Dekho Hamri Kashi
Author:
Hemant SharmaPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
History-and-politics0 Reviews
Price: ₹ 400
₹
500
Available
काशी ज्ञान की शलाका है और बनारस औघड़ों का ठहाका है। काशी रहस्यों की गहराई है, बनारस किस्सों की ठंडाई है। काशी दिव्य है, बनारस भव्य है। काशी प्रणम्य है, बनारस रम्य है | काशी मुक्ति है, विरक्ति है; लेकिन बनारस हेमंतजी की परम आसक्ति है। यदि काशी में बनारस की तलाश है तो “देखो हमरी काशी ' की उँगली पकड़िए'''रस-ही- रस। गद्य में पद्य का रस, राग और लय का आनंद इस पुस्तक की हर कथा की प्रत्येक पंक्ति में है। इन कथाओं में तथ्य, तर्क और भाव-प्रवाह भरपूर है। जैसा रस “बैताल पचीसी' की कथाओं में है कि उन्हें कोई सामान्य पाठक भी पढ़े तो उसका मनोरंजन होगा। कोई समझदार व्यक्ति पढ़े तो उसे जहाँ ज्ञान प्राप्त होगा, वहीं उसे जीवन जीने का मार्ग भी मिल सकता है। यही बात हेमंतजी की इन कथाओं में है । इसमें ऐसे पात्र हैं, जो हेमंतजी के या हमारे-आपके अपने रोजमर्रा के जीवन के ताने-बाने में गुँथे हुए हैं । वे इतने अभिन्न हैं कि उन्हें अलग-अलग देखना संभव नहीं हो पाता ।
यह पुस्तक संस्मरण विधा में एक नवोन्मेष है। यह संस्मरण काशी की संस्कृति और बनारसी जीवन का रंगमंच प्रतीत होता है। इसमें वर्णित व्यक्तियों के जरिए काशी की संस्कृति, परंपरा और जीवनधारा की खोज की गई है। जो सदियों से सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन के अपरिहार्य अंग रहे हैं । ऐसे लोगों को केंद्र में रखकर कथा बुनी गई है । इस पुस्तक के पात्र चाहे जो हों, वे सामाजिक जीवन में साधारण भले माने जाते हों, पर कथा में वे असाधारण हैं ।
ISBN: 9789355213808
Pages: 240
Avg Reading Time: 8 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Ramvilas Paswan
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- Description: यह रामविलास पासवान के वैचारिक लेखों की दूसरी पुस्तक है। इस पुस्तक में 63 लेख संकलित हैं, जिन्हें अपने आक्रामक तेवर के लिए भी जाना जाता है। ये लेख देश की ज्वलन्त समस्याओं पर रोशनी डालते हैं। ये आलेख यह भी बताते हैं कि सामाजिक न्याय ही देश की खुशहाली का एकमात्र विकल्प है। छह अध्यायों में विभाजित इस पुस्तक का प्रथम अध्याय जहां दलित-मुस्लिम एकता से सम्बन्धित विषयों पर प्रकाश डालता है, वहीं दूसरा अध्याय बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कश्मीर आदि से सम्बन्धित समस्याओं की ओर पाठकों का ध्यान आकर्षित करता है। तीसरे अध्याय में रामविलास जी ने संवैधानिक मुद्दों को बेबाकी से रेखांकित किया है। इन लेखों को अपने सरोकारों और चिन्तनपरकता के कारण नजरअन्दाज नहीं किया जा सकता, खासकर दलितों में क्रीमी लेयर: किस बात की बहस' तथा 'भारतीय न्यायिक सेवा का गठन जरूरी है। जैसे लेख ।अध्याय चार और पांच आतंकवाद और परमाणु नीति को लेकर हैं, जिनमें रामविलास जी ने प्रभावशाली ढंग से सटीक तर्कों के साथ अपने विचार प्रस्तुत किये हैं। अन्तिम अध्याय विदेश नीति और अन्तर्राष्ट्रीय गतिविधियों से जुड़ा है। इस अध्याय को पढ़कर रामविलास जी के व्यक्तित्व के एक नये पहलू का पता चलता है। विश्व की घटनाओं पर उनकी पैनी नजर हमेशा रही है। गोर्बाचोव के बाद रूस, भारत-पाक वार्ता, अफगानिस्तान, इराक, अमेरिका और उसके नये राष्ट्रपति बराक ओबामा, नेपाल तथा सद्दाम से जुड़े लेख उनके से राजनीतिक व्यक्तित्व को कई नए आयाम देते हैं।
Pashchatya Itihas Darshan Evam Itihas Lekhan
- Author Name:
Heramb Chaturvedi
- Book Type:

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Description:
"अराजक का अव्यवस्थित असंख्य तथ्यों के मध्य एक क्रम स्थापित करके मानव के विकास-क्रम को अनुरेखित करना ही इतिहास का विवरण प्रस्तुत करना होता है। वैसे इस अर्थ को दोनों रूपों में देखा-समझा जा सकता है-प्रथम तो संरचना के स्तर पर और दूसरे, उसके लेखन अथवा चित्रण के उद्देश्य के माध्यम से!""
