Khushhal Basti

Khushhal Basti

Authors(s):

Janak Vaid

Language:

Hindi

Pages:

100

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

200 mins

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Book Description

शहर से कुछ दूर सूखी-बंजर जमीन पर अनेक झुग्गियाँ थीं। उनमें रहने वाले लोग मेहनत-मजूरी कर अपनी गुजर-बसर करते। गृहणियाँ भी अपनी घिसी-पिटी दिनचर्या से निपट आपस में गप्प-शप्प करतीं। उनके बच्चे भी अगल-बगल में बैठते या इधर-उधर खेलते। नंग-धड़ंग या फटे-पुराने कपड़ों में लिपटे हुए बच्चों में से किसी के हाथ में रूखी-सूखी रोटी का टुकड़ा होता व किसी के हाथ में कोई अन्य चीज। बच्चे जब आपस में खेलेंगे तो झगड़ा भी होगा और फिर यदि उनमें झगड़ा हुआ तो बड़े कोई चुप थोड़ा ही रहेंगे अर्थात् बड़ों में भी तू-तू मैं-मैं हो ही जानी है। कई बार तो यह क्लेश इतना बढ़ जाता कि मर्द जब घर आते तो उन्हें भी इसमें घसीट लिया जाता। अतः उनका प्रत्येक दिन ऐसे ही बीत रहा था, पर मजे की बात कि उनको अपने जीवन के इस ढाँचे से कोई शिकायत न थी। जिस स्‍थान पर यह बस्ती थी, वहीं एक सड़क भी थी। उस सड़क से प्रतिदिन एक लड़की साईकल चलाती हुई निकलती और उसकी साईकल के आगे एक टोकरी लगी हुई थी, जिसमें कुछ पुस्तकें होतीं। साईकल सवार लड़की का, उधर से आने-जाने का एक निश्चित समय था। वह प्रतिदिन उस बस्ती के लोगों को देखती तो सोचने लगती कि कैसा जीवन है इन लोगों का? इनको इस बात की समझ ही नहीं कि मनुष्य जीवन तो अनमोल है, पर ये किस प्रकार की जिंदगी जी रहे हैं? उस बस्ती के लोग भी उस लड़की को जब इधर से निकलते देखते तो सोचते कि कितनी अच्छी लगती है यह बच्ची? —इसी पुस्तक से

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