Adarsh Shikshak Kaise Hon
Author:
Acharya Mayaram 'Patang'Publisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
शिक्षक कैसे हो? इस प्रश्न का उत्तर अलग-अलग स्तर पर अलग-अलग प्रकार से दिया जा सकता है। यहाँ पर हम प्राथमिक शिक्षक एवं माध्यामिक शिक्षक की भूमिका की चर्चा करेंगे। विषय को बहुत विस्तुत रूप में लिया जा सकता है; परंतु पुस्तक को एक संक्षिप्त स्वरूप में ही प्रस्तुत करना अभीष्ट था, अतः बहुत विस्तार नहीं किया गया। इसी कारण अनेक पहलू छूट भी गए।
ISBN: 9789386001252
Pages: 80
Avg Reading Time: 3 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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भारतीय इतिहास में एक वक्त ऐसा भी था जब यहाँ के लोग एक तरफ ब्रिटिश पराधीनता की मार झेल रहे थे तो दूसरी तरफ वे अपनी ही भेदभावमूलक सामाजिक व्यवस्था के चक्के तले पिस रहे थे। मुट्ठी भर उच्च जातीय और उच्च वर्गीय लोग ही इस दोहरी मार से अप्रभावित थे लेकिन अधिसंख्य आबादी के लिए इससे बचना सम्भव नहीं था। इसमें भी, उन लोगों की मुश्किलों की तो कोई गिनती ही न थी, जो समाज के सबसे निचले पायदान पर थे। इन्हीं परिस्थितियों में परिवर्तन की वह सुगबुगाहट शुरू हुई जिसे आज 'पुनर्जागरण' कहा जाता है। जाहिर है, एक खंडित-विभाजित समाज में कोई पुनर्जागरण भी अखंड, सर्वस्वीकृत नहीं हो सकता था। उच्च जातीय-उच्च वर्गीय लोगों के लिए पुनर्जागरण का मतलब अगर अपना कथित धर्म और संस्कृति बचाने की जद्दोजहद थी तो उनसे इतर के लोगों के लिए समानता और शिक्षा की स्वतंत्रता हासिल करने का संघर्ष। यह दूसरी धारा जिन महान विभूतियों के जीवन और कर्म से मूर्तिमान हुई, ज्योतिराव फुले उन्हीं में से एक थे।
यह उपन्यास उन्हीं ज्योतिराव के जीवन और संघर्ष की कथा पेश करता है। समाज की रूढ़िवादी, ब्राह्मणवादी शक्तियों ने पग-पग पर उनके सामने बाधा रखी ताकि ज्योतिराव अपने उद्देश्यों से पीछे हट जाएँ। लेकिन ज्योतिराव ने कभी हार नहीं मानी और कभी अपने व्यवहार में अनुदारता नहीं आने दी। वे और उनकी जीवनसंगिनी सावित्रीबाई फुले ने अपने जीवन और कर्म से समाज के सामने ऐसा आदर्श उपस्थित किया, जिसमें एक स्वतंत्र, सक्षम आधुनिक राष्ट्र का अस्तित्व और भावी पीढ़ियों के लिए पथ-निर्देश निहित था।
एक अवश्य पठनीय और प्रेरक उपन्यास!
Jharokhe
- Author Name:
Bhisham Sahni
- Book Type:

- Description: ‘झरोखे’ एक छोटे-से परिवार की व्यथा-कथा को प्रस्तुत करनेवाला मार्मिक उपन्यास है। लेखक ने एक छोटे-से बालक की आँखों से उस परिवार में घटनेवाली छोटी-छोटी घटनाओं को देखने और उनका उल्लेख करने की कोशिश की है। एक-एक घटना एक-एक प्रबल संस्कार बनकर आती है और परिवार के बच्चों के भावी चरित्र की रूपरेखा गढ़ती चली जाती है। पारिवारिक जीवन में घटनेवाली घटनाएँ आम तौर पर अल्प और साधारण ही होती हैं, पर संस्कारों के रूप से उनका महत्त्व प्रचंड होता है। इन्हीं अल्प और साधारण लगनेवाली घटनाओं के नीचे ज़िन्दगी करवट लेती रहती है। यही छोटी-छोटी घटनाएँ पात्रों के जीवन में निर्णायक साबित होती हैं और उनकी ज़िन्दगी का रुख़ बदल देती हैं। एक छत के नीचे रहते हुए भी सभी की राहें अलग-अलग हैं। इसकी कथावस्तु में जहाँ एक ओर जीवन के उल्लसित क्षणों का चित्रण है, वहीं उसके दु:ख-दर्द और उसकी निर्मम गति का भी अविस्मरणीय रेखांकन हुआ है।
Dukhgram
- Author Name:
Chandrakishore Jaiswal
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Description:
दुनिया में सुख भले ही सुलभ न हो, दुख खोजने कहीं जाना नहीं पड़ता। सबके अपने-अपने दुख हैं लेकिन सबसे ज्यादा दुखी हैं अमरनाथ बाबू जिनका पोता मयंक मन्दबुद्धि है, मानसिक विकलांग।
उनके लिए यह छोटी बात नहीं है। वे अपने पोते से गहरे जुड़े हैं। उनके लिए उसका ठीक होना ज़रूरी है जो सम्भव नहीं लग रहा। इसलिए वे दुस्वप्नों में रहते हैं। उन्हें हथियारबन्द हत्यारों के आगे भागते बच्चों की भीड़ दिखाई देती है। दुनिया-भर की सूचनाएँ उनके दुस्वप्नों में आकर जुड़ती जाती हैं, इतिहास के अनेक खून-सने अध्याय जहाँ विकलांग और अनचाहे बच्चों को मारा जाता है।
उनकी बेचैनी उस समय एक नई दिशा अख्तियार करती है जब वे देखते हैं कि सीरिया के एक बच्चे अयलान की सागर किनारे पड़ी निर्जीव देह का चित्र देखकर कैसे पूरा विश्व व्यथित हो उठा। तब आशंकाओं की छायाओं से निकलकर इसी दुनिया से उन्हें उम्मीद की किरणें दिखाई देने लगती हैं। वे दुनिया के दुखग्राम को सुखग्राम बनाने की ठान लेते हैं और इस मुहिम के लिए उन्हें सबसे भरोसेमन्द लगता है साहित्य, किताबें, लिखने और पढ़ने वाले। कहानीकार श्रीकान्त उनके हमराज हैं, जो इस नए सफ़र में भी उनके साथ होंगे।
वरिष्ठ कथाकार चन्द्रकिशोर जायसवाल का यह उपन्यास गहरे जुड़े दादा-पोता के बहाने दुनिया-भर में बच्चों के लिए खराब होते हालात का जायजा लेता है। भ्रूणहत्या से लेकर युद्धों तक बच्चों के लिए लगातार क्रूर होती जा रही दुनिया का हवाला देते हुए यह वस्तुत: सम्पूर्ण मनुष्यता के भविष्य की चिन्ता साझा करता है।
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