Saans Ke Rahasya
Author:
Rajeev SaxenaPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Academics-and-references0 Reviews
Price: ₹ 280
₹
350
Available
इस पुस्तक में साँस से संबंधित बेहद गोपनीय और अत्यंत प्राचीन आध्यात्मिक विध्या के बारे में बताया गया है। इसे जान-बूझकर गुप्त रखा गया था, जिसकी वजह से आज यह ज्ञान लुप्त सा हो गया। साँस का मतलब जीवन का लक्षण मात्र नहीं, बल्कि हमारी साँस में इतने रहस्य छिपे हैं, जिनकी गिनती भी मुश्किल है। हमारा खाना-पीना, सोना-जागना, सेक्स, स्वास्थ्य, बीमारी यानी भौतिक जीवन की कोई भी क्रिया हो या आध्यात्मिक साधना, ध्यान/मेडिटेशन--मतलब हम कुछ भी करें--उसकी सफलता या असफलता इस बात पर पर निर्भर करती है कि उसे करते समय हमारी साँस कैसी थी। असल में, हमारी साँस लगातार बदलती रहती है। साँस में जरा से बदलाव से मन की स्थिति भी बदल जाती है। यह सब साँस के साथ चल रही नाड़ियों के कारण होता है, जो 24 घंटे बदलती रहती हैं। लेकिन इन सूक्ष्म क्रियाओं की ओर कभी हमारा ध्यान नहीं जाता, क्योंकि हम साँस लेने का काम, दिमाग का इस्तेमाल किए बगैर ही करते रहते हैं। जबकि कोई भी बड़ी आसानी से इन रहस्यों को खुद अनुभव करके इनसे लाभ उठाकर जीवन को सरल बना सकता है।यह पुस्तक आसान भाषा में DIY (डू इट योर सेल्फ) की शैली में लिखी गई है।
ISBN: 9789355212498
Pages: 200
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Manovigyan Ka Paribhashik Shabdkosh
- Author Name:
Nirmala Sherjang
- Book Type:

-
Description:
शिक्षा के स्तर को उन्नत करने के लिए शिक्षा के माध्यम को बदलना अनिवार्य है, अंग्रेज़ी के स्थान पर हिन्दी अथवा मातृभाषा का उपयोग नितान्त आवश्यक है। किन्तु इस कार्य में मुख्य कठिनाई मानकित पुस्तकों की है।
यह पुस्तक इसी दिशा में एक प्रयास है। इसमें मनोविज्ञान के हिन्दी पर्यायवाची शब्दों के साथ-साथ उनके सम्बन्ध में संक्षिप्त किन्तु समुचित परिचय भी दिया गया है। इसमें यथासम्भव उन पर्यायवाची शब्दों का उपयोग किया गया है जिन्हें भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है अथवा जो बहुत प्रचलित हो चुके हैं।
यह पुस्तक केवल छात्रों की आवश्यकताओं को ही नहीं, बल्कि मनोविज्ञान और साहित्य के लेखकों की आवश्यकताओं को भी ध्यान में रखकर लिखी गई है। मनोविज्ञान का महत्त्व जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में दिनोदिन बढ़ता जा रहा है और इसका प्रभाव साहित्य पर भी बहुत पड़ा है। मनोविज्ञान की पारिभाषिक पदावली से भली-भाँति परिचित न होने से प्रायः मनोवैज्ञानिक शब्दों का भ्रान्तिमय उपयोग हो जाता है। इसी दृष्टिकोण से इस पुस्तक में प्रत्येक शब्द के साथ उसकी धारणा का भी संक्षिप्त विवरण दिया गया है।
इस कोश के दो भाग हैं—पहले भाग में अंग्रेज़ी के हिन्दी पर्याय तथा उनकी परिभाषा और संक्षिप्त विवरण है। दूसरे भाग में हिन्दी शब्दों के अंग्रेज़ी पर्यायवाची शब्द हैं। हिन्दी शब्द के अर्थ अंग्रेज़ी पर्याय की सहायता से पहले भाग से देखे जा सकते हैं।
Champaran Satyagrah Ka Ganesh
- Author Name:
Ajit Pratap Singh
- Book Type:

- Description: यह पुस्तक चम्पारण सत्याग्रह में गणेश जी की भूमिका का रोचक अध्ययन है। जब एक सदी बाद चम्पारण के सत्याग्रह की चर्चा हो रही है, देश उस लड़ाई को फिर से याद कर रहा है जिसके बाद भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में किसानों की समस्याएँ एक अभिन्न हिस्सा बन गई। वह संघर्ष जिसने मोहनदास करमचन्द गांधी को महात्मा गांधी बना दिया और उन्हें करोड़ों भारतीय के दिलों में बसा दिया, उस आन्दोलन के सूत्रधार और उसके सहयोगियों की चर्चा के बिना यह संघर्षगाथा अधूरी है। यह पुस्तक दरअसल स्वाधीनता-संग्राम की समझ के प्रति समझ के धरातल का विस्तार करती है।
Pyar To Hona Hi Tha
- Author Name:
Himanshu Rai
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
151+ Essays for IAS/PCS & other Competitive Exams (Including UPSC CSE Essay Papers)
- Author Name:
Dr. B. Ramaswamy
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Indradhanush Ke Kitne Rang (2nd Edition)
- Author Name:
Dr. Piyush Ranjan
- Book Type:

- Description: पुस्तक के पहले संस्करण को पढ़ कर बहुत सारे लोगों को सुखद आश्चर्य हुआ। आमतौर पर विज्ञान के विद्यार्थी और चिकित्सक भाषा और साहित्य के मामले में रूखे और नीरस माने जाते हैं। इस पुस्तक के प्रकाशन के बाद (‘डॉ. साहब, आपकी कविताएँ भावना-प्रधान और उच्च स्तरीय है’, ‘बहुत रोचक हैं’, ‘बिल्कुल हटकर हैं’, ‘पढ़ कर मजा आ गया’ आदि सरीखे) प्रशंसा का भाव लिये हुए कई बधाई सूचक शब्द सुनने को मिलते रहे, इस संस्करण में एक नए गीत ‘मोहे रँग दे’ को सम्मिलित किया गया है। इस गीत की रिकॉर्डिंग हो चुकी है और फागुन के अवसर पर लोकार्पण करने की योजना है। पुस्तक के बारे में— भावनाओं के कई रंग होते हैं और सभी रंगों का अपना एक अलग ही मजा होता है। जब से जिंदगी को समझा है, जिंदगी को सिर्फ अपने दिल की सुनकर, भावनाओं से परिपूर्ण जीया है। यह पुस्तक इंसान के इंद्रधनुषी भावनाओं के उन रंगों को सहेजने का एक प्रयास है, जिसका अनुभव जिंदगी के किसी-न-किसी मोड़ पर मुझे हुआ है। ‘इंद्रधनुष के कितने रंग’ जिंदगी के विविध रंगों को पन्नों पर उतरने की एक कोशिश है। ‘फलसफा’ में जिंदगी के मूल्य को समझते हुए, अपने कृत्य के द्वारा जिंदगी को और भी ज्याद मूल्यवान बनाने का संदेश दिया गया है। ‘जिंदगी दो पल की’ होती है। अफसोस, ज्यादातर लोग इस बात को जब तक समझ पाते हैं, तब तक ये पल बीत गए होते हैं। शपथ-पत्र—रचनाकार इस पुस्तक के विक्रय से होनेवाले समस्त धन-लाभ को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली के गरीब मरीजों के इलाज के लिए दान देने की शपथ लेता है।
IIT-JEE Main + Advanced Bhautiki (Physics) for JEE Main + JEE Advanced and NEET (Other Engineering Entrance Examinations)
- Author Name:
Subhash Jain
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Classroom Mein Chanakya
- Author Name:
Mahesh Dutt Sharma
- Book Type:

- Description: आचार्य चाणक्य कूटनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक महान् शिक्षक भी थे। उन्होंने चंद्रगुप्त को अपने शैक्षिक निर्देशन में साधारण से असाधारण बना दिया और सत्ता के सबसे शीर्ष सिहासन तक पहुँचा दिया, इसी प्रकार, चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र ‘चाणक्य नीति’ में विद्यार्थियों के लिए भी अपना निजी उच्च और अनुभूत शैक्षिक दर्शन व्यक्त किया है। उनके शैक्षिक दर्शन को जीवन में उतारकर एक साधारण विद्यार्थी थी भी असाधारण उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ सकता है।
UPPCL TECHNICIAN (VIDYUT) SAMOOH ‘C’
- Author Name:
Team Prabhat
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Super Cracker Series NTA CUET (UG) Rajniti Vigyan (CUET Political Science in Hindi 2022)
- Author Name:
Team Prabhat
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
ANM Prashikshan Chayan Pariksha (Auxiliary Nurse Midwife Entrance Exam Hindi)
- Author Name:
Team Prabhat
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Lokbharti Pramanik Hindi Bal Kosh
- Author Name:
Ramchandra Verma
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Mere Anubhav aur Itihas Ke Jharokhe Se Kashmir
- Author Name:
Dr. Ashok Kumar Gaadiya
- Book Type:

