Manusmriti Punarmoolyankan (Urf Muft Hue Badnam)
Publisher:
Prabhat Prakashan
Language:
Hindi
Pages:
350
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
700 mins
Book Description
मनुस्मृति पुनर्मूल्यांकन' हिंदू कानून की पुस्तक न होकर एक सामाजिक निर्देशिका भर है। मनुस्मृति के लिखे जाने के समय हिंदू समाज में जातिप्रथा या वर्ण व्यवस्था जन्म के आधार पर नहीं, गुण-कर्म-स्वभाव के आधार पर निर्धारित की जाती थी। अगर ऐसी कोई व्यवस्था होती तो भला चंद्रगुप्त मौर्य, जो एक दासी-पुत्र था, एक ब्राह्मण चाणक्य उसे अपना शिष्य या राजा बनाते। यही नहीं, वेदों, रामायण तथा महाभारत में शूद्र राजाओं का जिक्र कैसे आता? वर्ण व्यवस्था को समझने हेतु यह भी आवश्यक है कि वर्ण व्यवस्था हर काल में, हर देश-समाज में विद्यमान थी, और आज भी है। ब्राह्मण = विद्वान् ज्ञानी = आज के वैज्ञानिक; क्षत्रिय = समाज के बलशाली व्यक्ति = राजा = आज के राजनेता; बिजनेस tycoon, यथा बिल गेट्स या एलन मस्क—वैश्य; तब के कृषि मैनेजर आज के अनेक क्षेत्रों के मैनेजर [MBA] शूद्र = वर्कर। आज आधुनिक शिक्षा में ये वैज्ञानिक, राजनेता तथा बिजनेस tycoon, मैनेजर या वर्कर कहलाते हैं, तब भी गुण-कर्म-स्वभाव से वर्ण निर्धारित होते थे।