Asamanjas
Publisher:
Prabhat Prakashan
Language:
Hindi
Pages:
120
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
240 mins
Book Description
"महात्मा गांधीजी सत्य और अहिंसा को अपने सभी सिद्धांतों, विचारों और कार्यों का सारभूत मूल मानते थे। जो कुछ वह विचार करते थे और कहते थे, सबको सत्य और अहिंसा की कसौटी पर कसते थे और यदि वह खरा निकलता तो उसे स्वीकार करते थे तथा दूसरे तक उसे पहुँचाने का प्रयत्न भी करते थे। यदि कुछ संदेह हुआ तो उसे छोड़ देते थे। उन्होंने कई बार अपने जीवन में यह स्वीकार किया कि उनके द्वारा हिमालय जैसी भारी भूल हुई। --- महात्माजी का यह विचार था कि मनुष्य को उतने ही आराम के साधनों की आवश्यकता होनी चाहिए, जो जीवन-निर्वाह के लिए पर्याप्त हों और जो दूसरे पर भार डाले बगैर मुहैया किए जा सकते हों और जिनके कारण दूसरों का न तो शोषण की आवश्यकता पड़े, न दूसरों के साथ जोर-जबरदस्ती करने की आवश्यकता हो। इससे यदि अधिक आवश्यकता हुई तो या तो दूसरों का शोषण करना होगा या दूसरों के साथ जबरदस्ती करनी होगी, जो दोनों हिंसा के रूप हैं, या अन्य प्रकार से असत्य का उपयोग करना होगा। —इसी पुस्तक से देशरत्न बाबू राजेंद्र प्रसाद ने गांधी-दर्शन को जितनी गहराई से समझा था और बापू के सत्य, अहिंसा एवं कर्मवाद के सिद्धांत को जितनी निष्ठा से अपने जीवन में उतारा था, वैसा शायद ही कहीं देखने को मिलता है। ¥â×¢Áâ में गांधीवाद की सच्ची व्याख्या और गांधीजी के सिद्धांतों की स्पष्ट झलक मिलती है। गांधीजी के सिद्धांतों को साकार करनेवाली पुस्तक, जिसे पढ़कर सुधी पाठकगण निश्चित ही लाभान्वित होंगे। "