- Description: लेखक की आपबीती जम्मू-कश्मीर के उन बच्चों के जीवन की त्रासदी से जुड़ी है, जो पहली बार भारत के विभिन्न राज्यों के महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा पाने के लिए अपने घर-परिवार से अलग होने को तैयार हो गए थे। प्राचीनकाल से कश्मीर एक सुंदर, रमणीय, शांत भूमि एवं ऋषि- मुनियों की साधना स्थली थी, जिसमें कमजोर और अयोग्य राजा आने लगे। उससे भ्रष्टाचार, व्यभिचार और अत्याचार पहले तो राज दरबार, फिर आम जनता में व्याप्त होने लगा, जिसके कारण अव्यवस्था फैलने लगी; लोगों में डर, असुरक्षा, अंधविश्वास, झूठ, फरेब, कुरीतियाँ, पक्षपात, ऊँच-नीच, शोषण और स्त्रियों की दुर्दशा होने लगी। शेख अब्दुल्ला की सक्रिय राजनीति से लेकर पं. नेहरू और महाराजा हरि सिंह विवाद से उपजी समस्या से जनमानस सहित कश्मीर की दुर्गति दृष्टिगत है। चुनाव की राजनीति ने सरकारी मशीनरी द्वारा चुनाव परिणामों में जबरदस्त हेरा-फेरी और धाँधलियों ने सारी सीमाएँ तोड़ दीं, जिससे लोग बहुत निराश हुए। 1971 ई. की लड़ाई में मिली हार से बौखलाए पाकिस्तान की साजिश से नब्बे के दशक से प्रारंभ हुई कश्मीर को अशांत करके भारत से बदला लेने की लंबी योजना। वर्तमान केंद्र सरकार द्वारा कश्मीर में किए अभूतपूर्व निर्णयों से वहाँ के जनमानस में एक विश्वास जाग्रत् हुआ है, वहाँ विकास की नई बयार बह रही है, युवा और महिलाएँ बढ़-चढ़कर सकारात्मक सहयोग कर रहे हैं । यह पुस्तक कश्मीर को इतिहास के झरोखे से वर्तमान परिप्रेक्ष्य का दिग्दर्शन करवाती है।
Madhya Pradesh Madhyamik Shikshak Patrata Pareeksha Hindi Practice MCQs
- Author Name:
Team Prabhat
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
O Ri Gauraiya
- Author Name:
Sanjay Kumar
- Book Type:

- Description: कहाँ चली गई चुनमुन गौरैया, जो हमारी नानी-दादी की कहानी में चीना सोंवा की बाल टूँगकर खाती थी? भूरी, पीली, धूसर—कई रंगोंवाली छोटी चिडिय़ा। घरों में अपने घोंसले बनानेवाली, काँस के झाड़ में, बाँध, सड़क के किनारेवाले बबूल और कठजिलेबी के पेड़ में डबल स्टोरी घोंसला बनानेवाली दर्जिन गौरैया कहाँ गई? क्या हमारी क्षुधा ने सबको उदरस्थ कर लिया? प्रचंड गरमी, बेहद ठंड ने उसकी जान ले ली? पर्यावरण के असंतुलन ने गला घोंट दिया या खेतों, पौधों पर छिड़के जाने कीटनाशकों ने नष्ट कर दिया? इतने कुछ कारण तो हैं ही, कुछ और भी हो सकते हैं। वह चंचल भोली चिडिय़ा हमारे जीवन से गायब होने लग गई। बाग-बगीचे कटकर, खेत नष्ट कर बिल्डिंगें बन गईं, कहाँ रहेगी गरीब चिडिय़ा? लेकिन संवेदनशील लोगों की टीम ने मिलकर इसे पुन: अपने जीवन में लौटाने के लिए प्रयास किया। —पद्मश्री उषाकिरण खान प्रख्यात लेखिका
Jan Gopal : Sant Dadu Ke Jivanikar
- Author Name:
Purushottam Agarwal +1
- Book Type:

