Mythology
Shiva
- Author Name:
Wonder House
- Rating:
-
Book Type:

- Description: This delightful collection of stories from Indian mythology introduces young readers to our enriching and ancient culture and wisdom.
Shiva
Wonder House
Adventures of Rama
- Author Name:
Wonder House
- Rating:
-
Book Type:

- Description: This delightful collection of stories from Indian mythology introduces young readers to our enriching and ancient culture and wisdom.
Adventures of Rama
Wonder House
Durga
- Author Name:
Wonder House
- Rating:
-
Book Type:

- Description: This delightful collection of stories from Indian mythology introduces young readers to our enriching and ancient culture and wisdom.
Durga
Wonder House
Sita Banam Ram
- Author Name:
Narayan Singh
-
Book Type:

- Description: सीता बनाम राम(वाल्मीकि रामायण पर आधारित रामकथा का वैकल्पिक पाठ) वनगमन के समय सीता को अयोध्या में रहकर भरत को 'विशेष यत्नपूर्वक' प्रसन्न रखने के राम के सुझाव की निंदा करते हुए सीता द्वारा राम को स्त्री की कमाई खाने वाले नट की संज्ञा देना (शैलूष इव मां राम परेभ्यो दातुमिच्छसि), अरण्यकांड में 'अकारण' हिंसा के विरुद्ध सीता का राम के साथ वाद-विवाद करना, अग्नि-परीक्षा के समय देह को ही सर्वोपरि मानने वाले राम के आरोपों का उत्तर देते हुए सीता का हृदय और आत्मा में बसे प्रेम को देह से परे बताना (मदधीनं तु यत् तन्मे हृदयं त्वयि वर्तते। पराधीनेषु गात्रेषु किं करिष्याम्यनीश्वरी॥); ये कुछ ऐसे तथ्य हैं, जिनसे दोनों के सोच और व्यवहार में जमीन-आसमान का अंतर दिखाई देता है। और आखिर में अश्वमेध यज्ञ के समय जनसमुदाय के समक्ष राम जिस प्रकार सीता के सामने शुद्धता की शपथ लेने के बाद ही उन्हें अपनाने की शर्त रखते हैं; और उत्तर में राम की ओर देखे बिना वे खामोशी के साथ जिस प्रकार भूमि-प्रवेश कर जाती हैं (जो प्रेम के समाप्त होने का संकेत माना जा सकता है), वह उन दोनों के वैचारिक अंतर को स्पष्ट कर देता है।सीता और राम अपने सोच और आचरण में ही नहीं, जन्म और मृत्यु में भी एक-दूसरे के प्रतिकूल हैं। सीता का जन्म राम की तरह किसी माँ के गर्भ से नहीं, धरती से होता है और वे अंत में धरती में समा जाती हैं। वह न तो जन्म लेती हैं और न (राम की भाँति) मरती हैं। राम आकाश में स्थित विष्णुलोक से अवतार लेकर आते हैं और वापस आकाश में चले जाते हैं। दोनों के इस संसार में आने और लौटने के स्थान विपरीत दिशा में हैं। बिछड़ने के बाद राम के साथ वे कभी नहीं मिलतीं। ('सीता बनाम राम' पुस्तक से...)
Sita Banam Ram
Narayan Singh
Harivamsha
- Author Name:
Bibek Debroy
- Rating:
-
Book Type:

- Description: A gorgeous, lucid rendering of the majestic conclusion to the Mahabharata As an epilogue to the greatest epic of all time, the Harivamsha further elaborates on the myriad conflicts of dharma and the struggle between good and evil. Stories abound-from the cosmogony of the universe to the legends of the solar and lunar dynasties and even a foreshadowing of kali yuga in the future. At the centre of all these magnificent tales is the mercurial figure of Krishna, whose miraculous life and wondrous exploits are recounted with vivid detail. In offering a glimpse into Krishna’s life-as a mischievous child, as an enchanting lover, as a discerning prince-this luminous text sheds light on many questions left unanswered in the Mahabharata. Brimming with battles and miracles, wisdom and heroics, philosophical insight and psychological acuity, Bibek Debroy’s splendid translation of the Harivamsha is absolutely essential reading for all those who love the Mahabharata.
Harivamsha
Bibek Debroy
Sabhyata Aur Sanskriti Ki Rochak Kahaniyan "सभ्यता और संस्कृति की रोचक कहानियाँ" Book | Hindi Translation of The Stories We Tell
- Author Name:
Devdutt Pattanaik
-
Book Type:

- Description: वर्तमान काल के प्रसिद्ध पौराणिक विशेषज्ञ देवदत्त पट्टनायक ने इक्कीसवीं सदी में हमारे जीवन को समझाने के लिए भारत के मिथकों और किंवदंतियों के समृद्ध खजाने से शानदार कहानियाँ प्रस्तुत की हैं। कहानियों को विभिन्न विषयों में बाँटा गया है, जैसे अप्सरा, जो प्राचीन ग्रंथों में महिलाओं के निरूपण पर चिंतन है; कर्म, न्याय, और हड़पना या आदान-प्रदान, जो दर्शाती हैं कि कैसे प्राचीन शास्त्रों ने न्याय के हमारे आधुनिक आदर्शों को आकार दिया है; असीम, बिना किसी शर्त का प्रेम, जो उस समानता की खोज करता है, जो दो प्रेमियों के बीच मौजूद होना चाहिए; और देव तथा असुर, जो दर्शाती है कि कैसे सही और गलत का द्विगुण काले और सफेद जितना स्पष्ट नहीं है। लेखक के वेबकास्ट ‘टीटाइम टेल्ज’ से उत्पन्न कहानियों का यह संग्रह उनकी अनूठी शैली में लिखा गया है और पौराणिकता हमारे जीवन को कैसे प्रभावित करती है, इस पर प्रकाश डालता है।
Sabhyata Aur Sanskriti Ki Rochak Kahaniyan "सभ्यता और संस्कृति की रोचक कहानियाँ" Book | Hindi Translation of The Stories We Tell
Devdutt Pattanaik
Bhakta Prahlad Stories Book
- Author Name:
M.I. Rajasvi
-
Book Type:

