीं चेता तो 1921 की वीभत्स स्थिति की पुनयवृत्ति हो सकती है |