- Description: हालाँकि आज उन्हें बहुत लोग नहीं जानते, लेकिन जन गोपाल आरम्भिक आधुनिक भारत के एक महत्त्वपूर्ण देशज बुद्धिजीवी थे। ‘जन गोपाल : संत दादू के जीवनीकार’ पुस्तक के लेखकों का कहना है कि ऐसे कई निर्गुण भक्त कवि रहे हैं जिन पर उनकी काव्य-मेधा और ऐतिहासिक अहमियत के बावजूद उतना ध्यान नहीं दिया गया जितने के वे हक़दार थे। उन्नींसवीं सदी के राजस्थानी कवि एवं कथावाचक जन गोपाल भी ऐसी ही प्रतिभा हैं। यह पुस्तक उनके जीवन और कृतित्व पर केन्द्रित एक अभूतपूर्व अध्ययन है। जन गोपाल किसी आम निर्गुणपंथी भक्त के साँचे में पूरी तरह फ़िट नहीं बैठते। उनका जन्म एक व्यापारी परिवार में हुआ; निर्गुण पंथ का चुनाव उन्होंने किसी पारिवारिक या सामाजिक परम्परा के चलते नहीं, बल्कि अपने सचेत निजी निर्णय के आधार पर किया। उन्होंने अपने साहित्य में न केवल छन्दशास्त्र, काव्य-परम्परा और शास्त्रीय हिन्दुस्तानी संगीत के अपने अद्भुत ज्ञान का बल्कि एक नागर तथा प्रगतिशील संवेदना का भी परिचय दिया। उनकी प्रमुख रचनाओं में ‘दादू जनम लीला’ का नाम सबसे पहले आता है जो उनके गुरु और अकबर के समकालीन दादू दयाल की जीवन-गाथा है। भागवत पुराण की कथाओं को भी उन्होंने अपने काव्य में पिरोया जिनमें ‘प्रह्लाद चरित्र’, ‘ध्रुव चरित्र’ और ‘जड़ भरत चरित्र’ मुख्य हैं। इस पुस्तक में स्पष्ट होता है कि जन गोपाल का विशेष महत्त्व इसलिए है कि उन्होंने लोक-प्रचलित पौराणिक कथाओं को अपनी हिन्दी व ब्रज रचनाओं में समकालीनता का एक सूक्ष्म तेवर दिया। साथ ही इन कथाओं के नैतिक पक्ष को नए रूप में रचने की प्रक्रिया में उन्होंने पारम्परिक धर्मशास्त्र के मूल तत्त्व पर भी नई दृष्टि डाली और भक्ति को एक समतावादी और मुक्तिकारी रूप में प्रस्तुत किया। जन गोपाल के जीवन और कृतित्व के विश्लेषण के साथ और भक्ति परम्परा में उन्हें उनका उचित स्थान देते हुए लेखकों ने इस पुस्तक में उनके रचे तीनों चरित्रों (प्रह्लाद, ध्रुव और भरत) के साथ ही उनके बीस पद भी प्रस्तुत किए हैं। देशज बौद्धिक परम्पराओं और निर्गुण भक्ति के अध्ययन के लिए यह पुस्तक निस्सन्देह महत्त्वपूर्ण है।
Hamari-Tumhari Love Stories (40 Prem stories)
- Author Name:
Suman Bajpai
- Book Type:

- Description: कॉफी के हर घूँट के साथ वह चीज स्टिक को परियों की जादुई छड़ी की तरह घुमाती किस्से सुना रही थी। वह वशीभूत सा बैठा सुन रहा था। जब भी वह कुछ कहती, एक उत्कंठा हमेशा उसे घेर लेती। उसकी दुनिया अजनबी नहीं रही थी, वह बिना दस्तक दिए ही उसके मन पर अपना कब्जा जमा चुकी थी। हम यों ही कभी-कभी मिल सकते हैं क्या? पूछते समय अपने स्वर में लरजते कंपन को महसूस किया उसने। वह उसे किसी भी हाल में खोना नहीं चाहता था। क्योंकि अब उसे पता था, वह क्या चाहता है। वह मुसकराई। हाँ, मिल सकते हैं। वैसे मेट्रो में तो अकसर मुलाकात हो ही जाती है, फिर क्या कॉफी पीने के लिए मिलना जरूरी है? उसकी आँखों में शरारत थी। चलो मिल लेंगे यों भी कभी-कभी, पर नो कमिटमेंट। उम्मीदों के पहाड़ मत खड़े कर लेना देव बाबू। मैं पारो नहीं हूँ, न ही बनना चाहती हूँ। एहसासों को बंद मुट्ठी में कैद करने में यकीन नहीं रखती। दोस्ती जैसा एहसास पंख दें, उड़ान दें, यही चाहती हूँ। अगर ऐसा कर सको तो तुम भी उड़ सकते हो मेरे साथ। —इसी पुस्तक से
Bhartiya Thal Sena (Agniveer)
- Author Name:
Team Prabhat
- Book Type:

- Description: Indian Army General Duty (GD) Bharti Pareeksha Guide
Paap Aur Punya
- Author Name:
Guru Datt
- Book Type:

- Description: "यशस्वी रचनाकार स्व. गुरुदत्त ने रसायन विज्ञान (कैमिस्ट्री) में एम.एस-सी. करने के पश्चात् आयुर्वेद का ज्ञान प्राप्त किया, साथ-ही-साथ भारतीय आर्षषष ग्रंथों का गहन अध्ययन किया। उन्होंने अपने पाठकों को अपने उपन्यासों के पात्रों के माध्यम से इन ग्रंथों का ज्ञान अत्यंत रुचिकर ढंग से दिया। प्रस्तुत उपन्यास 'पाप और पुण्य' की पात्र श्रीमद्भगवद्गीता के संदर्भ से पाप और पुण्य को परिभाषित करती है। वह समझाती है कि कुछ कार्य पाप नहीं होते, परंतु कानून की दृष्टि में अपराध होते हैं । इसी प्रकार कई कार्य कानून की दृष्टि में अपराध न होते हुए भी पाप होते हैं। ऐसा क्यों है ? यही इस उपन्यास का विषय है। रोचकता से भरपूर कथा वर्तमान कानून व्यवस्था पर करारी चोट करती है। लेखक अपने इस पठनीय उपन्यास के पात्रों के माध्यम से हमें उस राह पर चलने का परामर्श देते हैं, जो न पापमय हों और न ही वर्तमान कानून की दृष्टि में अपराध हों। उपन्यास की तेज गति पाठक को बाँधकर रखती है और वह इसे आरंभ कर समाप्त किए बिना नहीं छोड़ सकता । --पद्मेश दत्त
UPSSSC Kanisth Sahayak (Junior Assistant Mains) Mukhya Pariksha (20 Practice Sets)
- Author Name:
Team Prabhat
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Bhakti Ke Teen Swar : Miraan, Sur, Kabir
- Author Name:
John Stratton Hawley
- Book Type:

- Description: प्रो. हौली पिछले कई दशकों से भक्ति और हिन्दू परम्परा के अन्य पहलुओं पर विचारोत्तेजक काम करते रहे हैं। केनेथ ब्रायंट के साथ मिलकर उन्होंने सूरदास के पदों की प्रामाणिकता और पाठ-निर्धारण पर काम किया है। प्रस्तुत पुस्तक मूल अंग्रेज़ी में 2005 में प्रकाशित हुई थी। इस बीच नई खोजें हुई हैं, भक्ति-विमर्श में नए प्रश्न, नई शब्दावलियाँ आई हैं। प्रो. हौली ने पुस्तक की सामग्री को नई खोजों की रोशनी में अद्यतन किया है, हालाँकि ऐसा करते समय भी वे अपने मूल तर्क, आग्रहों और पद्धति को बनाए रहे हैं। सूरदास रचित पदों की संख्या ठीक-ठीक लाख नहीं तो हजारों में माननेवालों के लिए यह बहुत चौंकानेवाली बात होगी कि प्रो. हौली इनमें से केवल चार सौ तैंतीस को इस अर्थ में प्रामाणिक मानते हैं कि वे सूरदास से सम्बन्धित प्राचीनतम पांडुलिपियों में प्राप्त होते हैं। हौली इस पुस्तक में सूरदास, मीराँ और कबीर से जुड़े विशिष्ट सवालों—समय, रचनाओं की प्रामाणिकता, संवेदना का स्वभाव, लोक-स्मृति में उनका स्थान—आदि पर तो विचार करते ही हैं, वे इनके बहाने भक्ति-संवेदना से जुड़े व्यापक प्रश्नों पर भी विचार करते हैं। वे उस विमर्श में भी हिस्सा लेते हैं, जो भक्ति-संवेदना के ऐतिहासिक और दार्शनिक रूप से अभूतपूर्व पहलुओं को समझने की कोशिश करता रहा है। निर्गुण ही नहीं, यह बात तुलसी, सूर, मीराँ जैसे सगुण कवियों के बारे में भी सच है कि उनकी कविता आचार्यों द्वारा कर दिए गए ब्रह्म-निरूपण का जन-सुलभ मुहावरे में प्रचार करने के लिए नहीं रची गई है। वह सचमुच स्वायत्त और नवाचार सम्पन्न 'निज ब्रह्म विचार' है। इस निज ब्रह्म विचार और इसकी काव्याभिव्यक्ति के तीन सर्वाधिक मनोहर स्वरों को सुनते हुए प्रो. जॉन स्ट्रैटन हौली बहुत ही विचारोत्तेजक निष्कर्षों तक पहुँचे हैं, जिनमें से कुछ इस पुस्तक के माध्यम से आपके सामने मौजूद हैं।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...