Sampoorna Baal Natak
Author:
Vishnu PrabhakarPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 400
₹
500
Unavailable
विष्णु प्रभाकरजी ने बड़ों के साथ-साथ बच्चों के लिए भी लगभग सभी विधाओं में साहित्य सृजन किया है। इनमें कहानी, नाटक, यात्रा-वृत्तांत, जीवनियाँ आदि सभी कुछ हैं। बच्चों के लिए लिखते समय उन्होंने इस बात का विशेष ध्यान रखा कि जो भी लिखा जाए, बच्चों के मानसिक स्तर को ध्यान में रखकर लिखा जाए—जो रोचक भी लगे और शिक्षाप्रद भी हो। विष्णुजी ने अपने नाटकों में बच्चों को नई-से-नई बात बताने का प्रयास किया। उनका मानना था कि परी-कथाओं के कल्पित संसार में बच्चों को नहीं भटकना चाहिए। उन्हें विज्ञान की दुनिया में घुमाने पर हम पाएँगे कि वह बहुत रोचक और सुंदर है। साथ-साथ उनकी यह कोशिश रही कि बच्चों को आज के समाज और जीवन की बातें भी बताएँ। आम जीवन के रोचक प्रसंगों को लेकर नाटक की रचना इस प्रकार की जाए कि उसे पढ़ने में तो आनंद आए ही, साथ ही इसे मंच पर आसानी से खेला भी जा सके।
विष्णुजी के नाटकों की भाषा सरल है और संवाद संक्षिप्त व प्रभावी हैं। शिक्षा कहीं भी ऊपर से आरोपित नहीं लगती है, बल्कि वह सहज अभिनय और कथा के अंदर से स्वतः प्रस्फुटित होती है। मंच पर ज्यादा सजावट-बनावट का चक्कर भी नहीं है। बच्चे स्वयं ही सरलता से अभिनय कर सकते हैं।
बालमन को प्रेरित-संस्कारित करनेवाले अभिनेय बाल नाटकों का अनुपम संग्रह।
ISBN: 9789387968530
Pages: 264
Avg Reading Time: 9 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Soni Pandey
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- Description: सुनो कबीर युवा कथाकार सोनी पांडेय का पहला उपन्यास है। इसमें वे आज़मगढ़ के एक गाँव इब्राहिमपुर की कथा कह रही हैं। उपन्यास इस बात का जीवन्त दस्तावेज है कि एक साझी विरासत और सपने साझा करते हुए लोग राजनीतिक साजिशों का शिकार होकर कैसे एक दूसरे को शक की नजर से देखने लगते हैं। असल में इनके साझेपन के बीच एक दरार है जिस पर सवार होकर बाँटने वाली तमाम ताकतें बार-बार इन तक आती हैं। ये दरार है जाति और धर्म की चौहद्दी को बनाए रखते हुए एकता बनाए रखने की कोशिश करना। जाति या धर्म के बाहर घटित हुआ एक प्रेम भी इस कथित एकता को ध्वस्त कर देता है और उस्मान की मुहब्बत भरी दुनिया उजड़ जाती है। लेकिन यहीं से उपन्यास नई उठान लेता है जहाँ उस्मान अपने निजी जीवन में त्रासदी का शिकार होकर भी इस दुनिया में मुहब्बत बचाए रखते हैं। सोनी अपनी कहानियों में कस्बाई जीवन का खदबदाता हुआ यथार्थ रचती रही हैं। सुनो कबीर में वे अपनी इस चिर-परिचित जमीन में और गहरे धँसी हैं। यहाँ पर उस्मान, फेकू, मोनिका, मनोहर या पिंकी जैसे एकदम साधारण चरित्रों की स्वप्नशील पर यथार्थपरक दुनिया है। यहाँ पर मोनिका या पिंकी जैसी स्त्रियाँ हर व्यूह को तोड़ते हुए आगे बढ़ रही हैं। ये बराबर मनुष्य होना अपना हक मानते हुए एक सपना देखती हैं और इन्हें ऐसे साथी मिलते हैं जो इन सपनों के सहयात्री बनते हैं। मंच पर स्त्री भूमिकाएँ करने वाला फेकू अपने जीवन में एक खास तरह का पुरुष होने के स्टीरियोटाइप से दूर हो रहा है। ये एक ऐसी स्थिति है जिसकी वजह से उसका दाम्पत्य जीवन कुछ समय के लिए खतरे में जरूर आता है पर एक दिन उसकी पत्नी भी जानती है कि फेकू इस दुनिया के पुरुषों की तुलना में कितना ज्यादा मनुष्य और साथी है। एक पठनीय और जरूरी उपन्यास।
Krishnavtar : Vol. 4 : Mahabali Bheem
- Author Name:
K. M. Munshi
- Book Type:

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Description:
कोई द्रष्टा साहित्यकार जब इतिहास को देखता है तो उसे उसकी समग्रता में दिखाता भी है, और ऐतिहासिक-पौराणिक चरित्रों को आधार बनाकर गुजराती में अनेक श्रेष्ठ उपन्यासों की रचना करनेवाले सुविख्यात उपन्यासकार कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी भारतीय कथा-साहित्य में ऐसे ही द्रष्टा साहित्यकार के रूप में समादृत हैं।
‘कृष्णावतार’ मुंशी जी की कई खंडों में प्रकाशित और कई भाषाओं में अनूदित बृहत् औपन्यासिक कृति है। ‘महाबली भीम’ इसका चौथा खंड है।
महाभारतकालीन योद्धाओं में भीम का चरित्र सर्वाधिक रोमांचक है और इस खंड में उसके विभिन्न आयामों का अविस्मरणीय अंकन हुआ है। यों समूचे उपन्यास की तरह यह खंड भी कृष्ण-सरीखे नीतिज्ञ और महायोद्धा की उपस्थिति से अछूता नहीं है, पर द्रौपदी-स्वयंवर से महाभारत युद्ध-पर्व तक का राजनीतिक परिदृश्य भीम से जिस तरह अनुप्राणित है, उससे उसका रुक्ष और कोमल, विनोदी और गम्भीर तथा सर्वोपरि यौद्धेय स्वभाव मुग्धकारी रूप में सामने आता है। साथ ही तत्कालीन राजनीति को समाज की जिस विस्तृत पटभूमि पर चित्रित किया गया है, उससे पाठक के सामने अनेकानेक सुपरिचित चरित्रों का एक नया ही रूप उद्घाटित होता है और वे अपने साथ जुड़ी तमाम पौराणिकता के बावजूद अपनी ऐतिहासिकता में ज़्यादा वास्तविक और विश्वसनीय लगते हैं।
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