Chandranath & Vairagi
Publisher:
Prabhat Prakashan
Language:
Hindi
Pages:
232
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
464 mins
Book Description
चंद्रनाथ था एक भावुक युवक। भावुकतावश उसने एक गरीब माँ की लड़को सरयू से शादी कर ली। कुछ दिनों बाद यह डर हुआ कि समाज सरयू को अपवित्र कर देगा। उसका अपराध यही था कि उसको माँ एक लंपट नवयुवक के प्रेम में फंसकर भाग आई थी। इसलिए वह वेश्या थी और सरयू हुई वेश्या की लड़की। चंद्रनाथ ने जब सुना, तो समाज के डर से सरयू का परित्याग कर देने को राजी हो गया। सरयू दया और प्रेम को मूर्ति थी। उसका संस्कार ऐसा था कि पति पर वह ईश्वर जैसी श्रद्धा-भक्ति रखतो थी। पति को आवरू पर वह आँच नहीं आने देना चाहती थी। इसलिए उसने स्वयं जहर खा लेने का प्रयास किया। किंतु समय पर वह ऐसा न करने के लिए मजबूर हुई, क्योंकि वह माँ बनने वाली थी। फिर सरयू को सहनशीलता के सामने सबको झुकना पड़ा। अंत में चंद्रनाथ की हिम्मत हुई और वह सरयू को घर ले गया--जो बहिष्कृत होने के कारण काशी चली आई थी। किसी पर कोई आँच नहीं आई। लेकिन पिस गए बेचारे कैलाश इस झगड़े में। कैलाश काका का कोई अपना नहीं था और न अपना कहने वाला। यदि कोई था भी, तो वह थी उसकी शतरंज को पोटली। सरयू वेश्या की लड़को थी, इसलिए किसी ने उसे जगह न दी थी। कैलाश काका उसे अपने घर ले गए, और उसके बेटे विशु के प्यार में इतना फँस गए कि उससे अलग होकर रह ही न सके, मर गए। इस पुस्तक में “बोझ” नामक बड़ी कहानी भी है, जो एक ऐसे युवक को कहानी है--जिसकी नवविवाहिता पत्नी हैजे से पीड़ित हो, उसके सुख-स्वप्न को भंग कर, अपने सास-ससुर को अश्रु-प्रवाह में बहने को छोड़ जाती है। प्रियजनों के कहने पर वह दूसरा विवाह नलिनी से करता है। नलिनी सुंदर तो है ही, बुद्धिमती......