Sahastrabahu
Publisher:
Prabhat Prakashan
Language:
Hindi
Pages:
288
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
576 mins
Book Description
यशस्वी रचनाकार स्व. गुरुदत्त ने रसायन विज्ञान (कैमिस्ट्री) में एम.एस-सी. की और गवर्नमेंट कॉलेज, लाहौर (अब पाकिस्तान में) में प्रोफेसर के पद पर कार्य किया। स्वाधीनता आंदोलन से जुड़ने पर पद से त्याग-पत्र दे दिया। तत्पश्चात आयुर्वेद का ज्ञान प्राप्त किया और उसे ही अपना कार्यक्षेत्र बनाया; साथ-ही-साथ उपनिषदों और वेदों का गहन अध्ययन किया। लेकिन नियति उन्हें बचपन से ही लिखने की प्रेरणा दे रही थी। शीघ्र ही वे उपन्यास-जगत में छा गए। उन्होंने अपने उपन्यासों के पात्रों द्वारा पाठकों को भिन्न- भिन्न विषयों का ज्ञान दिया। विज्ञान के प्रोफेसर यशस्वी लेखक ने अपने उपन्यास 'सहस्रबाहु' में पाठकों को अत्यंत रुचिकर विधि से आधुनिक विज्ञान व प्राचीन भारतीय विज्ञान की जानकारी दी है। उपन्यास का एक पात्र बताता है कि इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन व न्यूट्रॉन तो वेदों में वर्णित वरुण, मित्र एवं सोम ही हैं, और कैसे उनकी विभक्ति भयंकर ऊर्जा उत्पन्न करती है। यदि इन फॉर्मूलों की प्राप्तिएक आस्तिक वैज्ञानिक को होती है तो वह मानव कल्याण का साधन बन जाता है और नास्तिक वैज्ञानिक यही ज्ञान प्राप्त कर अशांति व सर्वनाश का कारण बन जाता है। महान् उपन्यासशिलपी वैद्य गुरुदत्त की यह कृति रोचक होने के साथ-साथ शिक्षाप्रद भी है। - पदमेश दत्त