Prithvi Ki Rochak Baaten
Author:
Dr. Sheo Gopal MishraPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 240
₹
300
Available
"फारसी लोककथा के अनुसार पृथ्वी की आयु 12,000 वर्ष; बैबीलोन ज्योतिषियों के अनुसार 20 लाख वर्ष; बाइबल के अनुसार 6,000 वर्ष बताई गई है । आर्क बिशप उशर का मत था कि पृथ्वी का जन्म 4004 ई. पू प्रात: 9.00 बजे हुआ! आधुनिक अनुसंधानों से सिद्ध हो चुका है कि हमारे ग्रह पृथ्वी की आयु 40,000 लाख वर्ष है ।
पृथ्वी को प्रारंभिक दिनों में अपनी धुरी पर चक्कर लगाने में केवल 4 घंटे लगते थे; यानि कि उस समय 2 घंटे का दिन तथा 2 घंटे की रात होती थी! धीरे- धीरे पृथ्वी का परिभ्रमण धीमा पड़ता जा रहा है । अब पृथ्वी को अपनी धुरी पर घूमने में 24 घंटे का समय लगता है; लेकिन एक समय ऐसा होगा जब 1 ,200 घंटे का दिन होगा!
तो क्या एक समय ऐसा भी आएगा जब पृथ्वी घूमना बंद कर देगी और पृथ्वी के आधे हिस्से में दिन तथा आधे में सदैव रात ही रहेगी?
परंतु पृथ्वी पर आज भी एक स्थान ऐसा है जहाँ कम-से-कम एक दिन अंधकार (रात) नहीं रहता!
वैज्ञानिकों का मानना है कि एक समय चंद्रमा अपनी कील पर घूमना बंद कर देगा । उस स्थिति में समुद्र में ज्वार उठने बंद हो जाएँगे! यह तो आप जानते हैं कि समुद्र में ज्वार- भाटे आते हैं; पर शायद आपको यह न ज्ञात हो कि पृथ्वी में भी इस प्रकार के ज्वार उत्पन्न होते हैं!
पृथ्वी की ऐसी ही रोचक तथा वैज्ञानिक जानकारी के लिए प्रस्तुत है पुस्तक ' पृथ्वी की रोचक बातें '|
ISBN: 9789383111923
Pages: 124
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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शरत् के अत्यन्त लोकप्रिय उपन्यास ‘पथेर दाबी’ का यह नया और प्रामाणिक अनुवाद एक बार फिर आत्ममन्थन और वैचारिक-सामाजिक बेचैनी की उस दुनिया में ले जाने को प्रस्तुत है, जो साठ-सत्तर साल पहले इस देश की आम आबोहवा थी। एक तरफ़ अंग्रेज़ सरकार का विरोध, उसी के साथ-साथ सामाजिक रूढ़ियों से मुक्ति का जोश और एक सजग राष्ट्र के रूप में पहचान अर्जित करने की व्यग्रता—यह सब उस दौर में साथ-साथ चल रहा था। शरत् का यह उपन्यास बार-बार बहसों में जाता है, अपने वक़्त को समझने की कोशिश करता है, और प्रतिरोध तथा अस्वीकार की एक निर्भीक और स्पष्टवादी मुद्रा को आकार देने का प्रयास करता है।
पहली बार सम्पूर्ण पाठ के साथ, सीधे बांग्ला से अनूदित यह उपन्यास भावुक-हृदय शरत् के सामाजिक और राजनीतिक सरोकारों और चिन्ताओं का एक व्यापक फलक प्रस्तुत करता है। तत्कालीन सामाजिक-राजनीतिक स्थितियों पर दो टूक बात करता यह उपन्यास एक लेखक के रूप में शरत् की निर्भीकता और स्पष्टवादिता का भी प्रमाण है। अंग्रेज़ी शासन और बंगाली समाज के बारे में उपन्यास के मुख्य पात्र डॉ. सव्यसाची की टिप्पणियों ने तब के प्रभु समाज को विकल कर दिया था, तो यह स्वाभाविक ही था। अपने ही रोज़मर्रापन में गर्क भारतीय समाज को लेकर जो आक्रोश बार-बार इस उपन्यास में उभरा है, वह मामूली फेरबदल के साथ आज भी हम अपने ऊपर लागू कर सकते हैं। उल्लेखनीय है डॉक्टर का यह वाक्य, “ऐसा नहीं होता, भारती, कि जो पुराना है वही पवित्र है। सत्तर साल का आदमी पुराना होने की वजह से दस साल के बच्चे से ज़्यादा पवित्र नहीं हो सकता।”
स्वतंत्रता संघर्ष की उथल-पुथल के दौर में भारतीय समाज के भीतर चल रही नैतिक और बौद्धिक बेचैनियों को प्रामाणिक ढंग से सामने लाता एक क्लासिक उपन्यास।
Pahala Kadam
