Saral Guru Granth Saahib evam Sikh Dharma
Author:
Jagjeet SinghPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Religion-spirituality0 Reviews
Price: ₹ 400
₹
500
Available
"‘गुरु ग्रंथ साहिब’ पर सरल परिचयात्मक पुस्तक सुधी पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करने में मुझे एक आध्यात्मिक सुख और संतोष का अनुभव हो रहा है। ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ कोई जीवनी या कथा अथवा घटनाप्रधान ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह सिर्फ ईश्वर और जीवन-सिद्धांत की बात करनेवाली एक शुद्ध आध्यात्मिक कृति है। सिख गुरुओं के उल्लेख के बिना ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ का कोई भी उल्लेख अधूरा है। अतः इस पुस्तक में मैंने ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ की संरचना, स्वरूप, संगीत, सिद्धांत और दर्शन को गुरुवाणी के उद्धरणों सहित सारगर्भित रूप में प्रस्तुत करने के प्रयास के साथ-साथ दस सिख गुरुओं और इस पवित्र कृति के वाणीकार अन्य संतों-भक्तों का संक्षिप्त परिचय देकर तथा साथ ही सिख धर्म के बारे में बुनियादी जानकारी प्रदान करके प्रस्तुत पुस्तक को किंचित् ठोस रूप देने का प्रयास किया है। अंतिम अध्याय में मैंने गुरुवाणी-सागर से कुछ चुनिंदा रत्न सरल शब्दार्थ सहित विषयवार प्रस्तुत किए हैं, जिनसे जिज्ञासु पाठकों को और अधिक सरलता से ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ के सिद्धांत को समझने में मदद मिलेगी।
—जगजीत सिंह"
ISBN: 9788193289358
Pages: 210
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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‘रामायण’ की मूल अन्तर्वस्तु को उजागर करने के लिए पेरियार ने 'वाल्मीकि रामायण' के अनुवादों सहित; अन्य राम कथाओं, जैसे—'कंब रामायण', 'तुलसीदास की रामायण' (रामचरितमानस), ‘बौद्ध रामायण’, ‘जैन रामायण’ आदि के अनुवादों तथा उनसे सम्बन्धित ग्रन्थों का चालीस वर्षों तक अध्ययन किया और 'रामायण पादीरंगल' (रामायण के पात्र) में उसका निचोड़ प्रस्तुत किया। यह पुस्तक 1944 में तमिल भाषा में प्रकाशित हुई। इसका अंग्रेज़ी अनुवाद ‘द रामायण : अ ट्रू रीडिंग' नाम से 1959 में प्रकाशित हुआ।
यह किताब हिन्दी में 1968 में ‘सच्ची रामायण' नाम से प्रकाशित हुई थी, जिसके प्रकाशक लोकप्रिय बहुजन कार्यकर्ता ललई सिंह थे। 9 दिसम्बर, 1969 को तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने इस पर प्रतिबन्ध लगा दिया और पुस्तक की सभी प्रतियों को ज़ब्त कर लिया। ललई सिंह यादव ने इस प्रतिबन्ध और ज़ब्ती को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी। वे हाईकोर्ट में मुक़दमा जीत गए। सरकार ने हाईकोर्ट के निर्णय के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अपील की। 16 सितम्बर, 1976 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सर्वसम्मति से फ़ैसला देते हुए राज्य सरकार की अपील को ख़ारिज कर दिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्ष में निर्णय सुनाया।
प्रस्तुत किताब में ‘द रामायण : अ ट्रू रीडिंग' का नया, सटीक, सुपाठ्य और अविकल हिन्दी अनुवाद दिया गया है। साथ ही इसमें 'सच्ची रामायण' पर केन्द्रित लेख व पेरियार का जीवनचरित भी दिया गया है, जिससे इसकी महत्ता बहुत बढ़ गई है। यह भारत के सामाजिक-सांस्कृतिक आन्दोलन के इतिहास को समझने के इच्छुक हर व्यक्ति के लिए एक आवश्यक पुस्तक है।
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