Virata Ki Padmini

Virata Ki Padmini

Language:

Hindi

Pages:

264

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

528 mins

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Book Description

भक्त का हठ चढ़ चुका था, ‘नहीं देवी, आज वरदान देना होगा।... यदि दलीपनगर के धर्मानुमोदित महाराज कुंजरसिंह से हार गए, यदि अलीमर्दान ने ऐसी अव्यवस्थित अवस्था में राज्य पाया, तो आपके मंदिर का क्या होगा? धर्म का क्या होगा?...’ ‘क्या चाहती हो गोमती?’ ‘यह भीख माँगती हूँ कि कुंजरसिंह का नाश हो, अलीमर्दान मर्दित हो और दलीपनगर के महाराज की जय हो।’ ‘यह न होगा गोमती, परंतु मंदिर की रक्षा होगी और अलीमर्दान का मर्दन होगा...।’ ‘यह वरदान नहीं है, यह मेरे लिए अभिशाप है देवी! मैं इस समय, इस तपोमय भवन में, इस बेतवा के कोलाहल के बीच चरणों में अपना मस्तक काटकर अर्पण करूँगी।’ कुमुद ने देखा, गोमती ने अपनी कमर से कुछ निकाला... —इसी उपन्यास से

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