- Description: पौराणिक कथाओं में विष्णुभक्त प्रह्लाद की कथा अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। यह कथा अन्याय, अत्याचार एवं अभिमान पर न्याय, सदाचार और स्वाभिमान की जीत की शिक्षा देती है। यह कथा उस समय की है, जब संपूर्ण सृष्टि हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपु जैसे असुरों के आतंक से त्रस्त थी। चारों ओर आसुरी शक्तियों की प्रबलता थी। धर्म-कर्म और वेद-यज्ञ आदि की प्रतिष्ठा लगभग निष्प्राण हो चुकी थी। ऐसे विपरीत और गहन धार्मिक संकटकाल में भी प्रह्लाद जैसे भक्त की पावन भक्ति ने श्रीहरि को नरसिंह अवतार धारण करने हेतु प्रेरित किया। अंततः जब हिरण्यकशिपु के अत्याचारों एवं पापों का घड़ा भर गया तो भगवान् विष्णु ने नरसिंह का अवतार लेकर अत्याचारी हिरण्यकशिपु का अंत कर दिया। प्रस्तत पुस्तक 'भक्त प्रह्लाद' में विष्णुभक्त प्रह्लाद की कथा को बहुत ही सरल, सहज एवं रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। भगवद्भक्ति, सत्य व सदाचार, निष्ठा, समर्पण, संकल्प जैसे जीवनमूल्यों का संचार करने वाली प्रेरक पुस्तक ।
Bhakta Prahlad Stories Book
M.I. Rajasvi
Shribharat Vijaya
- Author Name:
Acharya Sohanlal Ramrang
-
Book Type:

- Description: श्री भरत विजय महर्षि वाल्मीकि के अनुसार मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम राघवेंद्र के लौकिक जीवनकाल की अंतिम घटना है। कथानक वर्णन में केकय देश आततायी गंधर्वों के कारण अनेक संकटों से ग्रस्त हो गया। इनसे मुक्ति पाने के लिए अयोध्या नरेश श्रीराम से प्रार्थना की गई। केकय देश को गंधर्वों के आतंक से मुक्त करने के लिए श्री भरत के सेनापतित्व में अयोध्या से विशाल चतुरंगिणी सेना चली। इस सैन्याभियान में उनके दोनों पुत्र तक्ष एवं पुष्कल भी साथ थे। सिंधु नद के पार गंधर्वों से भयंकर युद्ध छिड़ गया, निरंतर सात दिनों तक लोक विलयंक युद्ध होता रहा। किंतु किसी प्रकार विजय-प्राप्ति की स्थिति न आती देखकर श्री भरत ने मृत्युदेव के प्रलयंकारी सेवर्कास्त्र का प्रयोग कर तीन करोड़ गंधर्वों का संहार कर डाला। पाँच वर्ष पश्चात् श्री भरत अयोध्या लौटे। ये पाँच क्यों लगे? इसी का उत्तर अन्यान्य शास्त्रों के आधार पर देने का जो प्रयत्न किया गया, वही ‘श्री भरत विजय’ है। श्रीरामकथा के इस अल्पज्ञान प्रसंग की प्रस्तुति ही श्री भरत विजय के रूप में यह कृति है। __________________________________________ विषय सूची अनुच्छेद—पृष्ट समर्पण—5 प्रणामांजलि—7 श्रीरामकालीन भूगोल——9 श्रीराम कथा का एक विलुप्तप्राय अध्याय : श्रीभरत विजय—11 श्रीभरत विजय के पात्र—43 मार्गदर्शक ग्रंथ एवं कृतियाँ—47 आशीर्वचन—51
Shribharat Vijaya
Acharya Sohanlal Ramrang
The Vedas and Upanishads for Children
- Author Name:
Roopa Pai
- Rating:
-
Book Type:

- Description: 3,000 years ago, deep inside the forests of India, a great ‘thought- revolution’ was brewing. In those forest labs, the brightest scientist-philosophers contemplated the universe and reflected upon the already-ancient texts called the Vedas, gaining some startling insights into questions that we still have no watertight answers to, like: * What is the universe made of? * How do I know I’m looking at a tree when I see one? * Who am I? My body, my mind, my intelligence, my emotions, or NOTA? And where did they put those explosive findings? In a sprawling body of goose-bumpy, thought-provoking and fascinating oral literature called the Upanishads! Intimidated? Don’t be! For this joyful, fun guide to some of India’s most enduring and secular wisdoms, reinterpreted for first-time explorers by author Roopa Pai, is guaranteed to keep you turning the pages. Why haven’t you read it yet?
The Vedas and Upanishads for Children
Roopa Pai
Main Janak Nandini
- Author Name:
Asha Prabhat
-
Book Type:

- Description: भारतीय मानस का अर्थ केवल पढ़े-लिखे शिक्षितों का मानस नहीं है, उसका मूल अभिप्राय है—लोक मानस। इस लोक मानस की भारतीयता का लक्षण है—काल के आदिहीन, अन्तहीन प्रवाह की भावना...। जनमानस में आज तक सीता का मूक (मौन) स्वरूप ही विद्यमान है। सौम्यस्वरूपा आज्ञाकारी पुत्री का, जो बिना तर्क-वितर्क या प्रतिरोध किए पिता का प्रण पूर्ण करने हेतु या पुत्र-धर्म के निर्वाह हेतु उस किसी भी पुरुष के गले में वरमाला डाल देती, जो शिव के विशाल पिनाक पर प्रत्यंचा का सन्धान कर देता। उस समर्पिता, सहधर्मिणी या सह-गामिनी पत्नी का जो सहजभाव से सारा राज्य सुख तथा वैभव त्यागकर पति राम की अनुगामिनी बनकर उनके संग चल देती है चुनौती-भरे वन्य जीवन के दु:खों को अपनाने। सीता के चरित पर अनेक ग्रन्थ लिखे गए हैं, अधिकांश में उन्हें जगजननी, शक्तिस्वरूपा या देवी मानकर पूजनीया बनाया गया। किन्तु मानवी मानकर उनके मर्म के अन्तस्थल तक पहुँचने...उनके मर्म की थाह लेने की चेष्टा न के बराबर की गई। उनके प्रति किए गए राम के सारे निर्णय को उनकी मौन स्वीकृति मानकर राम की महानता, मर्यादा तथा उत्तमता को और महिमामंडित किया गया। क्या वास्तव में ऐसा था? क्या सीता के पास अपने प्रति किए जा रहे अविचार के प्रति प्रतिरोध के स्वर का अभाव था? अपने जीवन-जनित अभीष्ट अपने कर्मों में निहित कर जीती सीता क्या मात्र पाषाण प्रतिमा थीं? क्या उनका अन्तस संवेदनशून्य था या उन्हें हर्ष-विषाद तथा शोक-सन्ताप नहीं व्याप्तता था? और क्या हर स्थिति-परिस्थिति को उन्होंने सहज स्वीकार लिया था, शिरोधार्य कर लिया था बिना प्रतिवाद किए? यह उपन्यास ऐसे ही अनेक प्रश्नों का सन्धान है।
Main Janak Nandini
Asha Prabhat
Bhintiaadacha Cheen
- Author Name:
Shreeram Kunte
-
Book Type:

- Description: भारताशी चीन शत्रुत्वाने का वागतो? चीनकेंद्रित जगाचे धोके काय असतील? चीनच्या नाकावर टिच्चून भारत महासत्ता होईल का? असे अनेक प्रश्न आपल्याला पडलेले असतात. या प्रश्नांची उत्तरं शोधण्यासाठी चीनचा इतिहास, कम्युनिस्ट पक्षाची अमानवी धोरणं, त्यातून चीनने घेतलेली झेप, इतिहास आणि वर्तमानाबद्दलच्या भानातून तयार झालेलं चीनचं परराष्ट्र धोरण, चीनचा भारताला असणारा धोका या सर्व अंगांनी श्रीराम कुंटे यांनी सखोल अभ्यास केला. त्यातून ‘भिंतींआडचा चीन` जन्माला आलं आहे. महासत्ता होऊ घातलेल्या चीनमधल्या साम्राज्यशाहीच्या इतिहासापासून ते आजच्या उत्तुंग प्रगतीपर्यंतचा आढावा घेत लेखकाने या पुस्तकातून चीनची कुंडली मांडली आहे. भारताच्या संदर्भात चीन समजून घ्यायचा असेल, तर चिनी राजघराण्यांचा इतिहास, स्थित्यंतराची चाळीस वर्षं, जगाला चकित करणारा काळ आणि भारतासमोरील चिनी आव्हानं या चार भागांत विभागलेलं हे पुस्तक आपल्या जवळ असायलाच हवं. चीनची ओळख करून देणाऱ्या पुस्तकाची मराठीत कमी होती. श्रीराम कुंटे यांच्या ‘भिंतींआडचा चीन`मुळे ही उणीव भरून काढण्यास मदत होईल. या निमित्ताने आंतरराष्ट्रीय विषयांवर प्रबंधी-प्राध्यापकीपणा टाळून जनसामान्यांसाठी लिहिणारा एक नवा लेखक कुंटे यांच्या रूपाने मराठीत समोर येताना दिसतोय. गिरीश कुबेर (संपादक, दै. लोकसत्ता व लेखक) एका संतुलित राष्ट्रवादी दृष्टिकोनातून, तसेच बहुविद्याशाखीय जाणकारीतून लिहिलेले हे पुस्तक आपल्या निकटतम स्पर्धकाला समजून घेण्यासाठीच्या प्रवासातील अत्यावश्यक वाचन ठरणार आहे. रवि आमले (ज्येष्ठ पत्रकार व लेखक) महत्त्वाकांक्षी चीनशी स्पर्धा करण्यास आसुसलेल्या भारतीयांना स्वतःच्या व चीनच्या मर्मस्थळांची जाणीव हे पुस्तक कळात-नकळत करवून देते. प्रा. परिमल माया सुधाकर (चीनचे अभ्यासक व लेखक)
Bhintiaadacha Cheen
Shreeram Kunte
Ha Desh Amacha Aahe
- Author Name:
Shrimant Mane
-
Book Type:

- Description: 2024 च्या लोकसभा निवडणुकीत कोणताही राजकीय पक्ष स्पष्टपणे जिंकला नाही आणि कोणाचा पूर्ण पराभवदेखील झाला नाही. हे नेमके झाले तरी कसे आणि मग जिंकले तरी कोण? अर्थातच, भारतीय मतदार जिंकले. कोट्यवधी मतदारांनी चारशे जागांचे स्वप्न पाहणाऱ्या सत्ताधारी पक्षाला ‘आस्ते कदम` चा इशारा दिला, तर आधीच्या दोन निवडणुकांमध्ये हतोत्साही झालेल्या विरोधकांना मतदारांनी नवी उमेद व उर्जा दिली. या समतोल जनादेशातून मतदार जिंकले हा निष्कर्ष, हे अनुमान किंवा विधान भाबडेपणातून केले आहे का? अर्थातच नाही. खंडप्राय भारतातील या लोकसभा निवडणूक निकालाचा लघुत्तम साधारण विभाज्य म्हणजे लसावि सांगतो की, मोठा निर्णायक राष्ट्रीय मुद्दा निवडणुकीत नसल्यामुळे देशातील 28 राज्ये व 8 केंद्रशासित प्रदेश मिळून छत्तीस प्रांतांमध्ये स्थानिक समीकरणेच प्रभावी ठरली. सोबतच, राज्यघटना बदलण्याची भीती, शेतकरी व तरुण मतदारांमधील नाराजी, गरिबी व महागाई अशा जगण्यामरण्याच्या मुद्द्यांवर लोकांनी सत्ताधाऱ्याांच्या विरोधात मतदान केले. या मतदानाचे, निकालाचे हे तर्कशास्त्र, संख्याशास्त्राच्या आधारे विश्लेषण सांगते की, ही लढाई निवडणूक जिंकण्याचे तंत्र आणि लोक यांच्यात झाली. निवडणूक जिंकण्याचे तंत्र बदलले, सुधारले तरी लोकांचे पाय जमिनीवरच आहेत. लोकशाहीचा उत्सव असे ज्याचे वर्णन केले जाते त्या देशाच्या अठराव्या सार्वत्रिक निवडणुकीत मतदारांनी दिलेल्या संदेशाचा सार हा की, आम्हाला गृहीत धरू नका. हा देश, हे प्रजासत्ताक आमचे आहे. - श्रीमंत माने
Ha Desh Amacha Aahe
Shrimant Mane
Turungrang
- Author Name:
Adv. Ravindranath Patil
-
Book Type:

- Description: मला ‘अंडरट्रायल` अर्थात कच्चा कैदी म्हणून येरवडा जेलमध्ये काही काळासाठी स्थानबद्ध केलं गेलं होतं. तत्पूर्वी आयपीएस अधिकारी म्हणून आणि कायद्याचा विद्यार्थी म्हणून मी जेलला भेट दिली होती. परंतु त्यावेळी न दिसलेले तुरुंगाचे अंतरंग मला कच्चा कैदी म्हणून वावरताना दिसले. त्याचबरोबर तुरुंगातल्या इतर बंद्यांच्या एका वेगळ्या भावविश्वाचं दर्शन घडलं. त्यातून कैदी जेलच्या कोंडवाड्यामध्ये जगतात कसे, वागतात कसे नि रमतात कसे याचं वास्तव चित्रण शब्दबद्ध करण्याचा प्रयत्न मी या ‘तुरुंगरंग`मध्ये केला आहे. अर्थात माणूस गुन्हेगार का होतो आणि समाज म्हणून आपण त्याला गुन्हेगारीपासून कसं परावृत्त करू शकतो हेही मला इथं सांगायचं आहे. इतकंच नाही, तर तुरुंगात कैद्यांचं आयुष्य जसं पणाला लागतं तसंच फौजदारी न्यायप्रक्रियाही कशी कैद होते याची स्पष्ट जाणीव करून देण्याचाही माझा प्रयत्न आहे. वाचक म्हणून आपण माझ्या या पहिल्याच पुस्तकाचं स्वागत कराल अशी आशा. जेल आणि कैदी सुधारणा हा विषय तसा दुर्लक्षित राहिला आहे. जेल सुधारणांसाठी कैद्यांची दुसरी बाजू ऐकणे आणि त्यांच्या मानसिक स्थितीचा उलगडा करणे, हे अत्यावश्यक आहे. मला खात्री आहे की, ‘तुरुंगरंग` हे पुस्तक समाजात जागृती निर्माण करेल. किंबहुना प्रशासन जेलकडे केवळ दंड देण्याची जागा म्हणून न पाहता कैद्यांची वर्तणूक सुधारण्यासाठीचे एक साधन म्हणून बघेल आणि त्या अनुषंगाने नीती आखेल. ज्ञानेश्वर पाटील आयएएस (मध्य प्रदेश कॅडर) रवींद्रनाथ पाटील यांच्यातील उत्कृष्ट मार्गदर्शक, अधिकारी आणि प्रशासकही आम्ही यापूर्वी बघितला आहे. आता या पुस्तकाच्या निमित्तानं त्यांच्यातल्या उत्कृष्ट लेखकाचं दर्शन घडतंय. त्यांचं हे अत्यंत वेगळ्या विषयावरचं पुस्तक प्रत्येकानं वाचावं असंच आहे. डॉ. शिवानंद बिडवे तहसीलदार, महाराष्ट्र राज्य
Turungrang
Adv. Ravindranath Patil
Savitrichi Shabari
- Author Name:
Sangeeta Mulay +1
-
Book Type:

- Description: खेड्यातील, सर्वहारा वर्गातील, दलित, काळ्या वर्णाची एक मुलगी. शिक्षणासाठी शहरात येते. पण वर्ग, वर्ण, भाषा, गबाळा पोशाख यामुळे तिला पदोपदी भेदभावाचा सामना करावा लागतो. परक्या शहरात कुणी मार्गदर्शक नसतो ना जिवाभावाचा आधार असतो. तरीही ती नेटानं शहरात राहते, शिक्षण घेते आणि एके दिवशी ‘सावित्रीची शबरी' म्हणून नवी ओळख निर्माण करते. कोण आहे ही मुलगी? तिला बेदखल करणाऱ्या शहरी वातावरणात ती तगून कशी राहते? खेडवळपणाच्या मागासलेल्या कोषातून बाहेर पडत फुलपाखराप्रमाणे स्वच्छंदपणे बागडण्यासाठी लागणारं बळ तिला कुठून मिळतं? याचा उत्कट मागोवा घेणारी ही कहाणी आपल्यातल्या माणसाला जागवणारी आहे.
Savitrichi Shabari
Sangeeta Mulay
Topi Shukla
- Author Name:
Rahi Masoom Raza +2
-
Book Type:

- Description: ‘मी लेखकांच्या अशा जमातीचा आहे ज्यांच्या मते लेखकाचं काम विश्वभरात शांती पसरवण्याचं आहे. त्याचं काम आहे अशा प्रेमकथा लिहिणं की ज्या वाचल्यावर माणसं आपापसातल्या भिंती विसरून जातील. सीमारेषा पुसून टाकणं हेच तर लेखकाचं काम आहे.' राही मासूम रझा राही मासूम रझा यांच्या ‘टोपी शुक्ला' या कादंबरीचा माझ्या मनावर मोठाच प्रभाव पडला. एकीकडे तिने अंतर्मुख केलं, तर दुसरीकडे लढ्याची नवी दृष्टी दिली. या कादंबरीची भाषा लढ्याची प्रेरणा देणारी तसेच मानवी करुणेचीही आहे. यातील भाषाशैलीने मनाची पकड घेतली आणि युवकांशी संवाद साधण्याची नवी दृष्टी दिली. तिने धर्म, जाती, प्रांतीयता, भाषा, लिपी, संस्कृती, राष्ट्र्रीयता, देशप्रेम या संकल्पना सर्वसामान्य माणसांच्या जीवनात कशा उतरतात ते दाखवून दिलं. धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक भारतीयतेशी त्यांचा असलेला अतूट धागा समोर आणला. त्याबरोबरच या भारतीयतेचा एकेक चिरा कसा ढासळत चालला आहे, यावरील भाष्यही या कादंबरीत येतं. टोपीला त्या काळात पडलेले प्रश्न आजचे आपलेच प्रश्न आहेत. भारतात, भारतीय समाजात तरुणांना सांप्रदायिकतेचं आणि केवळ सत्ताप्राप्तीचं साधन मानलं गेलं, तर भारताला, भारतीयतेला काय भवितव्य उरतं? यापेक्षा वेगळं भवितव्य घडवायला आपण उभं राहायला नको का? ही संपूर्ण कादंबरी इशारा देते की धर्मवादी लोकशाहीविरोधी शक्तींशी तडजोड केली तर ती भारताची, भारतीयतेची आत्महत्या ठरेल, त्यामुळे पडेल ती किंमत देऊन धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक मूल्यांसाठी लढणं, ती जगणं अटळ आहे. रझिया पटेल
Topi Shukla
Rahi Masoom Raza
Nanna Tangi Eeda
- Author Name:
Harsha Raghuram +1
-
Book Type:

- Description: ಟಿಲ್ಡಾಳದು ಕಟ್ಟು ನಿಟ್ಟಿ ನ ದಿನಚರಿ. ಮಾಸ್ಟರ್ ಪದವಿಯ ಓದು, ಸೂಪರ್ ಮಾರ್ಕೆ ಟ್ ನಲ್ಲಿ ಕೆಲಸ ಮತ್ತು ಅವಳ ಪುಟ್ಟ ತಂಗಿ ಈಡಾಳನ್ನು ಹಾಗೂ ಒಮ್ಮೊ ಮ್ಮೆ ಅವಳ ಮದ್ಯವ್ಯಸನಿ ತಾಯಿಯನ್ನೂ ನೋ ಡಿಕೊ ಳ್ಳುವುದರ ನಡುವೆ ಅವಳಿಗಾಗಿ ಸಮಯ ಸಿಗುವುದೇ ಕಡಿಮೆ. ಅವರ ಮನೆಯಲ್ಲಿ ತಂದೆ ಎನ್ನಿಸಿಕೊ ಂಡ ವ್ಯಕ್ತಿ ಇಲ್ಲ. ಈ ಮೂವರ ವಾಸ ಜರ್ಮ ನಿಯ ಸಣ್ಣದೊ ಂದು ಊರಿನ ‘ಖುಷಿಯ ರಸ್ತೆ’ಯಲ್ಲಿ. ಟಿಲ್ಡಾಳಿಗೆ ಆ ಊರಿನ ಜೀ ವನ ರೇ ಜಿಗೆ ಹುಟ್ಟಿ ಸುತ್ತಿದೆ. ಅವಳ ಗೆಳೆಯ ಗೆಳತಿಯರು ಊರು ಬಿಟ್ಟು ಆಮ್ ಸ್ಟರ್ ಡಾಮ್ ಮತ್ತು ಬರ್ಲಿ ನ್ ನಂತಹ ದೊ ಡ್ಡ ಊರುಗಳನ್ನು ಸೇ ರಿಕೊ ಂಡುಬಿಟ್ಟಿ ದ್ದಾರೆ. ಈಡಾಳಿಗೆ ಆಸರೆಯಾಗಲೆಂದು ಟಿಲ್ಡಾ ಆ ಸಣ್ಣ ಊರಿನಲ್ಲೇ ಉಳಿದು ಮನೆಯ ಸಂಪೂರ್ಣ ಜವಾಬ್ದಾರಿಯನ್ನು ಹೊ ತ್ತುಕೊ ಂಡಿದ್ದಾಳೆ. ಹೀ ಗಿರುವಾಗ ಒಂದು ದಿನ ಬರ್ಲಿ ನ್ ನ ದೊ ಡ್ಡ ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾ ಲಯದಲ್ಲಿ ಪಿಎಚ್ ಡಿ ಮಾಡುವ ಅವಕಾಶವೊ ಂದು ಟಿಲ್ಡಾಳನ್ನು ಅರಸಿ ಬರುತ್ತದೆ. ಅವಳು ತನ್ನ ಸಣ್ಣ ಊರಿನ ಜೀ ವನದಿಂದ ಬಿಡುಗಡೆ ಹೊ ಂದುವ ಕನಸನ್ನು ಕಾಣತೊ ಡಗುತ್ತಾಳೆ. ಇದ್ದಕ್ಕಿ ದ್ದಂತೆ ಯುವಕ ವಿಕ್ಟ ೋರ್ ಊರಿಗೆ ಮರಳುತ್ತಾನೆ. ವಿಕ್ಟ ೋರ್ ನ ತಮ್ಮ ಈವಾನ್ ಟಿಲ್ಡಾಳ ಗೆಳೆಯನಾಗಿದ್ದ. ಟಿಲ್ಡಾಳಂತೆ ವಿಕ್ಟ ೋರ್ ಕೂಡ ಹೊ ರಾಂಗಣ ಈಜುಕೊ ಳದಲ್ಲಿ 22 ಸುತ್ತುಗಳನ್ನು ಈಜುತ್ತಾನೆ. ಜೀ ವನದಲ್ಲಿ ಎಲ್ಲವೂ ಸರಿ ಹೋ ಗುತ್ತಿದೆ ಎಂಬ ಭಾವನೆ ಟಿಲ್ಡಾಳಿಗೆ ಬರುತ್ತಿದ್ದಂತೆಯೇ ಮನೆಯ ಪರಿಸ್ಥಿತಿ ಕೈ ಮೀ ರಿ ಹೋ ಗುತ್ತದೆ. ‘ನನ್ನ ತಂಗಿ ಈಡಾ’ ಕಾದಂಬರಿಯಲ್ಲಿ ಜರ್ಮ ನಿಯ ಸಣ್ಣ ಊರಿನ ಕೌಟುಂಬಿಕ ತಲ್ಲಣಗಳ ಗಾಢ ಚಿತ್ರಣವಿದೆ. ಇಲ್ಲಿ ಜವಾಬ್ದಾರಿ ಮತ್ತು ಸ್ವಾ ತಂತ್ರ್ಯಗಳ ನಡುವೆ ಖುಷಿಯನ್ನು ಕಂಡುಕೊ ಳ್ಳುವ ತುಡಿತವಿದೆ.
Nanna Tangi Eeda
Harsha Raghuram
Sattavara Sollu
- Author Name:
Karthik R +1
-
Book Type:

- Description: “ಸ್ತುವರ ಸ್ಲಟಲುೆ”್ಇದು ಪ್ತರಕ್ತೆ ಮತುು ಕ್ತಲಗಾರರಾದ ಆಶುತಲಟೋಷ್ ಭ್ಾರದ್ಾಾಜ್ರ “ಮೃತುಾ ಕ್ಥಾ”್ಎೆಂಬ ಹಿೆಂದಿ ಕ್ೃತ್ತಯ ನಲೋರ ಕ್ನಾಡ ಅನುವಾದ. ಮಾವೋವಾದಿಗಳು ಮತುು ಭ್ಾರತ್ತೋಯ ಪ್ರಭುತಾದ ಮಧ್ಲಾ ನಡಲಯುತ್ತುರುವ ಸ್ೆಂಘಷ್ೆ ಮತುು ಇದರ ನಡುವಲ ಸಿಕ್ತಕಹಾಕ್ತಕಲಟೆಂಡಿರುವ ಆದಿವಾಸಿಗಳ ಬವರ್ಲಯ ಕ್ುರಿತು ಆಶುತಲಟೋಷ್ ಭ್ಾರದ್ಾಾಜ ಕ್ಳಲದ ಒೆಂದು ದಶಕ್ದಿೆಂದಲಟ ಬರಲಯುತಾು ಬೆಂದಿದ್ಾಾರಲ. ಹಲವಾರು ಧ್ವನಿ-ಧ್ಾಟಗಳಲ್ಲೆ ದೆಂಡಕಾರಣ್ಾದ ಸ್ೆಂಕ್ತೋಣ್ೆ ಮತುು ರಕ್ುಸಿಕ್ು ಆತಮವೃತಾುೆಂತವನುಾ ನಿರಟಪಿಸ್ಲು ಹಲಟರಡುವ ಈ ಕ್ೃತ್ತಯಲ್ಲೆ, ಒಬಬ ಪ್ತರಕ್ತೆನ ಶಿಸಿುನ ವರದಿಗಾರಿಕಲ, ಡಲೈರಿಯ ಆತ್ತೀಯತಲ, ಅೆಂಕ್ತಅೆಂಶಗಳ ವಸ್ುುನಿಷ್ಠತಲ ಮತುು ಕ್ತಲಗಾರಿಕಲಯ ಕ್ಲ್ಲ, ಇವಲಲೆವೂ ಸ್ಮಪಾಕ್ದಲ್ಲೆ ಬಲರಲತ್ತವಲ. ದ್ಲೋಶದ ಶಲರೋಷ್ಠ ಲ್ಲೋಖಕ್ರು ಮತುು ವಿಮಶೆಕ್ರ ಮೆಚ್ುುಗಲಗಲ ಪಾತರವಾಗರುವ ಈ ಕ್ೃತ್ತಗಲ ಹಲವಾರು ಪ್ರಶಸಿುಗಳು ಸ್ೆಂದಿವಲ. ಈ ಕ್ೃತ್ತ ಅನಲೋಕ್ ಭ್ಾರತ್ತೋಯ ಭ್ಾಷಲಗಳಿಗಲ ಅನುವಾದಗಲಟೆಂಡಿದ್ಲ.
Sattavara Sollu
Karthik R
Good to Great
- Author Name:
Jim Collins +1
-
Book Type:

