
Gopi Ki Diary
Publisher:
Prabhat Prakashan
Language:
Hindi
Pages:
96
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
192 mins
Book Description
"तुम मेरी जिंदगी हो—गोपी, गोपेचा, गोपेश, गोपीनाथ, गोपाल राव, गोपाल स्वामी, गोपू। यह गोपी नाम के एक कुत्ते और उसे गोद लेने वाले प्यारे परिवार की कहानी है। इस किताब में बताया गया है कि कैसे जल्द ही गोपी सफेद फर वाले छोटे से पिल्ले से एक युवा कुत्ते में बदल जाता है। वह अपनी दुनिया से अच्छी तरह परिचित है। उसके आस-पास रहने वाले लोग उसका नाम पुकारें, इससे पहले ही वह उनके मन की बात समझ जाता है। सुधा मूर्ति की अनूठी शैली में लिखी यह साधारण सी कहानी एक कुत्ते के नजरिए से प्रस्तुत की गई है, जो हमें बताती है कि पालतू जानवर अपने प्यार, समर्पण और असीमित प्यार के कारण ही इतने खास बन जाते हैं। सुधा मूर्ति की यह पुस्तक हर उम्र के लोगों के लिए है, क्योंकि गोपी बच्चों के साथ-साथ बड़ों के दिलों को भी अपने प्यार से भर देता है। ‘गोपी की डायरी’ बच्चों के लिए लिखी तीन पुस्तकों की शृंखला है। इस शृंखला की पहली पुस्तक ‘घर आना’ है। "