Rajendra Rao

Rajendra Rao

2 Books

Kuchh Musafir Sath The

  • Author Name:

    Rajendra Rao

  • Book Type:
  • Description: इन दिनों हिंदी साहित्य में कथेतर गद्य को महत्त्व की दृष्टि से देखे जाने की प्रवृत्ति जोर पकड़ रही है और उसमें पाठकों की रुचि निरंतर अनुभव की जा रही है। कुछ अभिनव प्रयोग भी किए जा रहे हैं। वरिष्ठ कथाकार राजेंद्र राव ने संस्मरण, स्मृति-लेख और रेखाचित्र जैसी विधाओं की त्रिवेणी को कथात्मक संस्मरण के रूप में प्रस्तुत करकेकथा और कथेतर के बीच की फाँक को न्यूनतम करने का एक सफल रचनात्मक प्रयास किया है, जो कथात्मक संस्मरणों के इसअत्यंत पठनीय संकलन में द्रष्टव्य है। इनके बारे में लेखक का कहना है, स्मृति जैसे रंग-बिरंगे फलों से लदा वृक्ष है। इनमें कुछ मीठे हैं, कुछ खट्टे और कुछ कड़वे भी, मगर बेस्वाद कोई नहीं है। इनमें से कुछ को स्वाद की तीव्रता के क्रम से हम यादों में सँजोए रखते हैं कहानियों के रूप में। हर याद रह गए चेहरे के पीछे एक या एक से अधिक कहानी/कहानियाँ होती हैं। स्मृति-पटल पर गहरे खुदे व्यक्तियों के ये रेखाचित्र/संस्मरण न होकर उनकी कहानियाँ हैं। साप्ताहिक हिंदुस्तान और धर्मयुग में प्रकाशित राजेंद्र राव की धारावाहिक कथा-शृंखलाएँ ‘सूली ऊपर सेज पिया की’, ‘कोयला भई न राख’ और ‘हम विषपायी जनम के’ अत्यंत चर्चित और लोकप्रिय रही हैं। विश्वास है, कथात्मक संस्मरणों के इस सिलसिले का भी भरपूर स्वागत होगा।
Kuchh Musafir Sath The

Kuchh Musafir Sath The

Rajendra Rao

280

₹ 224

Rajendra Rao Ki Lokpriya Kahaniyan

  • Author Name:

    Rajendra Rao

  • Book Type:
  • Description: "देवों और असुरों की एक ऐसी कहानी, जिसमें ध्रुव-लोक नाम के मिथकीय देश में भगवान् शिव का त्रिशूल रखा है, जिसे सदियों से कोई भी धारण नहीं कर सका है। भविष्यवाणी, शपथ, वरदान और अभिशाप के साथ न्याय, कर्तव्य और प्रेम के बीच एक साहसिक युद्ध की परिस्थितियाँ बन चुकी हैं। शक्तिशाली त्रिशूल को किसने धारण किया? अवश्यंभावी युद्ध में भगवान् विष्णु किसका पक्ष लेंगे? क्या एक सदाचारी अपनी शपथ का पालन करने के लिए अधर्म करेगा? क्या एक निम्नवर्गीय छात्र के साथ अन्याय होगा? क्या एक राजा अपने पुत्र-प्रेम में बँध जाएगा? धर्म का पालन कौन करता है और कौन डगमगा जाता है? एक युद्ध-कथा इस विषय पर कि मनुष्य होने का अर्थ क्या होता है! प्रस्तुत पुस्तक आपको इस महागाथा के मूल तक ले जाती है। देवों और असुरों की सेनाएँ अपनी शक्तियों का प्रदर्शन करने के लिए आमने-सामने खड़ी हैं। सभी के प्रारब्ध आपस में टकराने वाले हैं और एक भीषण संग्राम छिड़ने वाला है।
Rajendra Rao Ki Lokpriya Kahaniyan

Rajendra Rao Ki Lokpriya Kahaniyan

Rajendra Rao

175

₹ 140

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