Aatmanubhooti Ke Khule Rahasya
Publisher:
Prabhat Prakashan
Language:
Hindi
Pages:
200
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
400 mins
Book Description
गुरदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने एक बार कहा था, “यदि आप भारत को जानना चाहते हैं, तो विवेकानंद को पढ़िए। उनमें आप सबकुछ सकारात्मक ही पाएँगे, नकारात्मक कुछ भी नहीं ।”' जिस प्रकार कछुआ अपने सिर एवं पैरों को खोल के अंदर समेट लेता है और तब उसे हम मार ही क्यों न डालें, उसके टुकड़े-टुकड़े ही क्यों न कर डालें, पर वह बाहर नहीं निकलता, इसी प्रकार जिस मनुष्य ने अपने मन एवं इंद्रियों को वश में कर लिया है, उसका चरित्र भी सदैव स्थिर रहता है। वह अपनी आभ्यंतरिक शक्तियों को वश में रखता है और उसकी इच्छा के विरुद्ध संसार की कोई भी वस्तु उसे बहिर्मुख होने के लिए विवश नहीं कर सकती। प्रस्तुत पुस्तक 'आत्मानुभूति के खुले रहस्य' में स्वामीजी ने सरल शब्दों में 'अपने आत्म यानी स्व' को पहचानने की कला सिखाई है। जो व्यक्ति स्वयं को भलीभाँति पहचान लेता है, उसके जीवन में फिर कभी कोई अभाव नहीं रहता। अपने आपको गहराई से जानने-समझने वाले चिंतनशील व्यक्ति के लिए एक प्रेरक, जीवनोपयोगी और संग्रहणीय पुस्तक ।