Popale Muh Ka Painapan

Popale Muh Ka Painapan

Authors(s):

Prakash Dubey

Language:

Hindi

Pages:

200

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

400 mins

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Book Description

पत्रकारिता को किसी भी दबाव से मुक्त रखने के लिए प्रेस आयोग की सिफारिश पर प्रेस परिषद् (प्रेस काउंसिल) का गठन हुआ। प्रेस परिषद् का मुख्य उद्देश्य एक ओर सरकारी, कारोबारी या अन्य किसी दबाव से मुक्त रखना है, वहीं कलम की ताकत का दुरुपयोग करके किसी के साथ अन्याय करने से रोकना भी है। सूचना प्रौद्योगिकी के विकास के बाद नए प्रेस आयोग के गठन के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को शामिल कर मीडिया परिषद् बनाने की माँग जारी है। वर्तमान कसौटी पर भारतीय प्रेस परिषद् को कसने के बाद 'पोपले मुँह का पैनापन' पुस्तक साकार हुई। किस्सागोई शैली में लिखी गई इस पुस्तक में प्रेस परिषद् का गठन कैसे होता है? इसमें किन संगठनों का प्रतिनिधित्व रहता है? आदि विषयों पर प्रकाश डाला गया है। पत्रकारिता की बढ़ती भूमिका के कारण इस तरह की जानकारी पाने में आम पाठक की उत्सुकता का ध्यान रखते हुए जानकारी शामिल की गई है। सूचना का अधिकार लागू किए बहुत अधिक समय नहीं बीता है। प्रेस परिषद् का महत्त्व जतलाने के लिए इतना कहना पर्याप्त है कि आपातकाल में परिषद् को भंग कर दिया गया था। भारतीय प्रेस परिषद् स्वर्ण जयंती मना ली है। अभिव्यक्ति की आजादी की आड़ में समाचार-पत्र नागरिक स्वतंत्रता को हानि न पहुँचाएँ और न सच कहने के लिए किसी माध्यम और पत्रकार प्रताडि़त हों, इस दोहरे लक्ष्य को पाने में परिषद् की सीमा और सक्षमता को समझने में यह पुस्तक सहायक होगी।

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