"द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् शीत-युद्ध से लेकर भू- मंडलीकरण एवं उदारवाद से होते हुए सोवियत संघ के विघटन और 'वैश्विक ग्राम' की परिकल्पना के बाद के क्रम में जिस प्रकार, उत्तर-संरचनावाद, उत्तर- धुनिकतावाद, उपाक्रमी इतिहास लेखन से लेकर उत्तर-सत्य ('पोस्ट-टुथ') का दौर चल रहा है उसमें भाषाई बाजीगरी (सिमेटिक जग्लरी) में एक अजब दुविधापूर्ण स्थिति उत्पन्न कर दी है। यह दो विरोधाभासी विशेषताओं से युक्त काल प्रतीत हो रहा है, जिसमें एक ओर, मानव विश्व एकीकृत लगता है किन्तु दूसरी तरफ एक निश्चित ही भीषण अराजकता का काल है।"
"...एक ओर वह तकनीकी परिवर्तनों की स्वीकृति सेजूझता है और दूसरी तरफ तकनीकी एकता से संगठितहोने का लाभार्थी भी है। वैसे तो विश्व संक्रमणशीलहोने के नाते सदैव ही अनिर्णायक एवं अराजक-साप्रतीत होता है... पहली बार इस अराजकता को'तकनीकी उत्प्रेरक' ने उसे एक निश्चित ही अलग दशाऔर दिशा प्रदान की है। इसी अराजकता के कारण हम 'टुथ' या ऐतिहासिक तथ्यों की खोज में 'पोस्ट टुथ' तक पहुंच गए हैं।"
Tughluq Kaleen Bharat : Vol. 2
- Author Name:
Saiyad Athar Abbas Rizvi
- Book Type:

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Description:
यह ग्रन्थ तुगलक़ बादशाहों के महत्त्वपूर्ण कालखंड सन् 1351 से 1398 ई. पर केन्द्रित है। इस दौर में शासन की बागडोर सुल्तान फ़ीरोज़ और उसके उत्तराधिकारियों के हाथों में थी। यह ग्रन्थ उस युग की अत्यन्त महत्त्वपूर्ण और प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध कराता है।
फ़ारसी, अरबी, अंग्रेज़ी और हिन्दी के विद्वान और इतिहासकार डॉ. सैयद अतहर अब्बास रिज़वी ने इस ग्रन्थ का सम्पादन-अनुवाद किया है। उन्होंने इस ग्रन्थ में तत्सम्बन्धी अरबी और फ़ारसी में उपलब्ध तमाम ऐतिहासिक दस्तावेज़ों और सामग्रियों का उपयोग किया है जिनमें ज़ियाउद्दीन बरनी, शम्स सिराज अफ़ीफ़, यहया, मुहम्मद बिहामद ख़ानी, शरफ़ुद्दीन अली यज़दी, सुल्तान फ़ीरोज़ शाह, निज़ामुद्दीन अहमद, मीर मुहम्मद मासूम, हमीद क़लन्दर, ऐनुलमुल्क तथा मुतहर कड़ा जैसे विद्वान लेखकों, इतिहासकारों के ग्रन्थ शामिल हैं।
अनुवाद में फ़ारसी, अरबी के प्रचलित नियमों को, जिनका पालन इतिहासकार करते रहे हैं, ध्यान में रखा गया है। साथ ही आवश्यक टिप्पणियाँ भी जगह-जगह दर्ज कर दी गई हैं ताकि पाठकों को विषय को समझने में सुविधा हो।
इतिहास के छात्रों, शिक्षकों, शोधार्थियों और इतिहासकारों के साथ-साथ इतिहास में रुचि रखनेवाले आम पाठकों के लिए भी ग्रन्थ संग्रहणीय है।
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