Antariksh Ki Rochak Baaten
Author:
S.G. Mishra, Ashutosh MisraPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
General-non-fiction0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
"अंतरिक्ष तथा ब्रह्मांड वस्तुत : एक ही शब्द के भिन्न-भिन्न रूप हैं, जिनसे उस असीम- अनंत सत्ता का बोध होता है, जिसे ' नेति-नेति ' कहा गया है ।
जहाँ मनुष्य की आँखें नहीं देख पातीं, जहाँ दूरबीन भी विफल हो जाती है-वह आकाश अंतरिक्ष है । वह अपरिमित, अनंत और असीम है । वह अनेक कल्पनाओं से भरा हुआ क्षेत्र है ।
विश्व की उत्पत्ति कैसे हुई, उसका अंत कैसे होता है, उसका विस्तार कहाँ तक है, अंतरिक्ष में विभिन्न ग्रहों का स्वरूप क्या है, तारे क्या हैं, अंतरिक्ष की शून्यता क्या है, हमारी पृथ्वी का अंतरिक्ष में क्या स्थान है. अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी क्या है और अंतरिक्ष का अध्ययन कैसे किया जाता है- ये ऐसे प्रश्न हैं, जिनका उत्तर मिलेगा प्रस्तुत पुस्तक ' अंतरिक्ष की रोचक बातें ' में; जिसे लेखका ने प्रामाणिक सामग्री के आधार पर, जनरुचि को ध्यान में रखते हुए तैयार किया है ।
विश्वास है, पुस्तक हमारे पाठको को पसंद आएगी ।
ISBN: 9789383111800
Pages: 116
Avg Reading Time: 17 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: जैसे-जैसे मैं जीवन में आगे बढ़ती गई, मैंने कट्टरपन्थियों के पागलपन का विरोध करने की हमेशा कोशिश की, चाहे वे किसी भी समुदाय के हों।...मुझे पता था कि मेरे बचपन के सपनों का भारत बिखर गया था। शायद बलवन्त का भारत भी बिखर गया इसीलिए मैं और वह इस असामान्य प्रस्तावना के ज़रिये एक सह-अनुभूति रखते हैं, जिसे मैं पेश कर रही हूँ क्योंकि जब मैं इस अशान्त राष्ट्र के इतिहास को याद करती हूँ तो मेरा मन इसी तरह भटकता है। -उमा चक्रवर्ती इतिहासकार क्या बलवन्त कौर की यह कृति आत्मकथा, साहित्य-अध्ययन, इतिहास और समाजशास्त्र के बीच आवाजाही करती है? नहीं; यह इन सबको एक साथ लाकर बल्कि मिलाकर अन्दरूनी सरहदों से मुक्त एक अवकाश बनाती है जिसमें आप किसी अनुशासन के प्रति आत्मसजग हुए बगैर घूम-फिर सकते हैं। आपको पता नहीं चलता कि कब व्यक्तिगत संस्मरण सुनते-सुनते साहित्यिक कृतियों के साथ आपका संवाद शुरू हो गया और कब इतिहासकारों तथा समाजशास्त्रियों के हवाले से आप हिंसा, पहचान, अन्यीकरण, विभाजन-विस्थापन के सवालों से दो-चार होने लगे। विभाजन और उसकी निरन्तरता पर यह निस्सन्देह एक अनोखी किताब है। —संजीव कुमार आलोचक
Bhrasth Satyam Jagat Mithya
- Author Name:
Sanjay Jhala
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- Description: Bhrasth Satyam Jagat Mithya
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