Mannu Bhandari Ki Lokpriya Kahaniyan

Mannu Bhandari Ki Lokpriya Kahaniyan

Authors(s):

Mannu Bhandari

Language:

Hindi

Pages:

184

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

368 mins

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Book Description

कई बार खयाल आता है कि यदि मेरी पहली कहानी बिना छपे ही लौट आती है तो क्या लिखने का यह सिलसिला जारी रहता या वहीं समाप्त हो जाता...क्योंकि पीछे मुड़कर देखती हूँ तो याद नहीं आता कि उस समय लिखने को लेकर बहुत जोश, बेचैनी या बेताबी जैसा कुछ था। जोश का सिलसिला तो शुरू हुआ था कहानी के छपने से, भैरवजी के प्रोत्साहन और पाठकों की प्रतिक्रिया से। किसी भी रचना के छपते ही इस इच्छा का जगना कि अधिक-से-अधिक लोग इसे पढ़ें, केवल पढ़ें ही नहीं, बल्कि इससे जुड़ें भी—संवेदना के स्तर पर उसके भागीदार भी बनें, यानी कि एक की कथा-व्यथा अनेक की बन सके, बने...केवल मेरे ही क्यों, अधिकांश लेखकों के लिखने के मूल में एक और अनेक के बीच सेतु बनने की यह कामना ही निहित नहीं रहती? मैंने चाहे कहानियाँ लिखीं हों या उपन्यास या नाटक—भाषा के मामले में शुरू से ही मेरा नजरिया एक जैसा रहा है। शुरू से ही मैं पारदर्शिता को कथा-भाषा की अनिवार्यता मानती आई हूँ। भाषा ऐसी हो कि पाठक को सीधे कथा के साथ जोड़ दे...बीच में अवरोध या व्यवधान बनकर न खड़ी हो।

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