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- Description: भारतीय शिक्षण संस्थाओं से हम भारतीयों की त्यागनिष्ठा तथा स्वात्म समर्पण के भावों का सम्बन्ध हज़ारों-हज़ारों वर्षों से चला आ रहा है। शिक्षक, गुरु, गुरुकुल में ऋषिजीवन और छात्र तपस्वी का जीवन व्यतीत करते रहे हैं। भारत के सामन्त, सम्राट, नरेश, सम्पन्न सेठ तथा वणिक दान का सर्वांश इन संस्थाओं को अर्पित करके समाज रचना की सत्त्वमयी परम्परा के निर्माण के प्रति संकल्पबद्ध थे। समाज तथा गुरुकुल ऋण से आजीवन मुक्त नहीं होता था। किन्तु आज, अंग्रेज़ों द्वारा स्थापित शिक्षानीति पर विदेशी तंत्रों के प्रभावों का गहरा असर भारतीय स्वतंत्रता के छह दशकों बाद और भी गहरा होता जा रहा है। शिक्षा ज्ञानार्जन, ज्ञानवृद्धि, अन्वेषण के लिए है; शिक्षा आत्मबोध, विवेकबोध, समझ तथा संकल्पशक्ति की प्रेरणा के लिए है। सुदामा जैसा शिक्षक लोक संकटों को झेलता हुआ, उनसे मुक्ति के लिए अपने सहपाठी त्रैलोक्यस्वामी श्रीकृष्ण के पास जाने को तैयार नहीं था—यदि उसकी पत्नी उसे प्रतिदिन सुबह-शाम दुत्कारती नहीं—किन्तु आज शिक्षक संस्थाएँ कैसी हैं? शिक्षक क्यों हैं? शिक्षा कैसी है? शिक्षण का प्रबन्ध-तंत्र क्या है? सब कुछ यह उपन्यास ही बताएगा।
Jai Baba Felunath
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शरलक होम्स और जेम्स बॉण्ड की तरह ही सत्यजित राय के एक दुर्धर्ष पात्र हैं फेलूदा। जटिल से जटिल परिस्थितियों को परत-दर-परत खोलकर सच को सामने लाना उनका काम है। बांग्लाभाषी समाज की एक पूरी पीढ़ी फेलूदा के जासूसी कारनामों को पढ़-पढ़कर सयानी हुई है। आकर्षण कुछ ऐसा कि किशोरावस्था को पीछे छोड़ चुके प्रौढ़ पाठकों के बीच भी इसकी लोकप्रियता कम नहीं है।
‘जय बाबा फेलूनाथ’ सत्यजित राय के फेलूदा सीरीज़ का एक प्रतिनिधि उपन्यास है। आधुनिक हिन्दी साहित्य में रहस्य-रोमांच और जासूसी पर आधारित लेखन का श्रीगणेश भले ही हुआ हो, परवर्ती रचनाकारों की लिखी ऐसी मनमोहक कृतियाँ नहीं मिलतीं। सत्यजित राय की प्रस्तुत कृति का अनुवाद इस कमी को पूरा करने की दिशा में एक विनम्र प्रयास है जिस पर उनके द्वारा निर्मित फिल्म भी अत्यन्त लोकप्रियता हासिल कर चुकी है।
Best Manager
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- Description: If you consider the past as one's Eligibility, every one of us sitting here is good for nothing" When it comes to relationships, which quality do you look for?? Beauty? Wealth? Fame? Being together, thinking of your partner each moment, late night chat, spying on them, sex, conflict with your parents, that courageous decision to leave your respective houses... Love may not always be about the usual scenes mentioned above... Love can wait, love can accept the faults, passion can uphold your morale and moral values in your life, and love can change even the custom in a society... The story of Sree Venugopal and veena started during a competition ’best manager' and extended to the most significant competition human have ever played... The life. Were they the best managers???.
Songs of Life (Collection of Poems)
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Dr. A.P.J. Abdul Kalam
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- Description: The Songs of Life is presented with selected poems from my books of poem Life Tree, Luminous Sparks and My Journey and also some of my new poems. The purpose of this Songs of Life is to celebrate the human life. In spite of many sufferings all around, God has blessed us with his grace in multiple dimensions of nature smiling at us. Hence, Songs of Life is the Song of every heart and soul in happiness and, in sorrow. The result of the poems should be to cheer our hearts.
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