Sant Ravidas Ratnawali

Sant Ravidas Ratnawali

Authors(s):

Mamta Jha

Language:

Hindi

Pages:

144

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

288 mins

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Book Description

संत रविदास का जन्म वाराणसी के निकट मंडूर नामक गाँव में संवत् 1433 को माघ पूर्णिमा के दिन माना जाता है। उनके विभिन्न नाम हैं—रविदास, रैदास, रादास, रुद्रदास, सईदास, रयिदास, रोहीदास, रोहिदास, रूहदास, रमादास, रामदास, हरिदास। इनमें से रविदास तथा रैदास दो नाम तो ऐसे हैं, जो दोनों ही उनकी रचनाओं में उपलब्ध होते हैं। बचपन से ही उनकी रुचि प्रभु-भक्‍ति और साधु-संतों की ओर हो गई थी। बड़ा होने पर उन्होंने चर्मकार का अपना पैतृक काम अपना लिया। जूता गाँठते हुए वे प्रभु भजन में लीन हो जाते। जो कुछ कमाते, उसे साधु-संतों पर खर्च कर देते। रविदास ने उस समय के प्रसिद्ध भक्‍त गुरु रामानंद से दीक्षा ली। उन्होंने ऊँच-नीच के मत का खंडन किया। वे अत्यंत विनीत और उदार विचारों के थे। उनकी भक्‍ति उच्च दर्जे की थी। वे कठौती में ही गंगाजी के दर्शन कर लिया करते थे। ‘संत रैदास की वाणी’ में 87 पद तथा 3 साखियों का संकलन ‘रैदास’ के नाम से हुआ है, जिनमें से लगभग सभी में ‘रैदास’ नाम की छाप भी मिलती है। प्रस्तुत पुस्तक में संत रविदास के आध्यात्मिक जीवन, उनकी रचनाओं, उनके जप-तप और समाज-उद्धार के लिए किए गए कार्यों का सीधी-सरल भाषा में विवेचन किया गया है।

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