- Description: पुस्तकात काय आहे? © सर्वोत्तमाचा शत्रू म्हणजे उत्तम असणं. © पाचव्या पातळीवरचं नेतृत्व : नम्र तरीही आक्रमक नेता असणं आवश्यक. © आधी कोण... मग काय? : योग्य लोकांची निवड करणं म्हणजे उत्तमतेच्या प्रवासाची सुरुवात. © दाहक वास्तवाला सामोरे जा... (तरीही विशास कायम ठेवा) या विरोधाभासातला तोल जपला तर उत्तमतेचा प्रवास वेगाने होतो. © साळू कल्पना (तीन वर्तुळातला साधेपणा) ‘कशावर लक्ष केंद्रित करायचं' ती तुमच्या कंपनीसाठीची कल्पना सापडणं फार गरजेचं असतं. © शिस्तीची संस्कृती : उत्तम कंपन्यांमधलं जादूई रसायन. © तांत्रिक वेगवर्धक - योग्य वापर करणं जमलं नाही तर तंत्रज्ञानाच्या सापळ्यात अडकाल. © प्रगतीचक्र आणि विनाशगती चक्र : सातत्याने टिकणारी आणि वाढणारी गती प्रगतीचक्राला कशामुळे मिळते. © उत्तम ते सर्वोत्तम पासून दीर्घकाळ टिकणारं होणं - चांगल्या कंपनीपासून सुरुवात करून दीर्घकाळ उत्तम राहणारी यशस्वी कंपनी कशी बनवायची. ‘एक उत्तम असणारी कंपनी सर्वोत्तम बनवता येते का? आणि येत असेल तर कशी?' या महत्त्वाच्या प्रश्नांची उत्तरं ‘गुड टू ग्रेट' या पुस्तकात आपल्याला मिळतात. पाच वर्षांच्या संशोधनानंतर कोलिन्स असं सांगतो, ‘उत्तम कंपनीची सर्वोत्तम कंपनी बनवणं अगदीच शक्य आहे.' उत्तम ते सर्वोत्तम प्रवास केलेल्या आणि हा प्रवास करू न शकलेल्या कंपन्यांच्या उदाहरणांमधून सर्वोत्तम होण्याच्या प्रक्रियेच्या अनेक पदरांची चर्चा त्याने या पुस्तकात केली आहे. ती करताना काय केल्याने हा प्रवास यशस्वी होतो आणि काय केल्याने चुका घडतात हेही त्याने सांगितलं आहे. अनेक उदाहरणं आणि आकडेवारी यांचा आधार घेत केलेल्या शास्त्रीय अभ्यासातून पुढे आलेले निकर्ष हे आजच्या आधुनिक युगातही आश्चर्यचकित आणि धक्कादायक वाटू शकतात. म्हणूनच कोलिन्सने सांगितलेला उत्तमापासून सर्वोत्तमापर्यंत हा प्रवास प्रत्येकानेच समजून घेण्यासारखा आहे. Good to Great : Jim Collins Translation : Dr. Pradyana Kulkarni गुड टू ग्रेट | जिम कोलिन्स अनुवाद : डॉ. प्रज्ञा कुलकर्णी
Good to Great
Jim Collins
Prashaskiy Yogayog
- Author Name:
Shekhar Gaikwad
-
Book Type:

- Description: काही घटित काही अघटित स्टील फ्रेम! अर्थात शासनाच्या धोरणांची, निर्णयांची अंमलबजावणी करणाऱ्या सरकारी यंत्रणेची चौकट म्हणजेच प्रशासन!! अशा या स्टील फ्रेमच्या आत नेमकं काय चालतं आणि कसं चालतं याचं आकलन सरकारी कचेऱ्यांमध्ये रोज नियमानं खेटं घालणाऱ्या व्यक्तीलाही नीट होत नाही. म्हणूनच सामान्य माणसांना नेहमी प्रश्न पडतो. तो म्हणजे सरकार म्हणजे नक्की काय? खरं तर याचं साधं, सरळ असं उत्तर देता येणार नाही. पण या स्टील फ्रेमच्या पलीकडे एक मोठं आणि वेगळंच जग कार्यरत असतं. आणि त्या जगामध्ये साहेब, अधिकारी, अधीक्षक, क्लार्क, शिपाई अशी बरीच मोठी उतरंड असते. त्यात बदल्या, प्रमोशन, उद्घाटनं, फाइलींचा गोंधळ, निवडणुका, आदेशांचे घोडे, पत्रकबाजी, कार्यालयीन स्टाफ, त्यांचं वागणं-बोलणं, कामं मिळवण्याची, कामं काढून घेण्याची, फायली मंजूर करण्याची, न करण्याची अशी अनेक कारस्थानं असं काहीबाही अनाकलनीय चालत असतं. शासन आणि सामान्य नागरिक यांच्यातला दुवा बनून काम करताना या स्टील फ्रेमच्या आत घडणाऱ्या या अनाकलनीय गोष्टींद्वारे अनेक योग कधी घडवले जातात, तर कधी बिघडवले जातात. अशाच योगायोगांच्या या गोष्टी... कधी हलक्या फुलक्या विनोदाने हसवणाऱ्या, तर कधी विरोधाभासावर नेमकं बोट ठेवत अंतर्मुख करणाऱ्या... म्हणूनच कारभार चालवताना घडणाऱ्या आणि घडवल्या जाणाऱ्या गमतीजमती नेमकेपणानं टिपणारं हे पुस्तक आपल्याला प्रशासनाच्या अंतरंगाचं विहंगम्य दर्शन घडवतं. थोडक्यात काय तर प्रशासनाची नेमकी चाल आजमावण्यासाठी हे पुस्तक आपल्याकडे असायलाच हवं. Prashaskiy Yogayog | Shekhar Gaikwad प्रशासकीय योगायोग | शेखर गायकवाड
Prashaskiy Yogayog
Shekhar Gaikwad
Noaakhali
- Author Name:
Ramesh Oza +1
-
Book Type:

- Description: आधुनिक भारताच्या इतिहासात घडलेल्या भीषण दंग्यांची जेव्हा चर्चा होते तेव्हा नोआखालीचे नाव आवर्जून घेतले जाते. 16 ऑगस्ट 1946 रोजी मुस्लीम लीगने पुकारलेल्या प्रत्यक्ष कृती दिनाच्या निमित्ताने कोलकाता येथे भीषण सांप्रदायिक दंगे भडकले. त्याची धग कोलकातापासून 400 किलोमीटर दूर असलेल्या आजच्या बांग्लादेशमधील नोआखाली जिल्ह्यापर्यंत जाऊन पोहोचली. तेव्हा नोआखालीतील अल्पसंख्य हिंदूंचे अश्रू पुसण्यासाठी, त्यांच्यात आत्मविश्वास निर्माण करण्यासाठी शहात्तर वर्षांचे वयोवृद्ध गांधीजी तेथे चार महिने जाऊन राहिले. हा त्यांच्या आयुष्यातील सर्वात कठीण काळ होता. मानवाच्या इतिहासात सत आणि असत शक्तींमधे अखंड चाललेल्या संघर्षात चिरंतन सत मूल्यांच्या रक्षणासाठी गांधीजींचे नोआखालीत जाऊन राहणे यास फार मोठे महत्त्व आहे. किंबहुना आज आपला समाज स्वातंत्रोत्तर काळातील सर्वात कठीण आव्हानाला सामोरा जात असताना हे महत्त्व आणखी वाढते. कारण सांप्रदायिकतेच्या समस्येने आज अत्यंत उग्र रुप धारण केले असून पुन्हा एकदा मानवतेच्या अस्तित्वापुढे प्रश्नचिन्ह निर्माण झाले आहे. अशा पार्श्वभूमीवर हिमालयाएवढ्या आव्हानाचा सामना करत गांधीजींनी मानवाच्या असीम आत्मबलाचा अत्युच्च मानबिंदू नोआखालीतून कसा प्रस्थापित केला, याची ही कहाणी रमेश ओझा आणि श्याम पाखरे या लेखक द्वयींनी आपल्यासमोर मांडली आहे. आजच्या अत्यंत निराशाजनक परिस्थितीत नोआखाली पर्वाचे स्मरण करून देणारी ही कादंबरी वाचकांना मानवतेच्या रक्षणासाठी नवी प्रेरणा देईल अशी आशा आहे. नोआखाली | रमेश ओझा, श्याम पाखरे Noaakhali| Ramesh Oza And Shyam Pakhare
Noaakhali
Ramesh Oza
The Mythology category on Rachnaye brings together stories that have shaped India’s imagination for thousands of years. These books explore gods, heroes, legends, cosmologies, epic journeys, and philosophical ideas from Indian and world mythologies. They help readers understand the symbolic, cultural, and moral frameworks behind timeless narratives.
What readers will find here:
-
Retellings of Ramayana, Mahabharata, Bhagavata Purana
-
Stories of Shiva, Vishnu, Devi, Krishna, Ganesha, Hanuman
-
Regional myths from Tamil Nadu, Bengal, Maharashtra, Odisha, Northeast India, Karnataka, Kerala and tribal traditions
-
Modern retellings for adults & children
-
Mythology-inspired fiction and fantasy
What types of mythology books are available on Rachnaye?
You’ll find Indian epics, deity stories, regional myths, modern retellings, global mythologies, illustrated myth books, and myth-inspired fiction.
Are mythology books available in Indian languages?
Yes. Books are available in Hindi, Marathi, Tamil, Bengali, Malayalam, Kannada, Telugu, and English.
What is the difference between myth and folktale?
Myths explain cosmic events, gods, and philosophical ideas, while folktales are community stories rooted in local culture and everyday wisdom.
Are there mythology books for children?
Absolutely. Many titles simplify epics and deity stories with illustrations and child-friendly language.
Can I find regional mythology here?
Yes. The category includes regional myths from South India, Bengal, Maharashtra, and Northeast India, as well as tribal storytelling traditions.
Why is mythology important in Indian culture?
It shapes moral frameworks, festivals, rituals, names, storytelling traditions, and philosophical understanding across communities.